कार खरीदने वाले भारतीय सीएनजी मॉडलों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं और सीएनजी उनके लिए ईंधन का पसंदीदा विकल्प बन रही है। यही वजह है कि इस साल जनवरी से अगस्त तक बिक्री की रफ्तार में सीएनजी कारों ने पेट्रोल, डीजल, हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक कारों (ईवी) तक को पछाड़ दिया। इस दौरान सीएनजी वाहनों की बिक्री में 46 फीसदी वृद्धि हुई और पेट्रोल मॉडलों की बिक्री में 4.5 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। मगर डीजल मॉडलों की बिक्री में 5 फीसदी वृद्धि हुई।
बिकने वाली कारों की संख्या देखें तो सीएनजी वाहनों की बिक्री अब पेट्रोल वाहनों की बिक्री का करीब एक तिहाई (30 फीसदी) हो गई है। मारुति सुजूकी 3 कार बेचती है तो उनमें से एक कार सीएनजी वाली ही होती है। अगस्त में कंपनी की कुल कारों में सीएनजी की हिस्सेदारी 34 फीसदी तक पहुंच चुकी थी।
सीएनजी कारों को दमदार रफ्तार मिलने की कई वजहें हैं – नई कारों के सीएनजी मॉडल बाजार में आना, सीएनजी स्टेशनों की तादाद बढ़ना, टाटा मोटर्स का ट्विन सिलिंडर सिस्टम और कैफे मानदंड पूरे करने के लिए कंपनियों का सीएनजी पर जोर देना। कैफे (कॉरपोरेट एवरेज फ्यूल एफिशिएंसी) मानदंड में कुछ पैमाने बनाए गए हैं, जो किसी कार कंपनी की सभी कारों द्वारा वित्त वर्ष के दौरान उत्सर्जित की जाने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा तय करते हैं।
मारुति सुजूकी के कार्यकारी निदेशक (कंपनी मामले) राहुल भारती ने कहा, ‘शुद्ध रूप से पेट्रोल/डीजल इंजन वाले वाहनों में सबसे ज्यादा तेल की खपत होती है और सबसे अधिक कार्बन डाईऑक्साइड निकलती है। ईवी, हाइब्रिड, सीएनजी और बायोफ्यूल सहित अन्य सभी इंजन प्रौद्योगिकी तेल की खपत घटाने के साथ-साथ कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन कम करने में भी मदद करती हैं। ऐसे में इन तकनीकों को तरजीह देकर पेट्रोल/डीजल वाहनों को कम करना बिल्कुल स्वाभाविक है।’
जैटो डायनामिक्स के अध्यक्ष एवं निदेशक रवि भाटिया ने कहा, ‘दुनिया भर में ईवी की वृद्धि धीमी हो रही है इसलिए भारत का वाहन बाजार वैकल्पिक ईंधन की ओर रुख कर रहा है। जैटो डायनामिक्स इंडिया के आंकड़े बताते हैं कि सीएनजी की बिक्री में 46 फीसदी वृद्धि हुई मगर हाइब्रिड में 19 फीसदी और ईवी में केवल 7 फीसदी।’
भाटिया का मानना है कि यह बदलाव उपभोक्ता की बदलती प्राथमिकताएं और बाजार की वास्तविकताएं बताता है। उन्होंने कहा, ‘सीएनजी सस्ती और व्यावहारिक होने के कारण टैक्सी एवं छोटे वाणिज्यिक वाहन क्षेत्र में लोकप्रिय है। दमदार प्रदर्शन और ईंधन का कम खर्च चाह रहे ग्राहकों के बीच हाइब्रिड वाहन भी लोकप्रिय हो रहे हैं।’
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान देश में पहली बार सीएनजी यात्री वाहनों ने बिक्री के मोर्चे पर डीजल वाहनों को पछाड़ दिया है। भारती ने पिछले महीने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा था, ‘इस तिमाही के दौरान राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, केरल और बिहार जैसे कई नए क्षेत्रों में सीएनजी वाहनों में दमदार वृद्धि दिखी है। ग्राहकों के बीच सीएनजी वाहनों की स्वीकार्यता बढ़ रही है।’
टाटा मोटर्स ने मंगलवार को 8.99 लाख रुपये से शुरू हो रही नेक्सॉन आईसीएनजी उतारी। टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के मुख्य वाणिज्यिक अधिकारी विवेक श्रीवत्स ने इसे कई तरह के इंजन लाने की टाटा मोटर्स की रणनीति के अनुरूप बताते हुए कहा, ‘भारत के पहले टर्बोचार्ज्ड सीएनजी वाहन के रूप में नेक्सॉन आईसीएनजी उन ग्राहकों को लुभाएगी, जो कीमत पर अधिक ध्यान देते हैं मगर पर्यावरण का भी ख्याल रखते हैं और यह भी नहीं चाहते कि गाड़ी चलाने में मजा कम आए।’
ह्युंडै मोटर इंडिया ने पिछले महीने अपनी लोकप्रिय हैचबैच ग्रैंड आई10 नियोस को डुअल-सिलिंडर सीएनजी मॉडल में उतारा। इसकी कीमत 7.75 लाख रुपये से शुरू होती है।
आज मिड-वेरिएंट्स में कई सीएनजी मॉडल उपलब्ध हैं जिससे पता चलता है कि लोग निजी इस्तेमाल के लिए सीएनजी को विकल्प के तौर पर अपना रहे हैं। फिलहाल विभिन्न वाहन कंपनियों के करीब 25 सीएनजी मॉडल उपलब्ध हैं जबकि 2023 में यह आंकड़ा 20 और 2022 में महज 13 था।