भारत का इलेक्ट्रिक वाहन (EV) उद्योग दोपहिया खंड की अगुआई में वित्त वर्ष 2023 के दौरान 10 लाख वाहन बिक्री के महत्त्वपूर्ण पड़ाव तक पहुंच गया है। उद्योग के संगठन सोसाइटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (SMEV) ने यह जानकारी दी है।
SMEV ने कहा कि हालांकि इलेक्ट्रिक दोपहिया खंड ने कुल 11,77,938 इलेक्ट्रिक वाहन बिक्री में 61 प्रतिशत की हिस्सेदारी की, लेकिन यह नीति आयोग द्वारा निर्धारित लक्ष्यों से काफी कम रहा है।
ई-दोपहिया खंड में उद्योग ने तेज-रफ्तार वाले दोपहिया (25 किमी प्रति घंटा से अधिक रफ्तार वाले) 7,26,976 वाहनों की बिक्री की, जबकि नीति आयोग ने वित्त वर्ष 23 में 10 लाख से अधिक ई-दोपहिया बिक्री का अनुमान लगाया था।
इलेक्ट्रिक तिपहिया वाहनों की बिक्री 4,01,841 वाहनों के साथ 34 प्रतिशत पर दूसरे स्थान पर रही, जबकि चौपहिया वाहनों की बिक्री केवल चार प्रतिशत या 47,217 इकाई रही और इलेक्ट्रिक बसों की बिक्री 1,904 इकाइयों के साथ 0.16 प्रतिशत ही रही।
SMEV ने एक बयान में कहा कि ई-दोपहिया अपनाने में महीने-दर-महीने कमी हुई। नीति आयोग और विभिन्न अनुसंधान संगठनों द्वारा निर्धारित न्यूनतम लक्ष्य के मुकाबले सालाना 25 प्रतिशत से अधिक की कमी रही।
उद्योग के निकाय ने कहा कि ई-दोपहिया की बिक्री पर असर उपभोक्ता की मांग से नहीं पड़ा है, बल्कि 1,200 करोड़ रुपये से अधिक की सब्सिडी को अचानक रोक दिए जाने से हुआ, जिसका बोझ स्थानीयकरण में देरी के बहाने ज्यादातर मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) ने पहले ही ग्राहकों पर डाल दिया था।
SMEV के महानिदेशक सोहिंदर गिल ने दावा किया कि संशोधित फेम2 का ई-दोपहिया अपनाने पर खासा असर पड़ा क्योंकि इससे उनकी कीमतों में लगभग 35 प्रतिशत तक की कमी आई।