साल 2023 में करीब नौ लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की बिक्री के साथ भारत दुनिया में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों का दूसरा सबसे बड़ा बाजार हो सकता है, लेकिन इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की पैठ के मामले में कहानी अलग है।
इंटरनैशनल एनर्जी एसोसिएशन (IEA) के आंकड़ों के अनुसार कैलेंडर वर्ष 2023 में जहां चीन इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की 35 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ इस तालिका में सबसे ऊपर है, नौ प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ वियतनाम दूसरे स्थान पर है, सात प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ यूरोप तीसरे स्थान पर है, वहीं पांच प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ भारत चौथे स्थान पर है। एशिया के अन्य देशों की संयुक्त हिस्सेदारी चार प्रतिशत है, जिनमें बांग्लादेश, सिंगापुर, श्रीलंका, ताइवान, पाकिस्तान, म्यांमार, नेपाल और मंगोलिया जैसे देश शामिल हैं।
प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में भारत में कम पैठ इसलिए है, क्योंकि भारत और वैश्विक स्तर पर इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की क्रांति की अगुआई मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक स्कूटरों ने की है। लेकिन भारत में कुल दोपहिया बाजार में स्कूटर (तेल-गैस इंजन वाले और इलेक्ट्रिक) की हिस्सेदारी केवल 30 प्रतिशत ही है, बाकी हिस्सेदारी मोबाइक की है।
लेकिन इलेक्ट्रिक मोबाइक बेचने वाली काफी कम कंपनियां हैं, जिनकी बिक्री नाम मात्र की है। हालांकि ओला इलेक्ट्रिक खेल का रुख बदल सकती है, जो साल 2025 की पहली तिमाही में अपनी इलेक्ट्रिक मोबाइक के मॉडल ला रही है।
चीन इलेक्ट्रिक दोपहिया में बादशाह
इसके विपरीत चीनी दोपहिया बाजार में 80 से 85 प्रतिशत हिस्सेदारी स्कूटर की है और आसियान देशों में यह हिस्स्सेदारी 70 से 75 प्रतिशत है। उत्तरी अमेरिका और यूरोप में इलेक्ट्रिक नवाचार भारी मोबाइक (जो कुल दोपहिया वाहनों का 50 से 60 प्रतिशत है) और आंशिक रूप से स्कूटर (25 से 30 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी) में हुआ है।
साफ तौर पर चीन इलेक्ट्रिक दोपहिया में बादशाह है। इसने कैलेंडर वर्ष 23 में 59 लाख वाहन बेचे थे। यह संख्या भारत की तुलना में छह गुना अधिक है, जबकि तथ्य यह है कि कैलेंडर वर्ष 2022 की तुलना में यह बिक्री 25 प्रतिशत कम रही और अगर मैकिन्से सेंटर फॉर फ्यूचर मोबिलिटी का अनुमान सही है, तो यह अंतर जारी रहेगा। उनका अनुमान है कि कैलेंडर वर्ष 2030 में चीन में 6.5 से 70 करोड़ ईदोपहिया (जिसमें 25 किमी से कम की अधिकतम रफ्तार वाली बाइक शामिल हैं) होने का अनुमान है। दूसरी तरफ भारत में ई-दोपहिया वाहनों में सात से नौ गुना (70 से 90 लाख) वृद्धि दिखनी चाहिए।