कार, घड़ियां, स्पीकर, सीलिंग फैन, एयर प्यूरीफायर, बल्ब, टीवी, फोन के साथ ही स्मार्ट डिवाइस की लिस्ट में कई नाम तेजी से जुड़ते जा रहे हैं। ये सभी अपनी जगह बेहद कारगर उपकरण हैं लेकिन जब इन सबको एक साथ इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) के इकोसिस्टम में जोड़ दिया जाए तो ये डिवाइस कमाल कर सकते हैं।
चाहे घर हो या ऑफिस, ऑटेमैटिक मोड ऑन करते ही IoT जीवन को और आसान बना देता है। लेकिन अब सवाल ये आता है कि इस तरह का स्मार्ट स्पेस बनाया कैसे जाए? इसी सवाल का जवाब है हम आपके लिए इस आर्टिकल में लेकर आए हैं।
आइए स्टेप-बाय-स्टेप जानते हैं कि भारत में स्मार्ट स्पेस बनाने के लिए मौजूद प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करके स्मार्ट होम,या ऑफिस कैसे बनाया जाए-
हैरानी की बात है कि ये सेटअप बिना इंटरनेट के भी मुमकिन है
हां, इंटरनेट आवश्यक है, लेकिन अनिवार्य नहीं है। हैरानी की बात है, लेकिन ये सच है। क्योंकि अधिकतर IoT प्लेटफॉर्म के लिए इंटरनेट की जरुरत होती है, लेकिन कुछ ऐसे ऑप्शन भी मौजूद हैं जो इस काम को बिना इंटरनेट के कर सकते है।
नेटवर्क ऑफ़ थिंग्स (NoT) इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसकी पहुंच सीमित फंक्शन तक ही है। जबकि IoT और NoT डिवाइस दोनों के लिए मूलभूत सिद्धांत (Fundamentals) एक जैसे ही हैं। इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ IoT अधिकतर लोगों की पहली पसंद है, क्योंकि इससे ऑटोमेशन और रिमोट एक्सेस जैसी सुविधाएं मिलती है।
इसके अलावा, भारत में NoT डिवाइस आसानी से उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए हम यहां पर बात करेंगे इंटरनेट बेस्ड प्लेटफॉर्म की, क्योंकि ये आसानी से भारत में उपलब्ध हैं, साथ ही सेट-अप करना आसान है, ये रियलिस्टिक एक्सपीरियंस देते हैं।
नेटवर्क: वायर्ज या वायरलेस? (Network: Wired or wireless )
स्मार्ट स्पेस सेट करने के लिए वायरलेस नेटवर्क पर इंटरनेट की जरुरत होती है क्योंकि अधिकतर स्मार्ट डिवाइस केवल वायरलेस कनेक्टिविटी को ही सपोर्ट करते हैं। यही कारण है कि हम वायरलेस मोडेम और राउटर का इस्तेमाल करते हैं। वायरलेस मॉडेम या राउटर में कुछ चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है और वो है- रेंज, फ्रीक्वेंसी बैंड और सिक्योरिटी।
रेंज इसलिए जरूरी है ताकि कितना एरिया कवर हो रहा है उसे देखा जा सके, इसलिए हाई रेंज वाला मॉडेम या राउटर स्मार्ट स्पेस सेट-अप के लिए एक बेहतर फिट है। छोटे एरिया के लिए एक साधारण वायरलेस नेटवर्क वाला मॉडेम या राउटर ठीक काम कर सकता है, लेकिन बड़ी जगहों और कई मंजिला इमारतों के लिए विस्तृत नेटवर्किंग सेट-अप जैसे कि Mesh की आवश्यकता होगी।
मेश (Mesh) नेटवर्क, वाई-फाई राउटर जैसे डिवाइसेस का एक समूह है, जिसे नोड कहा जाता है, ये सिंगल नेटवर्क के रूप में काम करते हैं। एक मेश नेटवर्क में, केवल एक राउटर के बजाय आपको आसपास की कनेक्टिविटी के कई सोर्स मिलते हैं। क्योंकि मेश नेटवर्क एक एरिया चारों तरफ के प्वाइंट्स पर फैला होता है,, इसलिए ये बड़ी जगहों पर बेहतर कवरेज देते हैं।
स्मार्ट सेट-अप के लिए वायरलेस मॉडेम या राउटर में उसकी फ्रीक्वेंसी बैंड एक और जरुरी चीज है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिकतर स्मार्ट होम डिवाइस केवल 2.4Ghz फ़्रीक्वेंसी बैंड को सपोर्ट करते हैं। इसलिए, अगर आपके पास 2.4GHz फ़्रीक्वेंसी बैंड पर इंटरनेट सपोर्ट है तो आप स्मार्ट सेट-अप के लिए तैयार हैं।
स्मार्ट स्पेस सेट-अप के लिए वो वायरलेस मॉडेम या राउटर बेस्ट हैं जो कि अलग-अलग सर्विस सेट आइडेंटिफ़ायर (SSIDs) के लिए आवश्यक अलग-अलग फ्रीक्वेंसी को सपोर्ट करते हैं। उदाहरण के लिए, 5GHz और 2.4GHz बैंड के लिए SSID वाला डुअल-बैंड वायरलेस मॉडेम या राउटर।
सुरक्षा का सवाल
स्मार्ट-होम या IoT डिवाइस सबसे कम सुरक्षित हैं और प्रोडक्ट के लेवल पर सिक्योरिटी मजबूत करने के लिए आपके पास कम तरीके हैं। इसलिए, नेटवर्क को सिक्योर करना ही साइबर अटैक से बचने का सबसे अच्छा तरीका है।
गेस्ट नेटवर्क के साथ आने वाला वायरलेस राउटर या मॉडेम, IoT सेट-अप को इंटरनेट से जुड़े बाकी उपकरणों से अलग करने में मदद करता है। इसके अलावा, मॉडेम या राउटर में वाई-फाई प्रोटेक्टेड एक्सेस 2 (WPA2) और सिक्योरियी सर्टिफिकेशन को भी जरूर देखें। ऊपर बताए गए तरीके और WPA2 वायरलेस नेटवर्क पर भेजे गए या सिरीव हुए डेटा के इन्क्रिप्ट (Encrypt) करता है।
भारत में क्या है उपलब्ध
भारत में मौजूद दो Iot इनेबल प्लेटफॉर्म हैं- Amazon Alexa और Google Home. इसके अलावा Apple HomeKit और Samsung SmartThings भी मौजूद हैं लेकिन सपोर्टेड डिवाइसों के मामले में ये दोनों Amazon Alexa और Google Home से पीछे हैं।
स्मार्ट सेट-अप के लिए सही इको सिस्टम चुनना जरूरी है क्योंकि अधिकतर मॉर्डन IoT डिवाइस इंटरऑपरेबिलिटी (Interoperability) का समर्थन नहीं करते हैं।
हालाँकि, इसमें भी बदलाव संभव है- IoT उपकरणों के लिए एक नया मानक विशेष रूप से इंटरऑपरेबिलिटी को सपोर्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। हालाँकि, मैटर-प्रमाणित IoT ( Matter-certified IoT) डिवाइस की सूची को भारत में मेनस्ट्रीम बनने में समय लगेगा।
अच्छी बात ये है कि Google and Amazon दोनों ने ही अपने मौजूदा IoT डिवाइसों के लिए Matter support का ऐलान कर दिया है.
कंट्रोल सेंटर (The control center)
यह एक वो डिवाइस है जिससे कि आप बाकि के सभी IoT उपकरणों को मैन्युअल रूप से या वॉयस कमांड के जरिए कंट्रोल करते हैं। एक स्मार्ट स्पीकर, स्मार्टफोन, स्मार्ट डिस्प्ले आदि एक हब हो सकते हैं। उपयोग में आसान और किफायती हब एक स्मार्टफोन है, लेकिन एक स्मार्ट स्पीकर एक बेहतर विकल्प है।
स्मार्ट डिवाइस
सिक्योरिटी कैमरों से लेकर एयर प्यूरीफायर और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस तक, कई प्रोडक्ट्स का स्मार्ट वर्ज़न उपलब्ध है जो कि आसानी से बाजार में अवेलेबल है।
स्मार्ट सेट-अप बनाने के लिए अगर आपको इन स्मार्ट डिवाइस में किसी बात का ख्याल रखना तो वे है- इको सिस्टम, मैटर सर्टिफिकेशन और वॉयस कमांड सपोर्ट। आम तौर पर, स्मार्ट डिवाइस अपने ऐप सपोर्ट के साथ आते हैं जो कि स्मार्टफ़ोन पर उपलब्ध होते हैं। इन ऐप्स के माध्यम से आप स्मार्ट डिवाइस को सेट अप कर सकते हैं, कनेक्ट और मैनेज कर सकते हैं।
इसके अलावा, ये ऐप स्मार्ट डिवाइस को हब से जोड़ने के लिए गेटवे हैं। यहां पर इस बात पर गौर करना जरूर है कि सभी डिवाइस हब के जरिए काम नहीं करते, कुछ केवल उनके ऐप्स के माध्यम से ही काम करेंगे।
इसलिए, अगर आप स्मार्ट सेट-अप के लिए डिवाइसेस की खरीदारी करने जा रहे हैं तो IoT सपोर्ट फंक्शन्स की डिटेल्स एक बार जरूर चेक कर लें।

