फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) के आंकड़े से पता चलता है कि भारत में वाणिज्यिक वाहनों (सीवी) की बिक्री चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सालाना आधार पर 2 फीसदी तक बढ़कर 463,695 वाहन रही। पहली छमाही में सीमित वृद्धि मुख्य रूप से हल्के वाणिज्यिक वाहन (एलसीवी) और मध्यम वाणिज्यिक वाहन (एमसीवी) खंडों के कारण हुई।
प्राइमस पार्टनर्स के सलाहकार अनुराग सिंह ने कहा, ‘हल्के और मध्यम वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री में वृद्धि हुई है, जो आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि का संकेत है, खासकर शहर के भीतर और छोटी दूरी के वाणिज्यिक वाहनों में।’ अप्रैल-सितंबर की अवधि के दौरान समग्र वाणिज्यिक वाहन खंड में खुदरा बिक्री में केवल 2 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई।
हालांकि, मासिक आंकड़ों में उतार-चढ़ाव देखा गया। कैलेंडर वर्ष के शुरुआती महीनों में जहां मजबूत आंकड़े देखे गए, वहीं जनवरी में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, मई 2025 में खुदरा बिक्री में सालाना आधार पर 3.7 प्रतिशत की गिरावट आई, जो ‘डीलरशिप के पास बढ़ी हुई इन्वेंट्री’के समग्र रुझान को दर्शाता है।
समग्र वृद्धि को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक भारी वाणिज्यिक वाहन (एचसीवी) खंड का प्रदर्शन था, जिसमें गिरावट देखी गई।
सिंह ने बताया, ‘भारी वाणिज्यिक वाहनों की संख्या में गिरावट आई है और दिलचस्प बात यह है कि इसका एक प्रमुख कारण बेहतर सड़कें और टोल व चेक पोस्ट पर कम समय की बर्बादी है।’ उन्होंने बताया कि मौजूदा बेड़े की उत्पादकता में इस वृद्धि ने वाहन बदलने की तत्काल आवश्यकता को कम कर दिया है, जिससे नए भारी-भरकम ट्रकों की मांग कम हो गई है।
मौजूदा चुनौतियों के बावजूद, कमर्शियल व्हीकल (सीवी) बाजार का परिदृश्य सकारात्मक बना हुआ है। अनुराग सिंह ने कहा कि अच्छे मॉनसून और जीएसटी में कमी के कारण बढ़ी आर्थिक गतिविधियों के मद्देनजर, तीनों खंडों (एलसीवी, एमसीवी और एचसीवी) के लिए संभावनाएं अनुकूल हैं।
रेटिंग एजेंसी आईसीआरए ने वित्त वर्ष 2025 में 1.2 प्रतिशत की मामूली गिरावट के बाद, पूरे वित्त वर्ष 2026 के लिए थोक वाणिज्यिक वाहनों की मात्रा में 3-5 प्रतिशत की मामूली वार्षिक वृद्धि का अनुमान लगाया है। इस वृद्धि को स्थिर व्यापक आर्थिक माहौल और निर्माण एवं बुनियादी ढांचा गतिविधियों में सुधार से मदद मिलने की उम्मीद है। इस वृद्धि का नेतृत्व बस श्रेणी द्वारा किया जाएगा, जिसमें मजबूत रीप्लेसमेंट मांग के कारण 8 से 10 प्रतिशत की ऊंची दर से विस्तार होने की उम्मीद है।