वर्ष 2010 में वैश्विक वित्तीय संकट के बावजूद नई दिल्ली के प्रगति मैदान में 10 से 17 जनवरी के बीच 10वें ऑटो एक्सपो (Auto Expo) के आयोजन के दौरान लोगों की भारी भीड़ देखी गई थी। करीब 125,000 वर्ग मीटर में फैली इस जगह का कोई भी एक कोना अछूता नहीं रहा और इस ऑटो एक्सपो में करीब 2,100 एक्जीबिटर्स और करीब 18 लाख दर्शक शामिल हुए। यह संख्या वर्ष 2008 के ऑटो एक्सपो के आंकड़ों से अधिक थी, जिस दौरान टाटा मोटर्स ने 1 लाख रुपये की कार ‘नैनो’ को बड़े उत्साह के साथ लॉन्च किया गया था।
महामारी और समय तय न होने के कारण तीन साल तक ऑटो एक्सपो टलता रहा लेकिन इस साल इसके आयोजन में स्वच्छ ऊर्जा पर काफी जोर दिया गया जिसके केंद्र में डीजल-पेट्रोल इंजन से अब इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बढ़ती दिलचस्पी को दर्शाया गया। इसके अलावा प्रौद्योगिकी में बदलाव के संकेत के तौर पर कई उच्च-प्रौद्योगिकी से लैस वाहनों और कॉन्सेप्ट गाड़ियों की भीड़ देखी गई। लेकिन निश्चित तौर पर एक्सपो के उन सुनहरे दिनों की तरह यहां उतनी हलचल नहीं दिख रही थी।
वाहनों का प्रदर्शन करने वालों की संख्या कम होकर 700 के आंकड़े को ही पार कर पाई जो 2010 की संख्या का एक-तिहाई है। वर्ष 2019-2020 के दौरान कम मांग के मद्देनजर, महामारी से पहले वर्ष 2020 के आखिरी एक्सपो के दौरान ही आयोजकों ने शुरुआत में वर्ष 2021 तक इस शो को स्थगित करने की योजना बनाई थी। हालांकि उन्होंने ऐसा नहीं किया, लेकिन आशंका के बावजूद शो में 1,500 से एक्जीबिटर्स आए।
इस साल शो में अनुपस्थित रहने वाली दिग्गज कंपनियों में होंडा, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, मर्सिडिज-बेंज, बीएमडब्ल्यू, ऑडी, स्कोडा और फोक्सवैगन जैसे वाहन निर्माता शामिल हैं जिन्हें उद्योग में मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) भी कहा जाता है। ऑटो एक्सपो में ओईएम का शामिल न होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन ये इस उद्योग के कुछ प्रमुख नाम हैं।
उम्मीद के मुताबिक ही पर्यावरण को संरक्षित करने पर जोर दिए जाने के इस दौर में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) ने इस साल काफी सुर्खियां बटोरीं। टाटा, मारुति, हुंडई, किया, एमजी और बीवाईडी ने इलेक्ट्रिक वाहनों के सेगमेंट में अपनी नई और भावी पेशकश दिखाई।
एमजी मोटर के एक्जीबिशन पवेलियन में छोटी पवन चक्कियों, ऊबड़-खाबड़ और चट्टानी इलाकों के साथ कतार में खड़े पेड़ों और घास की जगह जैसे दृश्यों को तैयार कर एक हरित क्षेत्र की परिकल्पना की गई। ऑटो एक्सपो में ड्रोन का घूमना भी एक आम दृश्य था। मारुति, हुंडई और एमजी मोटर ने मेटावर्स में भी एक साथ ही लॉन्च किए और अपने ऑटो एक्सपो फ्लोर पर ही ‘डिजिटल ट्विन्स’ भी पेश किया। हुंडई के हॉल में इलेक्ट्रिक-चालित सिटीस्केप का एक ऑगमेंटेड-रियलिटी मॉडल मौजूद था जिससे यह पता चले कि वास्तव में कोई गाड़ी का कैसा प्रभाव होगा।
स्टार्टअप और छोटे कारोबारियों को भी ऑटो एक्सपो में खूब तवज्जो मिली। इनमें से कई ने बाहरी डिजाइन, व्हीकल-टू-लोड सेटअप, चार्जिंग स्टेशन के अलावा भी कई अन्य चीजों में अपने नवाचार का प्रदर्शन किया। गोदावरी इलेक्ट्रिक मोटर्स ने इम्पैक्ट-रेजिस्टेंट सामग्री से बने ईवी की पेशकश की जिसे संभवतः तोड़ा नहीं जा सकता है। रिपॉस एनर्जी ने अपना बायो-ईवी चार्जर निकाला, जो कचरे से बिजली पैदा कर सकती है।
कुछ स्टार्ट-अप ने बड़े ब्रांडों मसलन मारुति, एमजी के निर्देशन में ही अपनी तकनीक का प्रदर्शन किया वहीं किया ने तकनीकी स्टार्ट-अप को कुछ जगह आवंटित की थी। लेकिन सभी बड़े ओईएम के पास स्टार्ट-अप के लिए जगह नहीं थी इसकी वजह यह थी कि ग्रेटर नोएडा में चल रहा ऑटो एक्सपो प्रगति मैदान की फैली हुई जगह से बिल्कुल भी मेल नहीं खाता है।
एक प्रमुख वाहन निर्माता के एक अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम ऐसी जगह पर हैं जहां प्रगति मैदान के आकार से लगभग आधी ही जगह है। इसके अलावा, हमें स्टार्ट-अप के साथ जगह साझा करने के लिए कहा गया है जो अक्सर कुछ कार एक्जीबिटर्स की बराबर जगह लेते हैं। शायद आयोजक स्टार्ट-अप और नवाचार करने वालों के लिए एक अलग जगह पर विचार कर सकते हैं।’
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दोपहिया वाहनों के सेगमेंट में, ओला इलेक्ट्रिक, ओकीनावा स्कूटर्स, हीरो इलेक्ट्रिक और एथर एनर्जी जैसे ब्रांडों ने एक्सपो में हिस्सा नहीं लिया जो इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में जाने-माने नाम हैं। इनका कहना था कि एक्सपो में भागीदारी करने की लागत ज्यादा है और मीडिया की भी दिलचस्पी इसमें कम हो रही है, साथ ही ग्राहकों का उत्साह भी ज्यादा नहीं है।
उनका कहना था कि इसके बजाय बिजनेस-टू-बिजनेस स्टार्टअप ने जब ई-कॉमर्स डिलीवरी के लिए डिजाइन किए गए अपने ई-रिक्शा और बाइक का प्रदर्शन किया तब भारी-भरकम भीड़ जुटी। ऑटो एक्सपो में हिस्सा लेने वालों में अल्ट्रावायलेट और इसकी ई-बाइक कॉन्सेप्ट एफ99, लाइगर मोबिलिटी का ऑटो-बैलेंसिंग स्कूटर और एम्पीयर का एनएक्सजी कॉन्सेप्ट सबसे ज्यादा चर्चित रहे।