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घरों में लगा 20 करोड़ बेकार इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का ढेर

करीब 40 फीसदी प्रतिभागियों ने माना कि उनके पास चार या अ​धिक बेकार उपकरण पड़े हैं।

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सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- September 01, 2023 | 10:17 PM IST

देश में रद्दी या बेकार इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का अंबार लगता जा रहा है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक स्मार्टफोन और लैपटॉप सहित करीब 20.6 करोड़ इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भारतीय घरों में बेकार पड़े हैं। सर्वेक्षण एक्सेंचर के साथ मिलकर इंडियन सेल्युलर ऐंड इलेक्ट्रॉनिक एसोसिएशन (आईसीईए) ने कराया था और इसकी रिपोर्ट ‘पाथवेज टु अ सर्कुलर इकॉनमी इन इंडियन इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर’ शीर्षक के साथ जारी की गई है।

वित्त वर्ष 2021 तक उपलब्ध अनुमानों के मुताबिक आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इनसे पता चलता है कि देश में इलेक्ट्रॉनिक कचरा अथवा इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से पैदा होने वाला कचरा खत्म करने में बड़ी चुनौती सामने आती है। पर्यावरण सुरक्षा और टिकाऊ उत्पादन पक्का करने के लिए यह सरकार की प्रमुख प्राथमिकता है मगर ई-कचरे के निपटान की समस्या अब भी बरकरार है।

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रिपोर्ट के अनुसार 40 फीसदी प्रतिभागियों ने माना कि उनके पास मोबाइल और लैपटॉप सहित कम से कम चार उपकरण ऐसे हैं, जो वर्षों से खराब पड़े हैं। उपभोक्ताओं के इस बरताव के पीछे तीन मुख्य कारण हैं: अच्छे आ​र्थिक प्रोत्साहन का अभाव, उपकरणों से व्यक्तिगत लगाव क्योंकि बहुत अधिक निजी डेटा होने के कारण लोग इन्हें छोड़ना ही नहीं चाहते और जागरूकता का अभाव। सर्वेक्षण से पता चलता है कि पांच में से दो उपभोक्ता बेकार उपकरण रीसाइक्लिंग के लिए देने से मना कर देते हैं। उन्हें पता ही नहीं है कि रीसाइक्लिंग कितनी जरूरी है।

रिपोर्ट कहती है कि वित्त वर्ष 2021 में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों (हर 15 मोबाइल फोन पर 1 लैपटॉप) की संख्या करीब 51.5 करोड़ थी। मगर 7.5 करोड़ बेकार भी पड़े थे। इस तरह तरह संख्या 20.6 करोड़ होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले वर्षों में यह संख्या बढ़ी ही होगी।

इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की रीसाइ​क्लिंग मुख्य तौर पर दो रास्तों से होती है – अनौपचारिक कबाड़ियों के जरिये और थोक कबाड़ कारोबारियों के जरिये। अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले कबाड़ी उपभोक्ताओं के घर से बेकार पड़े उपकरण इकट्ठे कर लेते हैं, जबकि औपचारिक तौर पर काम करने वाले थोक कबाड़ कारोबारी संबं​धित ब्रांड के साथ मिलकर काम करते हैं।

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उपभोक्ताओं के घरों से करीब 90 फीसदी बेकार पड़े मोबाइल फोन अनौपचारिक कबाड़ियों के जरिये ही जाते हैं। वास्तविक रीसाइ​क्लिंग के समय 70 फीसदी उपकरण अनौपचारिक क्षेत्र के जरिये आते हैं जबकि 22 फीसदी संगठित कंपनियों के जरिये। 2 फीसदी उपकरणों का इस्तेमाल पुर्जे निकालने के लिए होता है, मगर इसमें समय लगता है। बाकी को जमीन के भीतर गड्ढे में डालदिया जाता है, जहां खतरनाक ई-कचरा रिसने की आशंका बनी रहती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि मरम्मत की जरूरत वाले करीब 60 फीसदी उपकरणों को सस्ते अनौपचारिक क्षेत्र में खपा दिया जाता है। इसमें वारंटी की अव​धि खत्म होने वाले मोबाइल फोन आदि शामिल होते हैं। इस बाजार में महज 18 फीसदी उपभोक्ता ही संगठित कंपनियों के जरिये अपने उपकरणों की मरम्मत कराते हैं।

First Published : September 1, 2023 | 10:17 PM IST