सिगरेट से लेकर आतिथ्य कारोबार से जुड़ी आईटीसी ईस्ट इंडिया होटल्स (ईआईएच) में हिस्सेदारी को लेकर फिर से विचार कर रही है। ईआईएच के तहत ओबराय शृंखला के तहत होटलों का परिचालन किया जाता है। आईटीसी ने कहा कि हिस्सेदारी को लेकर सभी विकल्पों को खुला रखा गया है। आईटीसी के चेयरमैन वाई सी देवेश्वर ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि हम ईआईएच में हिस्सेदारी को लेकर विचार कर रहे हैं। इसका मतलब काउंटर ऑफर या फिर अपनी हिस्सेदारी बेचने से भी हो सकता है। हालांकि दोनों ही मामले में कोई भी निर्णय लेने का अधिकार कंपनी के बोर्ड को ही है। हालांकि इसका अर्थ जबरिया अधिग्रहण से नहीं लगाया जा सकता है। इससे पहले सीआईआई-आईटीसी सम्मेलन में देवेश्वर ने संवाददाताओं से कहा था कि कंपनी ने ईआईएच में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए विकल्प खुला रखा है। लेकिन वह जबरिया अधिग्रहण के लिए बोली लगाने के पक्ष में नहीं है। अनलजीत सिंह की ओर से ईआईएच में अतिरिक्त 17 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की योजना के बारे में देवेश्वर ने कहा कि अगर कोई ईआईएच में हिस्सेदारी लेना चाहता है तो उसे रोका नहीं जा सकता। वैसे, अपनी योजना के बारे में आईटीसी फिर से विचार करेगी। इस बारे में ईआईएच के प्रवक्ता से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि कंपनी अफवाहों पर कोई टिप्पणी नहीं करेगी। ईआईएच में आईटीसी की 14.98 फीसदी हिस्सेदारी है। हालांकि अनिवार्य रूप से अतिरिक्त 20 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए खुली पेशकश करने की सीमा सेबी ने 15 फीसदी हिस्सेदारी पर तय की है। देवेश्वर ने आईटीसी की सालाना आम बैठक में भी कहा था कि कंपनी ईआईएच मामले में जबरिया अधिग्रहण के पक्ष में नहीं है और संयुक्त रूप से मालिकाना हक और मार्केटिंग करने की बात कही थी। इस मामले में नया मोड़ तब सामने आया जब यह खबर आई कि अनलजीत सिंह ईआईएच को खरीदने की जुगत में लगे हैं। पिछले महीने ईआईएच के चेयरमैन पीआरएस ओबराय की ओर से अनलजीत सिंह को 17 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की बात सामने आई।
