'इक्विटी बाजार भारत की वृद्घि को दर्शाते हैं' | पुनीत वाधवा / January 02, 2022 | | | | |
बीएस बातचीत
नए कोविड वैरिएंट की वजह से सतर्क धारणा के साथ 2022 में बाजारों में तेजी के बीच सेंट्रम ब्रोकिंग के मुख्य कार्याधिकारी (इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज) निश्चल माहेश्वरी ने पुनीत वाधवा को दिए साक्षात्कार में बताया कि अमेरिकी फेडरल द्वारा नरम दरें वापस लेने और डॉलर में मजबूती को देखते हुए विदेशी निवेशकों द्वारा कम से कम अल्पवाधि में भारतीय इक्विटी में अपने निवेश पर पुनर्विचार किए जाने की संभावना है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
बीच बीच में तेजी के बावजूद, बाजार ऊंचे स्तरों पर बने रहने में विफल रहे हैं। मौजूदा स्थिति में उन्हें किस तरह की अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है?
इस पर विचार करने के दो मुख्य कारक हैं। पहला, ओमिक्रॉन वैरिएंट की वजह से कोविड मामलों में तेजी, जिससे अनिश्चितता बढ़ रही है। कई पश्चिमी देशों ने आंशिक रूप से लॉकडाउन लगा दिया है। भारत में भी कई राज्यों ने कफ्र्यू लगा दिया है, जिससे एक बार फिर से व्यापार एवं आपूर्ति शृंखलाओं में समस्याएं बढ़ सकती हैं। दूसरा है आपूर्ति संबंधित समस्याओं की वजह से मुद्रास्फीति में तेजी आना। आरबीआई ने दरों को लंबे समय के लिए समान बनाए रखा है। हालांकि बढ़ती जिंस कीमतें, दर वृद्घि आसन्न है, इसलिए बाजारों से तरलता निकासी को बढ़ावा मिल रहा है।
क्या आप भारतीय इक्विटी बाजारों को 'तेजी पर बेचें' या फिर 'गिरावट पर खरीदें' के तौर पर वर्गीकृत करेंगे?
गिरावट पर खरीदें। कारण यह है कि बाजारों में दो लॉकडाउन से बच गए हैं और महामारी के प्रभाव का हमारी अर्थव्यवस्था पर मामूली प्रभाव पड़ा है। बाजार अपने ऊंचे स्तरों से करीब 8-9 प्रतिशत गिरे हैं, इसलिए, आप गिरावट के दौरान उचित कीमतों पर अच्छी गुणवत्ता वाले शेयर खरीद सकते हैं, क्योंकि भारत की दीर्घावधि वृद्घि की रफ्तार मजबूत बनी हुई है।
कौन से जोखिमों का अभी पूरी तरह असर नहीं दिखा है?
इक्विटी बाजार भारत की विकास कहानी को दर्शाते हैं और 2022 के दौरान भी यह अनुकूल बने रह सकते हैं। जिन जोखिमों का बाजार पर पूरी तरह सअर नहीं दिखा है, वे हैं बढ़ती मुद्रास्फीति और बाजारों से पूंजी निकासी। मुद्रास्फीति को नियंत्रण के दायरे में लाने में कुछ समय लगेगा।
आप विकसित बाजारों और उभरते बाजारों में इक्विटी से कितने औसत प्रतिफल की उम्मीद कर रहे हैं? क्या भारत का प्रदर्शन अच्छा रहेगा?
पिछले 12-18 महीनों के दौरान, भारतीय इक्विटी ने प्रतिफल के संदर्भ में ईएम के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है। भविष्य में, प्रतिफल को लेकर उम्मीदें नरम रहेंगी, जिसकी वजह से सूचकांकों का प्रदर्शन अन्य ईएम के अनुरूप रहेगा। अमेरिका द्वारा प्रोत्साहन वापस लेने से डॉलर में मजबूती के साथ विदेशी निवेशकों द्वारा कम से कम अल्पावधि में भारतीय इक्विटी में अपने निवेश का पुन: आकलन किए जाने की संभावना है।
क्या प्रमुख भारतीय शहरों में छोटे लॉकडाउन की आशंका को देखते हुए अगली दो तिमाहियों में कॉरपोरेट आय को लेकर निराशा देखी जा सकती है?
अब तक, ओमक्रॉन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कम प्रभाव पड़ा है। भारत को चालू वित्त वर्ष के 9.5 प्रतिशत जीडीपी वृद्घि के साथ समाप्त होने की संभावना है। आरबीआई के ब्याज दर संबंधित नजरिये को कॉरपोरेट आय में वृद्घि के अनुरूप बनाए रखना चाहिए। ऊंची जिंस कीमतें चिंताजनक बनी हुई हैं। हालांकि जिंस सुपरसाइकल नहीं देखा गया है और कच्चे तेल की कीमतें भी ओपेक देशों द्वारा उत्पादन वृद्घि की वजह से नरम रहने की संभावना है। इसलिए हमें आय के मोर्चे पर ज्यादा निराशा की आशंका नहीं है।
2022 के लिए आपके पसंदीदा क्षेत्र कौन से हैं?
हम अपने नजरिये पर रक्षात्मक बने हुए हैं। हम मजबूत आय और नियमित लाभांश भुगतान वाली कंपनियों पर सकारात्मक हैं। हालांकि, हम आईटी और फार्मा पर उत्साहित हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों की मांग बनी हुई है। हम छोटे शहरों में किफायती आवास की बढ़ती मांग को देखते हुए सीमेंट और निर्माण क्षेत्र को भी पसंद कर रहे हैं।
भारतीय उद्योग जगत के दिसंबर तिमाही के आंकड़ों से आपको क्या उम्मीदें हैं?
चूंकि इस तिमाही पर सामान्य तौर पर त्योहारी सीजन का दबदबा रहता है, इसलिए हमें कई क्षेत्रों - कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, वाहन (दोपहिया समेत), और आवासीय रियल एस्टेट में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद है। हालांकि हमें ओमिक्रॉन से संबंधित अनिश्चितता को देखते हुए सबसे पहले आने वाले आंकड़ों का इंतजार रहेगा। हम आईटी सेक्टर पर उत्साहित बने हुए हैं।
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