एनआईपी और एनएमपी योजनाओं की जुगलबंदी होगी अहम | बुनियादी ढांचा | | विनायक चटर्जी / March 10, 2021 | | | | |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में नैशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) नामक बुनियादी विकास की व्यापक योजना की घोषणा की थी। वित्त मंत्री ने 31 दिसंबर, 2020 को एनआईपी के बारे में विस्तृत ब्योरा दिया और अगले पांच वर्ष में इसके लिए 111 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया। वित्त मंत्री ने इस बार के बजट भाषण में इस योजना के अहम क्षेत्रों की कमियां दूर करने की दिशा में अहम कदम उठाए। उनमें एक प्रमुख बात इस योजना के वित्त पोषण की है।
इस मामले में उन्होंने नैशनल मॉनिटाइजेशन पाइपलाइन (एनएमपी) योजना की घोषणा की। इसके तहत सरकार की मौजूदा बुनियादी परिसंपत्तियों की आंशिक या पूरी बिक्री करके धन जुटाया जाएगा। एनआईपी और एनएमपी एक ही पहेली को हल करने के दो पूरक हिस्से हैं। इनके माध्यम से ही यह विचार होगा कि भविष्य में व्यापक बुनियादी विकास योजना को कैसे आगे बढ़ाना है और ऐसी योजनाओं का कैसे वित्त पोषण करना है।
एनआईपी एक अहम समय पर सामने आया है। इसकी घोषणा महामारी की शुरुआत से कुछ महीने पहले की गई थी और कोविड लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के क्रम में इसकी प्रासंगिकता बढ़ गई। वित्त मंत्री ने अपने भाषण में कहा कि एनआईपी की शुरुआत 6,835 परियोजनाओं के साथ की गई थी, अब इनका विस्तार 7,400 परियोजनाओं तक हो चुका है। करीब 1.1 लाख करोड़ रुपये मूल्य की 217 परियोजनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं।
एनआईपी की वित्त पोषण योजना तीन स्तरोंं पर काम करेगी। सबसे पहले ऐसे विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) विकसित किए जाएंगे जो पूरी तरह बुनियादी ढांचा क्षेत्र को वित्तीय मदद मुहैया कराएंगे। इस मामले में वित्त मंत्री ने डीएफआई के गठन के लिए एक विधेयक पेश किया। इसकी कुल पूंजी 20,000 करोड़ रुपये होगी। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा कि योजना यह है कि तीन वर्ष में डीएफआई का ऋण पोर्टफोलियो बढ़ाकर 5 लाख करोड़ रुपये किया जाए।
दूसरा चरण था बजट में पूंजीगत व्यय में इजाफा करना। पिछले वर्ष के बजट अनुमान में इसमें 34.5 प्रतिशत का इजाफा किया गया जबकि योजना का तीसरा चरण परिसंपत्ति मुद्रीकरण से संबंधित है। एनएमपी इसका अहम हिस्सा है।
एनएमपी के दायरे में क्या आता है? वित्त मंत्री ने इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (इनविट) जैसी विशेष उद्देेश्य वाली कंपनियों की बात की जिन्हें भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन जैसे संगठन स्थापित करेंगे और इनका काम क्रमश: सड़क परियोजनाओं और विद्युत पारेषण परियोजनाओं से संबंधित होगा। एनएचएआई ट्रस्ट के पास करीब 5,000 करोड़ रुपये की सड़क परियोजनाएं होंगी जबकि पावर ग्रिड ट्रस्ट के पास लगभग 7,000 करोड़ रुपये की विद्युत पारेषण परिसंपत्तियां होंगी। इन ट्रस्ट्स में ही घरेलू और अंतरराष्ट्रीय संस्थागत निवेश को न्योता दिया जाएगा।
इस राशि के संदर्भ में बात करें तो यह याद रखना उचित होगा कि वित्त मंत्री के भाषण से महज एक महीना पहले सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि एनएचएआई अगले पांच वर्ष में टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (टीओटी) आधार पर राजमार्गों का मुद्रीकरण करके एक लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रहा है। सड़क परियोजनाओं और बिजली पारेषण परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण तो केवल शुरुआत है। वित्त मंत्री ने रेलवे द्वारा उसके डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजना के कुछ हिस्सों और छोटे शहरों में हवाई अड्डा परियोजनाओं के मुद्रीकरण की बात भी कही। अन्य क्षेत्रों और परियोजनाओं में गेल, आईओसीएल तथा एचपीसीएल की तेल एवं गैस पाइपलाइन, सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन जैसे संस्थानों की गोदाम जैसी परिसंपत्तियां और खेल स्टेडियम आदि भी शाामिल हैं।
खबरों से संकेत मिलते हैं कि सालाना लक्ष्य तय करने के बजाय सरकार सन 2024 तक के लिए मुद्रीकरण लक्ष्य तय करना चाहती है। मंत्रालयों से कहा गया है कि वे नीति आयोग से सलाह मशविरा करके ऐसी परिसंपत्तियों की सूची तैयार करें। खबरों में कहा गया है कि दो लाख करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्तियों की बिक्री की जा सकती है। सालाना लक्ष्य और तयशुदा खाकों से आगे बढऩे का अर्थ यह है कि संभावित निवेशकों को जांच परख का अधिक वक्त मिलेगा। पहली बार जब एनआईपी की घोषणा की गई थी तब वह एक दूरदर्शी सोच वाली योजना थी और वह केंद्र और राज्य स्तर पर सरकारों तथा निजी क्षेत्र की बड़ी परियोजनाओं के वित्त पोषण की जरूरतों से उपजी थी। यह बात दिलचस्प है कि उक्त वित्त पोषण योजना निजी क्षेत्र की पूंजी के एनएमपी के जरिये आने को लेकर अधिक आशावादी नजर आती है। यह इस बात की स्पष्ट स्वीकारोक्ति है कि फिलहाल निवेशक जोखिम भरी नई परियोजनाओं के बजाय पहले से संचालित परियोजनाओं को अधिक तवज्जो दे रहे हैं।
लंबी अवधि के दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर देखें तो सड़क आदि क्षेत्रों में दशक भर लंबी बुनियादी परियोजनाओं के निर्माण मसलन स्वर्णिम चतुर्भुज और उत्तर-पूर्व-पश्चिम-दक्षिण कॉरिडोर जैसी परियोजनाओं का लाभ अब सामने आ रहा है। केवल राजमार्ग ही नहीं बल्कि बिजली, बंदरगाह और हवाई अड्डा क्षेत्र में भी सरकार ने मुश्किल कदम उठाए और बीते दो दशक में निवेश संबंधी अहम निर्णय लिए। एनएमपी के गति पकडऩे के बाद वह भी ऐसे निवेश को तार्किक परिणति तक पहुंचाएगा। इस प्रक्रिया में एनएमपी बुनियादी निवेश के क्षेत्र में नए सिरे से मांग तैयार करेगा जो उतने ही महत्त्वाकांक्षी होंगे जितना कुछ वर्ष पहले के निवेश थे। एनआईपी और एनएमपी की जुगलबंदी बुनियादी क्षेत्र और हमारे देश के लिए बहुत बेहतर होनी चाहिए। इनमें से एक से निवेश आएगा तो दूसरा संसाधन जुटाने का काम करेगा।
(लेखक फीडबैक इन्फ्रा के चेयरमैन हैं)
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