क्रिकेट के मैदान में तेजी से भागते हुए रन बनाने में महेंद्र सिंह धोनी जैसा माहिर शायद ही कोई और खिलाड़ी है। मगर चार साल पहले इंगलैंड के ओल्ड ट्रैफर्ड में जब पूर्व भारतीय कप्तान दूसरे रन के लिए दौड़ते हुए रन आउट हो गए थे तो उस मनहूस दिन ने करोड़ों भारतीयों का दिल तोड़ दिया था। शायद उसी दिन धोनी जान गए थे कि अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उनका सफर यहीं खत्म हो चुका है।
डीप स्क्वायर लेग से फेंका गया मार्टिन गुप्टिल का वह थ्रो सीधे विकेट पर लगा और धोनी इंच भर से चूक गए और इसी के साथ भारतीय टीम का 2019 विश्व कप का सफर भी खत्म हो गया था। टूर्नामेंट की सबसे पसंदीदा टीम न्यूजीलैंड से हारकर सेमीफाइल से बाहर हो गई। इतने सालों बाद भी वह दृश्य देखकर क्रिकेट प्रेमियों में मायूसी छा जाती है।
गुरुवार 5 अक्टूबर से शुरू होकर अगले 45 दिनों तक चलने वाले क्रिकेट के इस महाकुंभ में भारत एक बार फिर लोगों का दिल जीत सकता है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) विश्व कप टूर्नामेंट के मैच इस साल भारत में दस जगहों पर आयोजित होने जा रहे हैं। आईसीसी का यह आयोजन इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) और टी20 लीग जैसे फॉर्मेट का मजा ले रहे करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों का रुझान 50 ओवर के फॉर्मेट के प्रति बेहतर करेगा।
आजकल लोग कम समय में पूरे मैच का आनंद लेना चाहते हैं। ऐसे में लोग एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय (ODI) क्रिकेट मैच को तभी याद करते हैं जब विश्व कप नजदीक होता है। पूर्व भारतीय विकेटकीपर दिनेश कार्तिक ने कहा था, ‘टेस्ट क्रिकेट कला फिल्मों की तरह है, जबकि टी20 व्यावसायिक सिनेमा है। अब एक दिवसीय मैच किसी भी देश में नहीं खेला जाता है।’
क्रिकेट लेखक एवं प्रसारक ज्योफ लेमन ने अपने पॉडकास्ट ‘द फाइनल वर्ल्ड कप’ में एक दिवसीय क्रिकेट मैच के अस्तित्व पर संकट के बारे में बताया है। उन्होंने लिखा है, ’50 ओवर का क्रिकेट मैच दोस्तों के उस समूह जैसा है जिनसे आपकी मुलाकात कई वर्षों से न हुई हो और जब आप उनसे मिलते हैं तो आपको लगता है कि वास्तव में वह जबरदस्त है। हमारे पास एक अच्छा अवसर है और आगे भी हमें मिलते रहना चाहिए।’
लेमन ने कहा है, ‘मगर ऐसा कभी नहीं हो पाता है। जब एक दिवसीय मैच हमारे सामने होता है तो हम उसे पसंद करते हैं, मगर जब नहीं हो रहा होता है तो हम वाकई उसके बारे में अधिक नहीं सोचते हैं।’दुनिया भर में टी20 फ्रैंचाइजी का प्रसार बढ़ाया जा रहा है लेकिन इस एक दिवसीय फॉर्मेट को बहाल करने की कोशिश नहीं हो रही है। इस विफलता के लिए प्रशासकों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। इंगलैंड के पूर्व कप्तान माइकल एथरटन ने आगाह किया है कि आईपीएल के बाद से क्रिकेट का स्वरूप बिल्कुल बदल गया है।
आईपीएल अपनी स्थापना के बाद पिछले 15 वर्षों में प्रति खेल मूल्यांकन के आधार पर अमेरिका के नैशनल फुटबॉल लीग (एनएफएल) के बाद दुनिया का दूसरा सबसे अमीर खेल टूर्नामेंट बन गया है। उन्होंने स्काई स्पोर्ट्स से कहा, ‘इस सदी के पहले दो दशक के दौरान क्रिकेट में जबरदस्त बदलाव आया है और उसके इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। क्रिकेट में बदलाव आगे भी जारी रहेगा।’
एथरटन ने कहा कि पिछले साल दक्षिण अफ्रीका ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीन एक दिवसीय मैच वाली द्विपक्षीय श्रृंखला को रद्द कर दिया था। उसने यह निर्णय इसलिए लिया था ताकि आईपीएल की तर्ज पर वह अपना टी20 लीग स्थापित कर सके।
वास्तविकता यह है दक्षिण अफ्रीका संभवतः इस साल 50 ओवर के फॉर्मेट वाले विश्व कप टूर्नामेंट के लिए अपनी पात्रता गंवाने की कीमत पर ऐसा कर रहा था। एथरटन इससे कहीं अधिक चिंतित थे। लेकिन शुक्र है, दक्षिण अफ्रीका ने अपना रुख बदल लिया।
बढ़ता असंतुलन
बहरहाल, इससे फ्रैंचाइजी क्रिकेट और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की ताकत के बीच बढ़ते असंतुलन का साफ तौर पर पता चलता है। जुलाई में मैर्लबन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने सुझाव दिया था कि विश्व कप के आयोजन से एक साल पहले के अलावा द्विपक्षीय एक दिवसीय मैचों को खत्म किया जाए। उसे लंबे समय से इस खेल के एक संरक्षक के तौर पर जाना जाता रहा है।
उसकी दलील थी कि फ्रैंचाइजी टी20 टूर्नामेंटों की बाढ़ को देखते हुए कुछ न कुछ तो देना ही होगा और जाहिर तौर पर उसका नुकसान द्विपक्षीय एक दिवसीय मैच को ही उठाना पड़ेगा।
इंगलैंड के टेस्ट कप्तान बेन स्टोक्स ने पिछले साल एक दिवसीय मैच से संन्यास लेने की घोषणा की थी जो एक जबरदस्त झटका था। इस ऑलराउंडर खिलाड़ी ने मल्टी-फॉर्मेट खिलाड़ी के तौर पर खेल के बढ़ते दबाव का हवाला दिया था। मगर इसी साल अगस्त में 32 वर्षीय ने स्टोक्स ने कहा था कि वह 50 ओवर के मैच वाले विश्व कप टूर्नामेंट में इंगलैंड को जिताने के लिए खेलेंगे।
भारत की राष्ट्रीय चयन समिति के पूर्व अध्यक्ष एमएसके प्रसाद ने माना कि स्टोक्स जैसे खिलाड़ी अपना टूर्नामेंट खुद चुन सकते हैं। प्रसाद ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘स्टोक्स को सभी द्विपक्षीय एक दिनी मुकाबलों में उतरने की जरूरत नहीं है। वह मैच जिताने वाले खिलाड़ी हैं और इसलिए उन्हें विश्व कप जैसे प्रमुख टूर्नामेंट में अवश्य खेलना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘आगे चलकर हम कई ऐसे खिलाड़ी देखेंगे जो एक ही फॉर्मेट में खेलना पसंद करेंगे क्योंकि कोई भी खिलाड़ी लंबे समय तक तीनों फॉर्मेट में नहीं खेल सकता है।’
फुटबॉल की राह पर क्रिकेट
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कोच रवि शास्त्री का मानना है कि टेस्ट क्रिकेट को फ्रैंचाइजी क्रिकेट के हमले का सामना करना पड़ सकता है। उन्हें लगता है कि क्रिकेट भी फुटबॉल की राह पर चलेगा। शास्त्री ने ईसीपीएन क्रिकइन्फो से कहा, ‘टीमें क्रिकेट वर्ल्ड कप से पहले एकजुट होकर कुछ द्विपक्षीय टूर्नामेंट खेलेंगी और फिर क्रिकेट के महाकुंभ से पहले खिलाड़ियों को उनके क्लब छोड़ेंगे। इसलिए यह फुटबॉल की ही राह पर चलेगा, भले आप इसे पसंद करें या न करें।’
1990 के दशक में भारतीय लोगों के लिए एकदिवसीय मैचों का मतलब ऑस्ट्रेलिया के साथ त्रिकोणीय श्रृंखला थी। कंपकंपाती सर्दी में लोग अलार्म बस इसलिए लगाते थे क्योंकि वे रिची बेनौ और बिल लॉरी की कमेंट्री सुन सकें। 1970 के दशक में ऑस्ट्रेलिया के साथ त्रिकोणीय श्रृंखला अब यादों का हिस्सा बन गई है।
यह चैनल 9 के अभिलेखागार (आर्काइव्स) में रखी हुई है। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के प्रशासकों का कहना है कि त्रिकोणीय श्रृंखला में अब दर्शकों की रुचि कम हो रही है, जिसका असर भी देखने को मिल रहा है। जबकि, प्रशंसकों ने इसे ऑस्ट्रेलिया की घरेलू टी20 लीग बिग बैश को बढ़ावा देने के लिए कॉरपोरेट लालच करार दिया।
क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंडुलकर ने एकदिवसीय क्रिकेट प्रारूप को बचाने के लिए वर्षों पहले एक सुझाव दिया था। उनका कहना था कि एकदिवसीय मैच को 50-50 ओवर की दो पारियों के बजाय 25-25 ओवर की चार पारियों में बांटा जाए। तेंडुलकर का तर्क था कि इससे बेजान हो रहे क्रिकेट के इस प्रारूप के प्रति लोगों की दिलचस्पी फिर से जगेगी। सिर्फ सबसे तेज क्रिकेट के दिमाग ही इसका समाधान निकाल सकते हैं।