देश के वाहन कलपुर्जा उद्योग को सेमीकंडक्टर की मौजूदा कमी और जिंस की कीमतों में लगातार मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति से निकट भविष्य में राहत की उम्मीद नहीं है। ऑटोमोटिव कम्पोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एक्मा) के अध्यक्ष संजय कपूर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में उद्योग के कुल कारोबार को प्रभावित करने वाले दो कारकों द्वारा वाहन कलपुर्जा फर्मों पर दबाव बनाना जारी रहेगा, भले कम से कम निकट भविष्य में मांग मजबूत रहने की उम्मीद हो।
उन्होंने कहा ‘सेमीकंडक्टर का मसला अभी तक हल नहीं हुआ है। इसमें कुछ समय लगेगा। वाहन विनिर्माताओं के उत्पादन कार्यक्रम को देखकर हमें ऐसा ही लग रहा है।’ सेमीकंडक्टर उद्योग में वाहनों का योगदान महज सात से 10 फीसदी ही रहता है। उन्होंने कहा कि कारों में जिन चिपों का इस्तेमाल किए जाने पर विचार हो रहा है, उस संख्या को देखते हुए यह आंकड़ा 20 फीसदी तक जा सकता है।
एक्मा के महानिदेशक विनी मेहता ने कहा कि शीर्ष संगठन का अनुमान है कि चिप की कमी के कारण वित्त वर्ष 2021-22 के अंत तक 1,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा। पिछले सप्ताह रेटिंग एजेंसी इक्रा ने यात्री वाहन निर्माताओं के मामले में 5,00,000 इकाइयों की उत्पादन हानि का अनुमान जताया था, यानी 1,500 करोड़ रुपये से लेकर 2,000 करोड़ रुपये तक का वित्तीय नुकसान।
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में वाहन कलपुर्जा उद्योग का कुल कारोबार सालाना आधार पर 65 फीसदी बढ़कर 1.96 लाख करोड़ रुपये हो गया। महामारी से उपजे लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुए कल साल बाद ऐसा हुआ है। मूल प्रभाव के अलावा कपूर ने इसके लिए नियामकीय अनुपालन को पूरा करने के लिए मूल्यवर्धन के वास्ते बढ़ोतरी, बाहरी बाजारों में तेजी से सुधार और घरेलू आफ्टरमार्केट में आकर्षण को जिम्मेदार ठहराया है।
कपूर ने कहा कि वाहनों की मांग के पुनरुत्थान के बावजूद समीकंडक्टरों की उपलब्धता के आपूर्ति पक्ष के मसलों, कच्चे माल की लागत में वृद्धि, लॉजिस्टिक की बढ़ती लागत और कंटेनरों की उपलब्धता आदि वाहन क्षेत्र के सुधार में बाधा बनी हुई है। कपूर ने कहा कि बढ़ती लॉजिस्टिक लागत, कच्चे माल की अधिक कीमत और चिप किल्लत के चुनौतीपूर्ण माहौल के बीच निर्यात और आफ्टरमार्केट में वृद्धि उम्मीद की किरण रहे हैं।
जहां एक ओर निर्यात 76 प्रतिशत बढ़कर 68.7 लाख करोड़ रुपये हो गया, वहीं दूसरी ओर आयात 71 प्रतिशत बढ़कर 64.3 लाख करोड़ रुपये हो गया, जिससे 60 करोड़ डालर का व्यापार अधिशेष हुआ। अनुमानित रूप से 38,895 करोड़ रुपये के आफ्टरमार्केट क्षेत्र में भी 25 प्रतिशत की स्थयी वृद्धि नजर आई है। उन्होंने कहा कि घरेलू बाजार में ओईएम को कलपुर्जों की बिक्री 76 प्रतिशत बढ़कर 1.53 लाख करोड़ रुपये हो गई है।
