भारत को इस बार फिर से ओलिंपिक खेलों में निराशा का सामना करना पड़ा। पोडियम पर पहुंचने वाले मेडल विजेताओं और इससे दूर रहने वालों के बीच महज एक पतली रेखा की दूरी भर रही। अधिकतर खेलों में भारतीय खिलाड़ी चौथे स्थान पर रह गए।
पेरिस ओलिंपिक खत्म होने में अब सिर्फ 4 दिन शेष हैं और अब तक के प्रदर्शन के आधार पर ऐसा लगता है कि भारतीय खिलाड़ी टोक्यो ओलिंपिक के मुकाबले इस बार कम पदकों के साथ देश लौटेंगे। इसका बड़ा कारण यह है कि पेरिस में खेले गए अधिकतर खेलों में भारतीय खिलाड़ी चौथे स्थान पर रहे।
बैडमिंटन के शीर्ष खिलाड़ी रहे लक्ष्य सेन के पास इस बार मौका था कि वह कांस्य जीतने वाले पहले भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बन सके मगर उन्होंने शुरुआती बढ़त के बावजूद शानदार मौका गंवा दिया। निशानेबाज अर्जुन बबूता ने 10 मीटर एयर राइफल के फाइनल मुकाबले में अपना सबसे न्यूनतम स्कोर दर्ज किया। दुर्भाग्य से इस बार पेरिस ओलिंपिक खेलों में भारत के पास फिलहाल केवल तीन कांस्य पदक है।
लक्ष्य सेन (बैडमिंटन): कांस्य पदक के मुकाबले सेन मलेशिया के ली जी जिया से मुकाबला हार गए यानी 12 वर्षों में पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बगैर किसी पदक के देश लौटेंगे।
मनु भाकर (25 मीटर एयर राइफल निशानेबाजी): इस बार के खेलों में दो पदक जीतने वाली मनु भाकर महिलाओं के 25 मीटर एयर राइफल निशानेबाजी के मुकाबले में तीसरी बार कांस्य पदक जीतने से चूक गईं।
अर्जुन बबूता (10 मीटर एयर राइफल निशानेबाजी सिंगल्स): क्रोएशिया के मिरान मैरिसिक के साथ मुकाबले में पदक जीतने से बबूता महज 1.4 अंक से चूक गए। क्रोएशिया के खिलाडी ने 209.8 स्कोर किया जबकि बबूता का स्कोर 208.4 रहा।
अंकिता भकत और धीरज बोम्मादेवरा (तीरंदाजी): अंकिता भकत और धीरज बोम्मादेवरा ने पेरिस ओलिंपिक में तीरंदाजी में पदक श्रेणी में पहुंचने वाली पहली भारतीय जोड़ी बनकर इतिहास रच दिया। सेमीफाइनल में दक्षिण कोरिया और कांस्य पदक मुकाबले में अमेरिकी खिलाड़ियों से हारकर वे पदक जीतने से वंचित रह गए।
महेश्वरी चौहान और अनंत जीत सिंह नरूका (स्कीट मिश्रित निशानेबाजी): चौहान और नरूका कांस्य पदक जीतने से महज एक अंक से चूक गए। चीनी युगल के 44 के मुकाबले चौहान और नरूका ने 50 में से 43 शॉट लगाए।
पीटी उषा (1984): फिलहाल भारतीय ओलिंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा को 1984 में लॉस एंजलिस ओलिंपिक के लिए याद किया जाता है।
उन्होंने 400 मीटर की रेस को 55.42 सेकंड में पूरा किया मगर कांस्य पदक जीतने से सेकंड के 100वें हिस्से से चूक गईं।
मिल्खा सिंह (1960): फ्लाइंग सिंह रोम में खेले गए 1960 के ओलिंपिक में महज 0.1 सेकंड से अपने लिए कांस्य पदक नहीं जीत सके।
अभिनव बिंद्रा (2016): रियो डी जिनेरियो में अपना पांचवां और आखिरी ओलिंपिक खेल रहे बिंद्रा चौथे स्थान पर रहे और अपने करियर का स्वर्णिम अंत नहीं कर सके।