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ई-स्कूटर से टक्कर देगी ओला

Last Updated- December 12, 2022 | 6:57 AM IST

ओला इलेक्ट्रिक ने तमिलनाडु के कृष्णागिरि में 500 एकड़ भूमि पर 2022 तक दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक स्कूटर (ई-स्कूटर) विनिर्माण फैक्टरी लगाने की योजना बनाई है। इससे भारतीय दोपहिया कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी को जबरदस्त झटका लग सकता है। ई-स्कूटर में बैटरी बदलने का एक बड़ा फायदा होगा जिससे वाहन की लागत को कम करने में मदद मिलेगी।
विश्लेषकों का कहना है कि ई-स्कूटर को बाजार में लोकप्रियता मिलने का एक प्रमुख कारक उसकी लागत है। उसके बाद ग्राहक सरकारी प्रोत्साहन, स्वामित्व लागत और उपयुक्त बुनियादी ढांचे पर गौर करते हैं। करीब 2,400 करोड़ के निवेश से तैयार होने वाली इस संयंत्र की सालाना क्षमता 1 करोड़ वाहनों के उत्पादन की होगी। घरेलू दोपहिया बाजार की वार्षिक बिक्री को देखते हुए इसे काफी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। घरेलू बाजार में दोपहिया वाहनों की सालाना बिक्री फिलहाल 1.5 से 1.7 करोड़ के दायरे में है। परियोजना शुरू करने से संबंधित कंपनी की रणनीति फिलहाल अधिक स्पष्ट नहीं है लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि शुरुआती स्वीकार्यता फूड डिलिवरी और रेंटल ऐप्लिकेशन से मिल सकती है। हालांकि दोपहिया वाहनों की कुल बिक्री में ई-वाहनों की हिस्सेदारी 0.4 फीसदी से भी कम है लेकिन खुदरा क्षेत्र में तेजी मौजूदा कंपनियों को जबरदस्त रफ्तार मिल सकती है।
रिलायंस सिक्योरिटीज के अनुसंधान प्रमुख मितुल शाह का मानना है कि ओला की अधिक क्षमता के कारण अगले तीन से पांच वर्षों के दौरान कुछ ग्राहक पेट्रोल इंजन वाले दोपहिया से ई-दोपिहया की ओर रुख कर सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप मौजूदा दोपहिया विनिर्माताओं को कुछ हद तक बाजार हिस्सेदारी का नुकसान हो सकता है।
हालांकि ओला इलेक्ट्रिक एक जबरदस्त प्रतिस्पर्धी होगी लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि मौजूदा कंपनियों को कोई नई प्रतिस्पर्धी कंपनी अचानक अलग-थलग नहीं कर सकती है क्योंकि अधिकतर कंपनियां ई-वाहन जैसे बजाज ई-चेतक, एथर 450 अथवा टीवीएस आईक्यूब आदि की ओर पहले ही रुख कर चुकी हैं।
हीरो मोटोकॉर्प एथर एनर्जी में अपने निवेश के अलावा खुद का इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन भी बना रही है। यदि ओला इलेक्ट्रिक मौजूदा 1.2 लाख रुपये की कीमत के मुकाबले अपने उत्पाद की एक आकर्षक कीमत निर्धारित करती है तो वह मौजूदा खिलाडिय़ों को जबरदस्त टक्कर दे सकती है। अधिकतर विश्लेषकों का मानना है कि 2024 तक मौजूदा बाजार हिस्सेदारी में उल्लेखनीय कमी दिख सकती है।

First Published - March 16, 2021 | 11:37 PM IST

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