खेल

ख्वाजा को लगा झटका, ICC ने ‘आर्मबैंड’ बैन के खिलाफ अपील खारिज की

ICC के प्रवक्ता ने तब कहा था, ‘‘उस्मान ने क्रिकेट आस्ट्रेलिया और ICC से अनुमति लिये बिना पाकिस्तान के खिलाफ पहले मैच में निजी संदेश (बांह पर काली पट्टी) दिया।

Published by
भाषा   
Last Updated- January 07, 2024 | 7:23 PM IST

आर्मबैंड (काली पट्टी) पहनने के कारण लगे प्रतिबंध के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा की अपील को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद ने खारिज कर दिया। यह दावा सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड की एक रिपोर्ट में रविवार को किया गया।

ख्वाजा ने पाकिस्तान के खिलाफ तीन मैचों की श्रृंखला के शुरुआती टेस्ट के दौरान गाजा में इस्राइल और फलस्तीन के बीच चल रहे संघर्ष से प्रभावित होने वाले बच्चों के समर्थन में बांह पर काली पट्टी बांधी थी। इसके लिए ICC ने उन्हें फटकार लगाई । पाकिस्तान में जन्में 37 साल के ख्वाजा आस्ट्रेलिया के लिये टेस्ट खेलने वाले पहले मुस्लिम क्रिकेटर हैं।

रविवार को सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि ‘पर्थ में पाकिस्तान के खिलाफ पहले टेस्ट के दौरान मैदान पर काली पट्टी पहनने के लिए उस्मान ख्वाजा को ICC ने फटकार लगाई थी। ICC ने उनके खिलाफ प्रतिबंध हटाने की अपील को खारिज कर दी है।’’

ICC के नियमों के तहत क्रिकेटर अंतरराष्ट्रीय मैचों के दौरान किसी तरह के राजनीतिक, धार्मिक या नस्लवादी संदेश की नुमाइश नहीं कर सकते। लेकिन पूर्व खिलाड़ियों, परिजनों या किसी अहम व्यक्ति के निधन पर पहले से अनुमति लेकर काली पट्टी बांध सकते हैं।

Also read: David Warner ने बताया रिटायरमेंट का प्लान, IPL को लेकर कही ये बात

ICC के प्रवक्ता ने तब कहा था, ‘‘उस्मान ने क्रिकेट आस्ट्रेलिया और ICC से अनुमति लिये बिना पाकिस्तान के खिलाफ पहले मैच में निजी संदेश (बांह पर काली पट्टी) दिया। यह अन्य उल्लंघन श्रेणी में आता है और पहला अपराध होने पर उन्हें फटकार लगाई गई है।’’ इससे पहले ख्वाजा 13 दिसंबर को अभ्यास सत्र के लिये उतरे तो उनके बल्लेबाजी के जूतों पर ‘आल लाइव्स आर इकवल’ और ‘ फ्रीडम इज ह्यूमन राइट’ लिखा हुआ था।

ख्वाजा ने तब कहा था, ‘‘ICC ने पर्थ टेस्ट के दूसरे दिन मुझसे पूछा था कि काली पट्टी क्यों बांधी है और मैंने कहा था कि यह निजी शोक के कारण है। मैंने इसके अलावा कुछ नहीं कहा था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं ICC और उसके नियमों का सम्मान करता हूं। मैं इस फैसले को चुनौती दूंगा। जूतों का मसला अलग था। मुझे वह कहकर अच्छा लगा लेकिन आर्मबैंड को लेकर फटकार का कोई मतलब नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि जब वह अभ्यास सत्र के लिये आये तो उनका कोई छिपा हुआ एजेंडा नहीं था। उनके जूतों पर लिखे नारे हालांकि गाजा में चल रही जंग की ओर इंगित करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा कोई एजेंडा नहीं था। मैं उस बात पर रोशनी डालना चाहता था जिसका मैं धुर समर्थक हूं और मैने सम्मानजनक तरीके से ऐसा किया। मैंने जूतों पर जो लिखा, उसके बारे में मैं लंबे समय से सोचता आया हूं। मैंने मजहब को इससे परे रखा। मैं मानवता के मसले पर बात कर रहा था।’’

First Published : January 7, 2024 | 7:23 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)