भारत में कार खरीदार अधिक सुविधाओं से लैस टॉप-एंड वेरिएंट्स के लिए प्रवेश स्तर के मॉडलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। टॉप-एंड वेरिएंट्स इन्फोटेनमेंट ऐप्लिकेशन के साथ टचस्क्रीन, एंड्रॉयड ऑटो और ऐपल कारप्ले जैसी सुविधाओं लैस होती हैं जिससे उसकी कीमत अपेक्षाकृत बढ़ जाती है। कार खरीदारों के बीच बेहतर सुविधाओं के लिए अधिक खर्च करने की प्रवत्ति ऐसे समय में दिख रही है जब वेतन में कटौती एवं छंटनी के कारण लोगों की आय को झटका लगा है।
कार बाजार की अग्रणी कंपनी मारुति सुजूकी की कुल बिक्री में मिड-एंड एवं टॉप-एंड वेरिएंट्स के योगदान में वृद्धि दर्ज की गई है। कंपनी अपनी हर श्रेणी में यह प्रवृत्ति देख रही है। साल 2020-21 के पहले 11 महीनों के दौरान इस प्रकार के मॉडलों के योगदान में सालाना आधार पर उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। अन्य कार विनिर्माताओं ने भी प्रवेश स्तर के मॉडलों की कीमत पर महंगे वेरिएंट्स की मांग में तेजी दर्ज की है।
मारुति सुजूकी के कार्यकारी निदेशक (बिक्री एवं विपणन) शशांक श्रीवास्तव ने कहा कि कार खरीदारों के इस रुझान के पीछे कोई एक कारण नहीं है। किसी श्रेणी में ग्राहक क्यों महंगे वेरिएंट्स को पसंद करते हैं इसके बारे में परस्पर विरोधी सिद्धांत हैं। एक सहज तर्क यह है कि कार खरीद श्रेणी में लोगों के पास यात्रा अथवा छुट्टियों जैसे मद में खर्च करने के लिए सीमित अवसर होते हैं और इसलिए खर्च करने लायक अधिक आय होने पर वे कार खरीदते हैं।
श्रीवास्तव ने कहा, ‘काफी हद तक यह टेलीस्कोपिंग ऑफ डिमांड की घटना है जिसे फिलहाल देखा जा रहा है।’ इसमें ग्राहक किसी श्रेणी में अगले सस्ते विकल्प की ओर रुख करता है और उस विशेष श्रेणी में सबसे ऊपरी मॉडल को लेने का निर्णय लेता है।
चालू वित्त वर्ष के पहले 11 महीनों के दौरान बलेनो के टॉप-एंड वेरिएंट जेडएक्सआई का योगदान सालाना आधार पर 47.6 फीसदी से बढ़कर 51.2 फीसदी हो गया। ब्रेजा, अर्टिगा आदि अन्य मॉडलों में भी यही रुझान दिखा। अर्टिगा के मिड-टर्म वेरिएंट्स 17.4 फीसदी चढ़ गया और अर्टिका की कुल बिक्री में उसका योगदान 66.7 फीसदी हो गया। साथ ही वीएक्सआई में 16.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई और ऑल्टो की बिक्री में उसका योगदान 46.1 फीसदी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कोई स्वाभाविक रुझान नहीं है बल्कि कार विनिर्माताओं ने अधिक मुनाफा वाले उच्च वेरिएंट्स की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए यह रणनीति अपनाई है।