टायर बनाने वाली प्रमुख कंपनी सिएट टायर्स अगले दो वर्षों में अपने एकल खुदरा आउटलेट की संख्या दोगुनी करने की योजना बना रही है। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि छोटे शहरों और कस्बों से निजी वाहनों की मांग में तेजी आ रही है और इसे भुनाने के लिए कंपनी उन ग्राहकों तक अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही है। आरपीजी समूह की कंपनी अपनी इस योजना के तहत अगले दो वर्षों में 100 सिएट आउटलेट खोलेगी जो अधिकतर छोटे शहरों और कस्बों में होंगे।
सिएट टायर्स के मुख्य परिचालन अधिकारी अर्णव बनर्जी ने कहा, ‘आउटलेट की संख्या में यह विस्तार कंपनी के इतिहास में सर्वाधिक है। इससे कंपनी के कुल आउटलेट की संख्या बढ़कर 600 हो जाएगी।’ उन्होंने कहा, ‘छोटे-बड़े दोनों शहरों में व्यक्तिगत वाहनों को लोग काफी प्राथमिकता दे रहे हैं। इन वाहनों में पुरानी कार और दोपहिया अथवा नए वाहन दोनों शामिल हो सकते हैं। देश भर में दिख रही इस प्रवृत्ति से टायरों की मांग में तेजी आई है।’
छोटे शहरों के ये नए फॉर्मेट स्टोर महानगरों के बड़ फॉर्मेट स्टोरों के मुकाबले कहीं अधिक कॉम्पैक्ट और उपयुक्त होंगे। ये विशेष स्टोर महज एक बिक्री चैनल से अधिक होंगे। ये एक्सक्लूसिव आउटलेट ही नहीं बल्कि एक्सपीरिएंस चैनल होंगे। बनर्जी ने कहा, ‘हम इन स्टोरों में आने वाले ग्राहकों के खरीद पूर्व एवं बाद के सेवा अनुभव का विश्लेषण करेंगे। इससे ग्राहकों के साथ व्यक्तिगत तौर पर जुडऩे में मदद मिलेगी।’ उन्होंने कहा कि इस पहल से एक्सक्लूसिव चैनलों से आने वाले राजस्व में भी वृद्धि होगी।
सिएट इन स्टोरों की स्थापना पर 30 से 35 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। जबकि विपणन एवं संचार सहित अन्य खर्च का वहन फ्रैंचाइजी साझेदार करेंगे।
इस बीच, समग्र कारोबार के बारे में बताते हुए बनर्जी ने कहा कि कंपनी अपनी 90 फीसदी से अधिक क्षमता पर परिचालन कर रही है। उन्होंने कहा कि यात्री कार और दोपहिया विनिर्माताओं के साथ-साथ रीप्लेसमेंट बाजार से भी अच्छी मांग दिख रही है। आमतौर पर टायरों के लिए अधिक मांग वाली जून तिमाही के बारे बनर्जी ने कहा, ‘हम उच्च वृद्धि के चरण में प्रवेश कर रहे हैं।’
सिएट की विस्तार योजनाओं को लोगों की उस प्रवृत्ति से भी रफ्तार मिल रही है जिसके तहत वे अपने वाहनों को लंबे समय तक बरकरार रखना चाहते हैं। इससे रीप्लेसमेंट बाजार में टायरों की मांग बढ़ रही है जो मात्रात्मक बिक्री के लिहाज से कोविड-पूर्व स्थिति में पहले ही
पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि डंपिंगरोधी शुल्क लगाए जाने से आयात में नरमी आई है और उससे घरेलू टायर विनिर्माताओं को फायदा मिला है। कंपनी के कुल राजस्व में रीप्लेसमेंट बाजार का योगदान 65 से 70 फीसदी है।
यहां तक कि पिछले साल वैश्विक महामारी के कारण जब भारत के वाहन बाजार की रफ्तार सुस्त पड़ गई थी तो रीप्लेसमेंट बाजार पर अधिक निर्भरता के कारण टायर उद्योग को सहारा मिला था। इंडिया रेटिंग्स रिसर्च के अनुसार, वित्त वर्ष 2020 में जब वाहन उद्योग की बिक्री में गिरावट के कारण मूल उपकरण विनिर्माता श्रेणी की बिक्री में सालाना आधार पर 16.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी तो रीप्लेसमेंट श्रेणी की बिक्री में महज 2.6 फीसदी की गिरावट दिखी थी।
