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घूमने के लिए विदेश अब महंगा

Last Updated- December 11, 2022 | 5:26 PM IST

डॉलर के मुकाबले रुपये में इस साल अब तक 7 प्रतिशत की गिरावट के कारण विदेश यात्रा करने की योजना बनाने वाले या अपने बच्चों को विदेशी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए भेजने वाले लोगों को काफी अधिक खर्च करना पड़ सकता है। महामारी से पहले या 2019 की तुलना में बढ़ती मांग, हवाई किराये में वृद्धि और ऑन-ग्राउंड शुल्क की वजह से विदेश जाने की लागत में 50 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है।
अगर छह महीने पहले की कीमतों की तुलना की जाए तब भी मांग में तेजी और कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल के कारण एयर टर्बाइन ईंधन (एटीएफ) की कीमत भी बढ़ गई है। घूमने की लागत बढ़ने के साथ ही हवाई किराया भी महंगा हो गया है। उदाहरण के तौर पर मुंबई में एटीएफ की कीमतें जुलाई में तेजी से बढ़कर 140 रुपये प्रति लीटर हो गई हैं जो 2022 की शुरुआत में लगभग 75 रुपये और पिछले अप्रैल में 56 रुपये थीं। एटीएफ की लागत आमतौर पर विमानन कंपनी के कुल खर्च का 40-50 प्रतिशत होती है।
अंतरराष्ट्रीय पर्यटन पैकेज के मूल्य में हवाई किराया, होटल, ग्राउंड ट्रांसपोर्ट, दर्शनीय स्थलों की यात्रा, भोजन, वीजा और बीमा जैसी चीजें शामिल होती हैं। हवाई किराया और बीमा प्रीमियम रुपये में अंकित हैं। वीजा शुल्क रुपये में लिए जाते हैं लेकिन कीमत विदेशी मुद्रा में तय होती है। वीजा शुल्क में उतार-चढ़ाव, विनिमय दर (आरओई) पर निर्भर करता है। वर्तमान में जबकि अधिकांश वीजा शुल्क महामारी से पहले के स्तर के समान हैं ऐसे में विनिमय दरों के कारण रुपये की लागत बढ़ गई है। आमतौर पर, दौरे की लागत इस बात पर निर्भर करती है कि कोई व्यक्ति कितने दिन कहीं ठहरता है और इसमें हवाई कीमतों की हिस्सेदारी 30-50 प्रतिशत होती है।
एसओटीसी ट्रैवल के अध्यक्ष और कंट्री हेड (हॉलिडे) डैनियल डिसूजा के अनुसार, ‘मांग में तेजी, आपूर्ति से जुड़ी बाधाओं, एटीएफ की लागत में वृद्धि के साथ ही हमने हवाई किराये में वृद्धि देखी है।’ लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि यह विमानन कंपनियों की क्षमता और विमान मार्गों के बढ़ने के साथ स्थिर होना चाहिए, हालांकि यह चरणबद्ध तरीके से होना चाहिए।’
ईजमाईट्रिप के प्रवक्ता ने कहा कि ईंधन की कीमतों में वृद्धि और मांग में वृद्धि के कारण 2019 के बाद से हवाई किराये में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। होटल के किराये में भी 10-15 प्रतिशत तक की तेजी आई है। उन्होंने कहा, ‘हमने बुकिंग पर कोई महत्त्वपूर्ण प्रभाव नहीं देखा है क्योंकि यात्रा का रुझान बना हुआ है।’
थॉमस कुक इंडिया के अध्यक्ष और कंट्री हेड (हॉलिडे) राजीव काले इस बात से सहमत हैं कि कीमतें बढ़ गई हैं, लेकिन उनका कहना है, ‘कीमतों में वृद्धि के बावजूद, हमारे ग्राहक अपने पसंदीदा अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों पर छुट्टियों में जाना चाहते हैं। इसमें और तेजी आने की उम्मीद है। हमसे किफायती,  लक्जरी और प्रीमियम प्रॉपर्टी के लिए पूछताछ की जा रही है।’

शिक्षा महंगी होने से बढ़ी चिंता
रुपये में अवमूल्यन के कारण, विदेशों में पढ़ाई करने की लागत भी बढ़ेगी, यहां तक कि उन जगहों पर भी जहां कॉलेजों ने अपनी फीस नहीं बढ़ाई है। शिक्षा सलाहकारों का कहना है कि पहले वे अभिभावकों को सलाह देते थे कि वे लागत में 2-3 प्रतिशत सालाना वृद्धि के लिए तैयार रहें। रुपये के अवमूल्यन के हाल के दौर के बाद, वे उन्हें 5-7 प्रतिशत  वार्षिक वृद्धि के लिए तैयार रहने की सलाह दे रहे हैं।
केवल कुछ अभिभावकों ने ही अपने बच्चे को विदेश भेजने की अपनी योजना फिलहाल टाल दी है। बेंगलूरु में मौजूद स्पार्क करियर मेंटर्स के सह-संस्थापक और निदेशक नीरज खन्ना ने कहा, ‘हम जिन परिवारों के साथ काम करते हैं, उनमें से लगभग 5 प्रतिशत ने अपने बच्चे को देश के ही कॉलेज में भेजने का फैसला किया है।’
बाकी 95 प्रतिशत में से जो वित्तीय रूप से मजबूत हैं, उन्हें किसी बात की चिंता नहीं है। लेकिन बाकी के बीच, चिंता स्पष्ट है। खन्ना का कहना है, ‘ये आमतौर पर वेतनभोगी पेशेवर होते हैं जिन्होंने पहले से ही अपने सभी संसाधनों का निवेश किया होता है मसलन ऋण लिया होता है।’ छात्र और माता-पिता कई तरह से कोशिशें कर रहे हैं। कई लोग  जो अध्ययन के दौरान काम करने के लिए तैयार नहीं थे वे अब सप्ताहांत और छुट्टियों के दौरान ऑनलाइन काम करने की योजना बना रहे हैं। स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने वाले छात्र शिक्षण सहायकों की नौकरी की तलाश में हैं। कुछ लोग छुट्टियों के दौरान भारत नहीं लौटने की योजना बनाते हुए काम करना चाहते हैं।
पटना की एक छात्रा अवंतिका सिंह, जल्द ही विदेश जाने वाली हैं और वह कुछ लागत-कटौती उपायों की योजना बना रही हैं। वह कहती हैं, ‘मैं किसी के साथ मिलकर रहने की योजना बना रही हूं जो परिसर से बाहर हो और सस्ता हो। इसके अलावा मैं खुद ही खाना पका लूंगी।’किस देश में पढ़ाई करनी है और कौन से कॉलेज में नामांकन करना है इसकी पूरी लागत का अनुमान लगाएं, न कि केवल ट्यूशन फीस और आवास लागत का। अवांस फाइनैंशियल सर्विसेज के मुख्य रणनीति अधिकारी और मुख्य कारोबार अधिकारी (डिजिटल कारोबार) अमित यादव ने कहा, ‘शिक्षा ऋण का चयन करने से पहले एक छात्र को कुल खर्च का अनुमान लगाने के लिए कुछ शोध कर उचित ऋण राशि के लिए आवेदन करना होता है।’ हालांकि, रुपये का अवमूल्यन उन छात्रों के हित में होगा जिन्होंने अपने पाठ्यक्रमों को लगभग पूरा कर लिया है।

First Published - July 21, 2022 | 12:49 AM IST

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