facebookmetapixel
FTA में डेयरी, MSMEs के हितों का लगातार ध्यान रखता रहा है भारतः पीयूष गोयलसरकार ने ‘QuantumAI’ नाम की फर्जी निवेश स्कीम पर दी चेतावनी, हर महीने ₹3.5 लाख तक की कमाई का वादा झूठाStocks To Buy: खरीद लो ये 2 Jewellery Stock! ब्रोकरेज का दावा, मिल सकता है 45% तक मुनाफाEPF नियमों पर दिल्ली हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: विदेशी कर्मचारियों को भी देना होगा योगदानSectoral ETFs: हाई रिटर्न का मौका, लेकिन टाइमिंग और जोखिम की समझ जरूरीED-IBBI ने घर खरीदारों और बैंकों को राहत देने के लिए नए नियम लागू किएकमजोर बिक्री के बावजूद महंगे हुए मकान, तीसरी तिमाही में 7 से 19 फीसदी बढ़ी मकान की कीमतमुंबई में बिग बी की बड़ी डील – दो फ्लैट्स बिके करोड़ों में, खरीदार कौन हैं?PM Kisan 21st Installment: किसानों के खातें में ₹2,000 की अगली किस्त कब आएगी? चेक करें नया अपडेटनतीजों के बाद दिग्गज Telecom Stock पर ब्रोकरेज बुलिश, कहा- खरीदकर रख लें, ₹2,259 तक जाएगा भाव

प्रवासी भारतीयों की संख्या 18 प्रतिशत बढ़ी

Last Updated- December 11, 2022 | 8:28 PM IST

कोरोनावायरस महामारी के बावजूद विदेश में बसने वाले भारतीयों की तादाद में कोई विशेष कमी नहीं आई है लेकिन वर्ष 2015 से 2018 के बीच के डेटा यह दर्शाते हैं कि गैर-प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) की संख्या में पिछले तीन सालों में 18 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है।
वर्ष 2015 में भारत के करीब 1.14 करोड़ भारतीय विदेश में बस गए और 2018 में इनकी तादाद बढ़कर 1.34 करोड़ हो गई। सरकार के डेटा भी यह दर्शाते हैं कि अनुमानत: 11 लाख भारतीय छात्र विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ते हैं।
विदेश जाने वाले भारतीयों का पंजीकरण अनिवार्य नहीं है। हालांकि आवश्यक प्रवास जांच (ईसीआर) की श्रेणी के तहत आने वाले 18 देशों में प्रवास करने वालों के लिए यह जरूरी होता है। ऐसे में सरकार देश से बाहर जाने वाली प्रतिभाओं का अनुमान नहीं लगा पाती है।
हालांकि आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) की 2015-16 की एक रिपोर्ट से कुछ संदर्भ मिलते हैं। ओईसीडी के डेटा के मुताबिक पढ़े-लिखे प्रवासियों के एक बड़े समूह में भारतीय शामिल हैं। वर्ष 2000-01 और 2015-16 के बीच ओईसीडी डेटा से संकेत मिलते हैं कि करीब 31 लाख उच्च शिक्षित भारतीय भारत से बाहर रहते थे।
ईसीआर के डेटा चेक दर्शाते हैं कि एशिया, पश्चिमी एशिया और अफ्रीका के 18 देशों में 2014 और 2019 के बीच करीब 30 लाख लोगों का पलायन हुआ। ईसीआर चेक उन लोगों के लिए अनिवार्य होता है जो या तो अकुशल हैं या फिर उन क्षेत्रों में काम कर सकते हैं जहां कम कुशलता की जरूरत होती है।
हालांकि एनआरआई की संख्या बढ़ रही है और ईसीआर नौकरियों की तादाद में भी बढ़ोतरी हुई है और इसमें 2014 से ही कमी आ रही है। डेटा दर्शाते हैं कि वर्ष 2014 में 805,000 लोगों का पलायन इन 18 देशों में हुआ लेकिन 2019 में भारत के प्रवासियों की तादाद महज 368,048 थी।
आगे के विश्लेषण से यह अंदजा मिलता है कि वर्ष 2017 और 2019 के बीच जम्मू कश्मीर, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश से ईसीआर श्रेणी के तहत विदेश जाने वालों की संख्या बढ़ी है। बाकी राज्यों के लोगों का पलायन इन 18 देशों में कम  देखा गया।
उत्तर प्रदेश के एक-तिहाई लोग इन 18 देशों में गए जबकि आबादी के अनुपात के लिहाज से देखा जाए तो हर एक लाख की आबादी के पलायन के संदर्भ में केरल इस सूची में 53.7 के साथ शीर्ष पर रहा और इसके बाद उत्तर प्रदेश और पंजाब का स्थान है।

First Published - March 28, 2022 | 11:10 PM IST

संबंधित पोस्ट