एचडीएफसी बैंक के मुख्य सूचना अधिकारी (सीआईओ) रमेश लक्ष्मीनारायणन बैंक के बॉस शशिधरन जगदीशन के साथ प्रौद्योगिकी संबंधित मुद्दों पर चर्चा में हर दिन दो घंटे बिताते थे। जरूरी नहीं कि यह बातचीत व्यवसाय से संबंधित हो, बल्कि यह कई नई अवधारणाओं से जुड़ी भी होती थी।
भारत के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक के सीआईओ ‘गेटिंग क्लाउड राइट: के टु रिस्क मैनेजमेंट इन बैंक्स’ पर आयोजित बिजनेस स्टैंडर्ड की वेबिनार में परिचर्चा में शामिल हुए और उनके साथ बैंक ऑफ बड़ौदा में फिटनेट और नई व्यवसाय पहल के प्रमुख अखिल हांडा, डीसीबी बैंक में मुख्य तकनीकी अधिकारी मुरली राव, सिटी यूनियन बैंक में सीआईओ जी संकरन, और एसएएस के वैश्विक निदेशक (रिस्क बैंकिंग सॉल्युशंस के प्रमुख) रोचा मार्टिम भी मौजूद थे। यह सत्र बिजनेस स्टैंडर्ड के कंसल्टिंग एडिटर तमाल बंद्योपाध्याय द्वारा संचालित किया गया था।
हांडा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, ‘हमें डेटा स्टोर करने के तरीके में बदलाव लाना होगा। अब आप इसे कैसे करते हैं- चाहे यह प्राइवेट क्लाउड के लिए हो, या पब्लिक या हाइब्रिड के लिए हो- यह निर्णय बैंक को लेना है। लेकिन डिजिटल लेनदेन में शानदार वृद्घि का मतलब है कि हमें तेजी से यह बदलाव लाना होगा।’
भारतीय संदर्भ में प्रतिभा को आकर्षित बनाए रखना एक बड़ी समस्या है, क्योंकि एमेजॉन, फेसबुक, गूगल या फ्लिपकार्ट जैसी नए माने की कंपनियों में कार्य के लिए तकनीक से जुड़े लोगों का इस्तेमाल किया जा रहा है। मानव संसाधन पहलू को देखते हुए, वे पारंपरिक बैंकों में कार्य करने को इच्छुक नहीं हो सकते हैं। ऐसा इस बारे में विशेष जानकारी नहीं दी गई थी कि क्या बैंकों को प्रतिभाएं आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए अपनी एचआर नीतियों में बदलाव लाने की जरूरत होगी, खासकर सरकार-संचालित बैंकों के मामले में।
आज हुई इस चर्चा का मुख्य मुद्दा यह था कि क्लाउड टेक्नोलॉजी पर अमल को महज मौजूदा प्रक्रिया की प्रतिकृति के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। इसमें जोर दिया गया था कि प्रौद्योगिकी, लोगों और बिजनेस मॉडलों से जुड़ी जटिलताओं को देखते हुए क्लाउड के लिए चुने गए रास्ते से वापस लौटना मुश्किल था। क्लाउड से संबंधित यह बदलाव ऐसे समय में भी आ रहा है जब महामारी का प्रभाव स्पष्ट है। हांडा ने कहा, ‘बैंक की भागीदारियों की पूरी व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।’
शंकरन ने कहा, ‘डेटा की सुरक्षा ज्यादा महत्वपूर्ण होगी, भले ही इससे प्रदर्शन को लेकर समस्याएं पैदा हों। बैंकों में सांस्कृतिक बदलाव की जरूरत होगी और इसके लिए व्यापक रूप से स्वीकृति नीतियों पर पुनर्विचार करना होगा।’
राव ने कहा, ‘आपको अपने परिचालन से संबंधित विशेष पारिस्थितिकी तंत्र से पूरी तरह अवगत होना होगा, और तब इस बारे में निर्णय लेना होगा।’
क्लाउड ने बैंकों के लिए तेजी से उभरती नई जरूरतों को अपनाने के लिए अवसर प्रदान किया है। मार्टिम ने कहा, ‘उदाहरण के लिए जोखिम प्रबंधन को ही ले लीजिए। इससे अक्सर मासिक या तिमाही पीक लोड वाले समय जुड़े होते हैं। क्लाउड के साथ, आप तुरंत प्रतिक्रिया कर कर सकते हैं, और इसके अलावा पे-ऐंड-यू मॉडल भी हैं जिन्हें आप हासिल कर सकते हैं।’