पेंशन नियामक न्यूनतम सुनिश्चित रिटर्न वाली पेंशन योजनाएं शुरू करने की योजना बना रहा है, जिन्हें पेश करने को इच्छुक पेंशन फंड के प्रबंधकों के लिए अलग-अलग पूंजी की जरूरत पड़ सकती है। सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि जिन फंड प्रबंधकों के पास प्रबंधन के तहत संपत्ति (एयूएम) ज्यादा होगी, उन्हें न्यूनतम पेड-अप कैपिटल की ज्यादा जरूरत पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि दरअसल इसकी जरूरत योजना की डेट और इक्विटी में निवेश के आधार पर भी बदल सकती है।
पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने ईऐंडवाई एक्चुरियल सर्विसेज एलएलपी को न्यूनतम गारंटीयुक्त रिटर्न पेंशन योजना की डिजाइन तैयार करने का काम सौंपा है।
इस समय संयुक्त रूप से या व्यक्तिगत रूप से प्रायोजकों को पीएफआरडीए के पास आवेदन करने के लिए पिछले 5 वित्तीय वर्षों के दौरान प्रत्येक वित्त वर्ष के अंतिम दिन कम से कम 50 करोड़ रुपये शुद्ध पूंजी की अनिवार्यता रखी गई है। इसमें से कम से कम 25 करोड़ रुपये उसकी पूंजी होनी चाहिए। एयूएम में बदलाव या पेंशन फंड प्रबंधकों के इक्विटी व डेट में निवेश के मुताबिक इसमें कोई परिवर्तन नहीं होता है।
प्रमुख सूत्रों में से एक ने कहा, ‘अन्य उत्पादों में सभी पेंशन फंड प्रबंधकों (पीएफएम) के लिए न्यूनतम पूंजी की जरूरत एक समान होती है और एयूएम का कोई असर नहीं होता। इसमें कोई अंतर नहीं है कि 3000 करोड़ रुपये एयूएम है या 1 लाख करोड़ रुपये एयूएम है। इसमें कोई अंतर नहीं किया गया है कि आप इक्विटी में मुख्य रूप से काम कर रहे हैं या डेट में।’
लेकिन संभवत: न्यूनतम गारंटीयुक्त रिटर्न उत्पादों में ऐसा नहीं होगा।
उपरोक्त उल्लिखित सूत्र ने कहा, ‘तय की गई न्यूनतम पूंजी एयूएम से जोड़ी जाएगी। जिनका एयूएम ज्यादा है, उनके लिए ज्यादा न्यूनतम पूंजी का प्रावधान होगा। इसके पीछे यह विचार है कि आप गारंटी दे रहे हैं। अगर एनएवी गिरकर सुनिश्चित रिटर्न के नीचे आता है तो आपको गारंटी की शर्त पूरी करने के लिए पूंजी की जरूरत होगी।’ अन्य सभी उत्पादों के मामले में कोई गारंटी नहीं है और आप जो भी कमाते हैं, उसे कुछ शुल्क लेने के बाद ग्राहकों को दे देते हैं।
एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘गारंटी होने के मामले में आपको ज्यादा भुगतान करना होगा अगर आपका एक्सपोजर ज्यादा है। और इस तरह से न्यूनतम पूंजी की जरूरत ज्यादा होगी। आपको ज्यादा रिटर्न का आश्वासन देने के लिए आपको ज्यादा न्यूनतम पूंजी की जरूरत होगी।’
उन्होंने कहा कि न्यूनतम जरूरत को इक्विटी या डेट बाजारों में फंड प्रबंधक के निवेश से भी जोड़ा जाएगा। उदाहरण के लिए अगर आप 7 प्रतिशत गारंटी दे रहे हैं और सिर्फ डेट में निवेश कर रहे हैं तो ऐसी स्थिति में न्यूनतम पूंजी की जरूरत उनसे कम होगी, जो पीएफएम के तहत 7 प्रतिशत की गारंटी दे रहे हैं और 75 प्रतिशत इक्विटी बाजार में निवेश कर रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि अभी इस पर विचार किया जा रहा है कि गारंटीयुक्त उत्पादों के लिए एकसमान दरें होंगी या एक से ज्यादा दरें होंगी। उन्होंने कहा कि अगर एक से ज्यादा दरें होती हैं तो ज्यादा गारंटी देने वालों को ज्यादा न्यूनतम पूंजी की जरूरत हो सकती है।
दर के मुताबिक फंड प्रबंधक इक्विटी की योजना का हिस्सा बनने के बारे में फैसला कर सकते हैं, यह उपभोक्ता के चयन पर निर्भर होगा।
उपरोक्त उल्लिखित एक सूत्र ने कहा, ‘जब भी आप गारंटी दे रहे हैं तो उसे पूरा करना होगा। उदाहरण के लिए अगर आप 7 प्रतिशत की गारंटी दे रहे हैं और पूरा धन जी-सैक में डाल देते हैं, जो आपको 7 प्रतिशत देता है। यह एक तरीका है। वैकल्पिक रूप से अगर आप 7 प्रतिशत की गारंटी नहीं देते हैं और इसकी जगह 5 प्रतिशत की गारंटी देते हैं तो दोनों की गारंटी में अंतर होगा, जो आपको कुछ जोखिम लेने की छूट देगा। आप कुछ जोखिम लेते हैं और कुछ धन इक्विटी बाजार में लगा देते हैं तो उससे आपको ज्यादा मुनाफा मिल सकता है।’
अगर इक्विटी में निवेश काम करता है तो आप 7 प्रतिशत से ज्यादा रिटर्न पाएंगे या किसी भी हाल में 5 प्रतिशत गारंटी रहेगी ही। उन्होंने साफ किया, ‘यह काम करने का एक तरीका है। स्वाभाविक रूप से अगर आप गारंटी वाले रिटर्न उत्पाद चाहते हैं तो आपकी उतना पाने की संभावना नहीं रहती है, जितना शुद्ध रूप से इक्विटी बाजार में पा सकते हैं। यह उम्मीद करना गलत होगा।’
उपरोक्त तरीकों को ध्यान में रखते हुए ईऐंडवाई एक्चुरियल सर्विसेज एलएलपी नई पेंशन योजना के तहत स्कीम तैयार कर रही है।
इसके पहले पीएफआरडीए के चेयरमैन सुप्रतिम बंद्योपाध्याय ने कहा था, ‘बहुत से एक्चुुरियल इनपुट की जरूरत है। सलाहकार उत्पाद की डिजाइन तैयार करेंगे और इससे हमें उसे पेश करने में मदद मिलेगी।’
