कामकाज के हाइब्रिड मॉडल ने वाणिज्यिक रियल एस्टेट फर्म वीवर्क इंडिया को लाभप्रद होने में मदद की। कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी करण विरवानी ने कहा कि कैलेंडर वर्ष 2021 की जनवरी से नवंबर की अवधि में कंपनी 800 करोड़ रुपये के राजस्व पर लाभप्रद हो गई। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि कंपनी कामकाज के हाइब्रिड मॉडल को अपनाने वाले कारोबारियों और मकान मालिकों के साथ हल्की परिसंपत्ति वाले सौदे करने में सफल रही।
वीवर्क इंडिया के के सीईओ ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘अगले साल हम विस्तार करने जा रहे हैं और दोबारा वृद्धि की राह पर अग्रसर होंगे। साल 2021 की शुरुआत दमदार रही थी क्योंकि पहली तिमाही यानी जरवरी से मार्च की अवधि में हमने करीब 7 लाख वर्ग फुट जगह को पट्टे पर दिया था जबकि पूरे बाजार के लिए यह आंकड़ा करीब 50 लाख वर्ग फुट था। दूसरी तिमाही यानी अप्रैल से जुलाई की अवधि कोविड की दूसरी लहर के कारण चुनौतीपूर्ण रही लेकिन उसके बाद मांग में तेजी आई।’
विरवानी ने कहा, ‘कारोबार वास्तव में अच्छे तरीके से बढ़ रहा है। फिलहाल हम हर महीने 2.5 से 3 लाख वर्ग फुट जगह किराये पर लगा रहे हैं और पिछले एक साल के दौरान हमने करीब 17 लाख वर्ग फुट जगह पट्टे पर दिए। हमेंं पूरे बाजार में वापसी दिख रही है और अगले साल एंटरप्राइज मांग दमदार रहने के आसार हैं।’
कंपनी ने कहा कि वह साल 2022 के दौरान अपने कारोबार में 10 लाख वर्ग फुट की वृद्धि करना चाहती है और इसमें से 50 से 60 फीसदी के लिए ग्राहकों को पहले ही वादा किया गया है। वीवर्क इंडिया के लिए लोगों की आवक फिलहाल 70 फीसदी है जबकि कुछ मकानों के लिए यह आंकड़ा 80 फीसदी तक दर्ज किया गया है। कंपनी फिलहाल दिल्ली एनसीआर, मुंबई, बेंगलूरु, पुणे और हैदराबाद में 36 स्थानों पर परिचालन करती है। दिलचस्प है कि वीवर्क इंडिया ने अपनी बी2सी पेशकश के तहत दिन भर के लिए 500 का ऑन-डिमांड पास लॉन्च किया था लेकिन अब टाटा स्काई जैसी कंपनियां अपने कर्मचारियों को किसी भी कार्यालय से काम करने के विकल्प के तौर पर उस पास का उपयोग कर रही हैं। नियोक्ता को महीने के अंत में उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए डेस्क और दिन के आधार पर बिल भेजा जाता है।
विरवानी ने कहा, ‘पिछले साल 20 डेस्क की क्षमता वाले जिन एसएमई और एमएसएमई ने हमें छोड़ दिया था वे अब वापस आ रहे हैं और 50 से अधिक डेस्क की मांग कर रहे हैं। हमें अधिकांश मांग उन कंपनियों से आती दिख रही है जिन्हें 50, 100 अथवा 200 डेस्क की जरूरत है।’
इस ऑफिस स्पेस स्टार्टअप ने जुलाई 2017 में बेंगलूरु की रियल एस्टेट कंपनी एम्बैसी ग्रुप के साथ मॉडल फ्रैंचाइजी के जरिये भारतीय बाजार में दस्तक दी थी। साल 2019 में भारतीय प्रवर्तकों ने 2.75 अरब डॉलर मूल्यांकन पर वैश्विक मूल कंपनी को 70 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की थी। लेकिन वह सौदा नहीं हो सका क्योंकि द वी कंपनी तमाम समस्याओं से घिर गई थी। हालांकि पिछले साल एम्बैसी 10 करोड़ डॉलर के एक सौदे के तहत द वी कंपनी को 25 फीसदी हिस्सेदारी बेचने में सफल रही। फिलहाल वीवर्क इंडिया में वैश्विक मूल कंपनी की हिस्सेदारी 27.5 फीसदी है।
