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डेल्टा की तरह जानलेवा तो नहीं नया ओमीक्रोन!

Last Updated- December 11, 2022 | 7:37 PM IST

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में कोविड-19 के मामले अचानक बढ़ाने वाली ओमीक्रोन की किस्म बीए.2.12.1 डेल्टा वायरस से मिलती-जुलती निकल आई है। यह चिंता की बात हो सकती है क्योंकि देश भर में कहर बरपाने वाली कोरोनावायरस की दूसरी लहर डेल्टा वायरस के कारण ही आई थी, जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई थीं।
विषाणु विज्ञानियों और विशेषज्ञों के मुताबिक ओमीक्रोन की इस किस्म के स्पाइक यानी कांटे में मौजूद प्रोटीन में एक उत्परिवर्तन (अचानक आया बदलाव या म्यूटेशन) देखा गया है, जो डेल्टा किस्म में मिलने वाले म्यूटेशन जैसा है। हालांकि अभी तक यह तय नहीं हो सका है कि इसकी वजह से संक्रमण अधिक गंभीर होगा या नहीं। मगर चिकित्सकों का कहना है कि अभी तक कोविड-19 के अधिकतर पॉजिटिव मामलों में लक्षण या तो नहीं दिखे हैं या बहुत कम दिख हैं।
ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी में ग्रीन टेंपलटन कॉलेज में वरिष्ठ रिसर्च फेलो शाहिद जमील ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में बताया कि ओमीक्रोन वंश की अब दो मुख्य किस्में हैं – बीए.1 और बीए.2 और उनकी कई वंशानुगत किस्में हैं। उन्होंने कहा, ‘समूह के तौर पर बीए.2 का प्रसार बीए.1 के मुकाबले 20 फीसदी अधिक होता है।’ उन्होंने यह भी बताया कि बीए.2.12.1 के स्पाइक में दो बड़े म्यूटेशन मिले हैं। जमील ने कहा, ‘बीए.2.12.1 के स्पाइक में दो बड़े म्यूटेशन दिखे हैं, जो बीए.2.12 और दूसरी वंशानुगत किस्मों में नहीं थे। इनमें से एक म्यूटेशन से मिलता-जुलता म्यूटेशन केवल डेल्टा वायरस में पाया जाता है।’
जमील वरिष्ठ विषाणु विज्ञानी हैं। उन्होंने कहा कि इस म्यूटेशन के कारण ही डेल्टा वायरस एंटीबॉडी को चकमा देकर निकल जाता था और शरीर की कोशिकाओं से ज्यादा मजबूती से चिपक जाता था। उन्होंने कहा, ‘यह देखना होगा कि बीए.2.12.1 भी उसी तरह की हरकतें करता है या नहीं। लेकिन यह उत्तर पूर्व अमेरिका में सबसे तेजी से फैलने वाली किस्म बन गया है। भारत में अभी इसके बारे में बहुत कम आंकड़े हैं।’ तो क्या बीए.2.12.1 में मिला यह म्यूटेशन ओमीक्रोन के कारण आई तीसरी लहर में सांस की नली के ऊपरी हिस्से में होने वाले संक्रमण के बजाय फेफडों में वैसा ही घातक संक्रमण करेगा, जैसा डेल्टा के कारण आई दूसरी लहर में हुआ था? इसमें जवाब में जमील कहते हैं, ‘हम इस बारे में कुछ नहीं कह सकते। यह भी ध्यान रहे कि पहले संक्रमण होने और टीका लगने के कारण जनता में अब जितनी इम्यूनिटी बन गई है, वह डेल्टा वायरस के समय पर नहीं थी।’
दूसरी लहर के दौरान फेफड़ों के संक्रमण के कारण चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाली ऑक्सीजन की भारी मांग देश भर में पैदा हो गई थी और कई रोगियों को हालत गंभीर होने के बाद आईसीयू में भर्ती होना पड़ा था। क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी), वेल्लूर में क्लिनिकल वायरोलॉजी एवं माइक्रोबायोलॉजी विभागों के अध्यक्ष रह चुके वरिष्ठ विषाणु विज्ञानी टी जैकब जॉन को भी लगता है कि दूसरी लहर के मुकाबले अब स्थिति अलग है।    
सीएमसी, वेल्लोर में रह चुके जैकब जॉन ने कहा, ‘अगर दो साल पहले की बात होती तो किसी भी किस्म या म्यूटेशन से चौथी लहर आसानी से आ जाती। लेकिन अब जनता के पास दोहरी इम्यूनिटी हो गई है – संक्रमण के कारण भी और टीका लगवाने से भी। इसीलिए हम वायरस में म्यूटेशन से ज्यादा सुरक्षित हैं।’ मगर उन्होंने कहा कि हालात पर करीब से नजर रखनी होगी। जॉन ने कहा, ‘मैं कहूंगा कि अगर किसी खास क्षेत्र में मामलों की संख्या चरम पर होने वाले कुल मामलों की 10 फीसदी भी हो जाती है तो हम मान सकते हैं कि बीमारी सामान्य नहीं रही। इसलिए हमें नजर बनाए रखनी होगी।’
जॉन ने यह भी कहा कि महामारी विज्ञान के नजरिये से अभी हमारे पास यह कहने का पर्याप्त आधार नहीं है कि चौथी लहर जल्द ही आएगी। जनता में संक्रमण तो हो सकते हैं मगर ज्यादा लोगों में यह बीमारी या गंभीर लक्षण शायद ही हों। डॉक्टरों का कहना है कि अब कोविड-19 के संक्रमण के मामले अचानक ही पकड़ में आते हैं। दिल्ली में उजाला सिग्नस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स के संस्थापक निदेशक शुचिन बजाज ने बताया, ‘मरीज किसी अन्य बीमारी के इलाज के लिए आता है मगर कोविड-19 की नियमित जांच में वह संक्रमित पाया जाता है। इसलिए यह भी तय होना चाहिए कि किन मामलों को कोविड-19 से संक्रमित कहा जाएगा।’
बहरहाल दिल्ली में मामले लगातार बढ़ रहे हैं। फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग में पल्मोनोलॉजी विभाग के अध्यक्ष और निदेशक विकास मौर्य ने बताया, ‘हमने देखा है कि पिछले कुछ दिनों में फ्लू जैसे लक्षणों वाले मरीजों की संख्या बढ़ गई है। उनकी संख्या में करीब 30 फीसदी इजाफा हुआ है।’ उन्होंने बताया कि इन सभी मरीजों की कोविड-19 जांच की जा रही है और दस में से एक मरीज संक्रमित निकल आता है। मौर्य ने कहा, ‘वही नहीं उनका पूरा परिवार भी कोरोना संक्रमित निकल रहा है। इस तरह के मरीजों की संख्या में कुछ इजाफा हुआ है।’ वह बताते हैं कि अस्पतालों में भर्ती ज्यादातर कोविड मरीज अधिक गंभीर नहीं हैं मगर कुछ को ऑक्सीजन चढ़ानी पड़ रही है।
उन्होंने कहा, ‘फिलहाल अस्पताल में भर्ती हो रहे मरीज ज्यादा गंभीर नहीं हैं। जो कोविड संक्रमित पाए जा रहे हैं, वे सामान्य संक्रमण की श्रेणी में हैं और कुछ के फेफड़ों में संक्रमण हुआ है। उन्हें ऑक्सीजन दी जा रही है मगर बहुत अधिक ऑक्सीजन देने की या वेंटिलेटर पर भेजने की नौबत नहीं आ रही है। इसलिए फिलहाल कोविड से गंभीर रूप से संक्रमित कोई भी मरीज अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया है। दिल्ली में मरीजों की संख्या कल के मुकाबले कुछ कम है। हमें इसस संक्रमित मरीजों की संख्या पर बारीकी से नजर बनाए रखनी होगी और कोविड से बचाव के उपयुक्त तरीके अपनाने होंगे।’

First Published - April 22, 2022 | 11:20 PM IST

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