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Explainer: कैसे चुने जाएंगे अगले दलाई लामा? Global Geopolitics में क्यों अहम है ये चुनाव?

तिब्बती बौद्ध परंपरा के अनुसार, दलाई लामा को करुणा के बोधिसत्व अवलोकितेश्वर का पुनर्जन्म माना जाता है।

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निमिष कुमार   
Last Updated- July 02, 2025 | 5:01 PM IST

अपने 90वें जन्मदिन के पहले, तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु और अहिंसा के वैश्विक प्रतीक 14वें दलाई लामा ने आधिकारिक रूप से घोषणा की है कि दलाई लामा की सदियों पुरानी संस्था उनके बाद भी जारी रहेगी। धर्मशाला में दिए गए एक महत्वपूर्ण बयान में उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके उत्तराधिकारी का चयन केवल गदेन फोद्रांग ट्रस्ट द्वारा किया जाएगा — एक निकाय जिसे उन्होंने 2011 में अपने धार्मिक और मानवतावादी कार्यों के संचालन हेतु स्थापित किया था।

यह घोषणा वर्षों से चली आ रही अनिश्चितता और अटकलों को समाप्त करती है और चीन सरकार द्वारा अगले दलाई लामा के चयन में हस्तक्षेप की किसी भी संभावना को स्पष्ट रूप से खारिज करती है। यह बयान तिब्बत, चीन, भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते कूटनीतिक तनाव के बीच आया है।

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“मैं इस बारे में स्पष्ट लिखित निर्देश छोड़ूंगा,” दलाई लामा ने अपने पूर्व-रिकॉर्डेड वीडियो संदेश में कहा। “ऐसे वैध तरीकों से पहचानी गई पुनर्जन्म को छोड़कर, किसी भी राजनीतिक उद्देश्य से चुने गए उम्मीदवार को, चाहे वह पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना से ही क्यों न हो, कोई मान्यता या स्वीकृति नहीं दी जानी चाहिए।”

क्या है तिब्बती परंपरा में दलाई लामा? कैसे चुने जाते हैं?

तिब्बती बौद्ध परंपरा के अनुसार, दलाई लामा को करुणा के बोधिसत्व अवलोकितेश्वर का पुनर्जन्म माना जाता है। वर्तमान दलाई लामा तेनज़िन ग्यात्सो का जन्म 1935 में ल्हामो थोंडुप के रूप में हुआ था और मात्र दो वर्ष की आयु में उन्हें 14वें दलाई लामा के रूप में पहचाना गया।

पारंपरिक रूप से, वरिष्ठ भिक्षुओं (हाई लामाओं) की एक टोली स्वप्न, संकेतों और आध्यात्मिक दृष्टियों के माध्यम से पुनर्जन्म की पहचान करती है। पिछली बार यह प्रक्रिया तिब्बत में हुई थी, लेकिन दलाई लामा ने अब पुष्टि की है कि उनका अगला पुनर्जन्म चीन के बाहर होगा।

मार्च 2025 में प्रकाशित अपनी पुस्तक “वॉयस फॉर द वॉयसलेस” में उन्होंने कहा था कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों के कारण उनका उत्तराधिकारी किसी स्वतंत्र देश में जन्म लेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला चीन को इस प्रक्रिया में हस्तक्षेप से रोकने की मंशा से लिया गया है।

क्यों हो रहा है इस पर China- Tibet के बीच विवाद

दलाई लामा की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद, चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने बयान जारी कर कहा कि दलाई लामा की उत्तराधिकारी प्रक्रिया चीनी कानूनों और ऐतिहासिक परंपराओं के अनुसार ही चलनी चाहिए।

चीन 1793 के किंग राजवंश के आदेश का हवाला देता है, जिसके अनुसार पुनर्जन्म की पहचान के लिए “गोल्डन अर्न” (स्वर्ण कलश) की प्रक्रिया अपनाई जाती है। 2007 में चीन ने इस पर और नियम बनाए जिससे वह तिब्बती बौद्ध धर्म में सभी पुनर्जन्मों पर नियंत्रण स्थापित कर सके।

तिब्बती संसद-इन-एग्ज़ाइल की उपाध्यक्ष डोलमा त्सेरिंग तेक्हांग ने चीन की इस भूमिका की निंदा करते हुए कहा, “एक नास्तिक शासन को हमारी पवित्र परंपराओं में हस्तक्षेप करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।”

तिब्बती समुदाय को इस बात की आशंका है कि चीन एक “प्रतिस्पर्धी दलाई लामा” घोषित कर सकता है। 1995 में ऐसा ही हुआ जब दलाई लामा और चीन दोनों ने 11वें पंचेन लामा के रूप में अलग-अलग व्यक्तियों की पहचान की थी। दलाई लामा द्वारा चयनित बालक को चीनी अधिकारियों ने गायब कर दिया, जबकि चीन द्वारा नियुक्त पंचेन लामा अब सरकारी पद पर हैं।

क्या है इसमें भारत – अमेरिका की भूमिका

भारत, जो दलाई लामा और लगभग एक लाख तिब्बती शरणार्थियों का घर है, इस उत्तराधिकारी विवाद का केंद्रीय पक्ष है। भारत सरकार दलाई लामा का समर्थन करती रही है और अब उम्मीद है कि वह गदेन फोद्रांग ट्रस्ट के निर्णय का समर्थन करेगी।

2003 में भारत ने आधिकारिक रूप से तिब्बत को चीन का हिस्सा माना था, लेकिन दलाई लामा की उपस्थिति भारत को चीन के खिलाफ रणनीतिक लाभ देती है — खासकर लद्दाख जैसे संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में।

संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी दलाई लामा को अपने उत्तराधिकारी चुनने के अधिकार का समर्थन किया है। 2024 में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने “रिज़ॉल्व तिब्बत एक्ट” पर हस्ताक्षर किए, जो अमेरिकी नीति को चीन के हस्तक्षेप के खिलाफ मजबूती देता है। हालांकि, अब यह स्पष्ट नहीं है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो अपने दूसरे कार्यकाल में हैं, उसी स्तर का समर्थन जारी रखेंगे या नहीं। उनकी सरकार ने हाल ही में तिब्बती समुदाय के लिए दी जाने वाली सहायता में कटौती की है।

हालांकि, अमेरिकी कांग्रेस में द्विदलीय समर्थन बना हुआ है, और सांसदों ने चेतावनी दी है कि चीन द्वारा चुने गए किसी भी दलाई लामा को अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिलेगी।

वैश्विक आध्यात्मिक नेता माने जाते है दलाई लामा

दलाई लामा पिछले कुछ दशकों में एक वैश्विक शांति-प्रतीक बन चुके हैं। उन्होंने बराक ओबामा, लेडी गागा, रिचर्ड गियर, बिल गेट्स जैसे विश्व प्रसिद्ध हस्तियों से मुलाकात की है। उनके करुणा और ध्यान पर आधारित संदेश बौद्ध धर्म से परे भी लाखों लोगों को प्रभावित करते हैं।

दिल्ली निवासी त्सायांग ग्यात्सो, जो धर्मशाला में उनके जन्मदिन पर उपस्थित थे, कहते हैं: “मुझे डर था कि चीन इस प्रक्रिया को भ्रष्ट कर देगा, लेकिन आज उनकी बात सुनकर मुझे आशा मिली है। मैं यहां आकर धन्य महसूस कर रहा हूं।”

जैसे-जैसे तिब्बत पर चीनी नियंत्रण मजबूत होता जा रहा है, अगला दलाई लामा केवल एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारी नहीं होगा, बल्कि एक निर्वासित और पीड़ित समुदाय की आवाज़, वैश्विक राजनीति के बीच एक संतुलनकर्ता, और तिब्बती पहचान की सदियों पुरानी मशाल का संरक्षक भी होगा।

पढ़े, दलाई लामा का Official Statement

दलाई लामा द्वारा संस्था की निरंतरता की पुष्टि का वक्तव्य
(मूल तिब्बती से अनूदित)

दलाई लामा का वक्तव्य
धर्मशाला, 21 मई 2025

24 सितंबर 2011 को, तिब्बती आध्यात्मिक परंपराओं के प्रमुखों की एक बैठक में, मैंने तिब्बत के भीतर और बाहर रहने वाले तिब्बतियों, तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों, और तिब्बत एवं तिब्बतियों से जुड़े सभी लोगों के प्रति यह वक्तव्य दिया था कि क्या दलाई लामा की संस्था भविष्य में जारी रहनी चाहिए।

मैंने कहा था, “1969 में ही मैंने स्पष्ट कर दिया था कि दलाई लामा के पुनर्जन्म की परंपरा भविष्य में जारी रखी जाए या नहीं, इसका निर्णय संबंधित लोगों को करना चाहिए।”

मैंने यह भी कहा था, “जब मैं लगभग 90 वर्ष का हो जाऊंगा, तब मैं तिब्बती बौद्ध परंपराओं के उच्च लामाओं, तिब्बती जनमानस और तिब्बती बौद्ध धर्म को मानने वाले अन्य संबंधित लोगों से विचार-विमर्श कर यह पुनः मूल्यांकन करूंगा कि दलाई लामा की संस्था को जारी रखा जाए या नहीं।”

हालांकि इस विषय पर कोई सार्वजनिक चर्चा नहीं हुई, लेकिन पिछले 14 वर्षों में तिब्बती आध्यात्मिक परंपराओं के नेताओं, निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्यों, विशेष आमसभा के प्रतिभागियों, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सदस्यों, स्वयंसेवी संगठनों, हिमालयी क्षेत्र, मंगोलिया, रूस के बौद्ध गणराज्यों और एशिया, जिसमें मुख्य भूमि चीन भी शामिल है, के बौद्ध अनुयायियों ने मुझे पत्र लिखकर दलाई लामा की संस्था को जारी रखने के लिए ठोस कारणों के साथ अनुरोध किया है।

विशेष रूप से, तिब्बत के भीतर रहने वाले तिब्बतियों ने भी विभिन्न माध्यमों से मुझ तक यही अनुरोध पहुंचाया है। इन सभी अनुरोधों के अनुरूप, मैं यह पुष्टि करता हूं कि दलाई लामा की संस्था भविष्य में भी जारी रहेगी।

भविष्य के दलाई लामा की पहचान की प्रक्रिया 24 सितंबर 2011 के मेरे वक्तव्य में स्पष्ट रूप से निर्धारित की गई है। उस वक्तव्य में यह कहा गया है कि भविष्य में दलाई लामा की पुनर्जन्म की पहचान की पूरी जिम्मेदारी केवल गदेन फोद्रांग ट्रस्ट — परमपावन दलाई लामा के कार्यालय — की होगी।

उन्हें तिब्बती बौद्ध परंपराओं के विभिन्न प्रमुखों और उन विश्वसनीय, शपथबद्ध धर्म रक्षकों से परामर्श करना चाहिए, जो दलाई लामा की परंपरा से अविभाज्य रूप से जुड़े हुए हैं। इन्हीं परंपराओं के अनुसार वे पुनर्जन्म की खोज और पहचान की प्रक्रिया को अंजाम देंगे।

मैं एक बार फिर दोहराता हूं कि भविष्य के पुनर्जन्म की पहचान का एकमात्र अधिकार गदेन फोद्रांग ट्रस्ट को है; किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।

– दलाई लामा
धर्मशाला
21 मई 2025

(Inputs from office of HH 14th Dalai Lama, CTA (Central Tibetan Administration), foreign media report & agencies) 

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First Published : July 2, 2025 | 4:14 PM IST