वर्ष 2017 में जब वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किया गया था तब पश्चिम बंगाल के हावड़ा में अभिषेक आयरन फाउंड्री में छोटे और मध्यम स्तर से लेकर बड़े ग्राहकों का समूह देखा जाता था लेकिन 1 जुलाई के बाद इसके कई रंग फीके पड़ने लगे।
देश में अप्रत्यक्ष कर में व्यापक सुधार के तहत जीएसटी की शुरुआत का सबसे बड़ा नुकसान संगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को हुआ। अभिषेक आयरन फाउंड्री ने पाया कि इसके छोटे खरीदारों का हिस्सा गायब ही हो गया जो इसके कारोबार का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा था।
नतीजा यह हुआ कि फाउंड्री का कारोबार कम हो गया और इसके ठेके के कर्मचारियों में लगभग 70 प्रतिशत की कमी आई है (हावड़ा की फाउंड्री इकाइयां ज्यादातर ठेके वाले श्रमिकों के साथ काम करती हैं)। अभिषेक फाउंड्री के प्रबंध निदेशक अमलेश दत्ता ने कहा, ‘छोटे खरीदार जो कम मार्जिन पर काम करते थे और उनके पास कार्यशील पूंजी बेहद कम थी, ऐसे में वे कारोबार से बाहर चले गए। जीएसटी से पहले वे अपनी जरूरतें ही पूरी कर पा रहे थे।’
उन्होंने बताया कि जब जीएसटी लागू हुआ तब छोटे खरीदार उनसे सामग्री की खरीद कर रहे थे और 18 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान कर रहे थे। ऐसे में सामग्री की उनकी लागत बढ़ गई। दत्ता ने कहा, ‘लेकिन अधिक कीमत पर वे स्थानीय बाजारों में सामान बेच नहीं पा रहे थे जहां प्रतिभागियों का एक वर्ग जीएसटी से बचना चाहता था और उसी सामग्री को कम कीमत पर बेच रहा था।’
हावड़ा में जीएसटी क्रियान्वयन के प्रारंभिक चरण (पश्चिम बंगाल में फाउंड्री और फोर्जिंग इकाइयों लगभग 95 प्रतिशत तक हैं) अनिश्चितता से भरा था। हावड़ा चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्रीज के महासचिव संतोष उपाध्याय कहते हैं, ‘कई इकाइयों ने लोगों को कम करने और इकाइयों की क्षमता कम करने के वास्ते कुछ समय के लिए काम बंद कर दिया।’ लेकिन वे बाद में दोबारा खुल गए।
यह परेशानी केवल हावड़ा में विनिर्माण इकाइयों तक सीमित नहीं थी। जीएसटी के अनुपालन से लेकर कर्मचारियों की बढ़ती लागत और कार्यशील पूंजी से लेकर कई चुनौतियों ने व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं को समान रूप से चुनौती दी। हुगली नदी के पार हावड़ा से लगभग 14 किलोमीटर दूर एशिया के सबसे बड़े थोक बाजारों में से एक, बड़ा बाजार में जीएसटी लागू होने पर कारोबार को झटका लगा।
पोस्टा बाजार में बड़े थोक विक्रेताओं में से एक श्री शिव ऑयल ऐंड पल्सेज के नीरज अग्रवाल ने कहा, ‘जीएसटी लागू होने पर गांवों में छोटे खुदरा विक्रेता प्रभावित हुए और इससे हम लोग भी प्रभावित हुए। सभी लोग चार्टर्ड अकाउंटेंट को नियुक्त करने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं। उस वक्त कारोबार में तेजी से गिरावट आई।’जीएसटी पंजीकरण के लिए वस्तुओं के लिए सीमा 40 लाख रुपये और सेवाओं के लिए यह सीमा 20 लाख रुपये है। पोस्टा बाजार मर्चेंट्स एसोसिएशन के महासचिव विश्वनाथ अग्रवाल ने कहा, ‘अब चिंता की बात यह है कि महंगाई बढ़ने के साथ कई और खुदरा विक्रेता जीएसटी के दायरे में आ जाएंगे।’
पोस्टा बाजार बड़ा दबाजार में जल्द खराब होने वाली वस्तुओं के लिए एक उप-बाजार है। यहां से लगभग 200 ट्रक प्रतिदिन चलते हैं जो खाद्य तेल, नमक, अनाज, मसालों और खाद्यान्नों वाले पश्चिम बंगाल के लगभग 30 प्रतिशत सामानों की आपूर्ति करते हैं। पिछले पांच वर्षों में किसी भी कारोबार में बड़े खिलाड़ियों ने खुद को फिर से व्यवस्थित किया है। लेकिन मध्यम और छोटे स्तर के खिलाड़ी कई मोर्चे पर चुनौतियों से जूझ रहे हैं और इसकी वजह से कारोबार में बड़े खिलाड़ियों को जगह मिल रही है।
आकार है अहम
क्रिसिल रिसर्च के निदेशक पूषन शर्मा बताते हैं कि जीएसटी के बाद एमएसएमई के कारोबार का नुकसान हुआ जिसे बड़े खिलाड़ियों ने अपना लिया । दरअसल जीएसटी के लागू होने के साथ ही अनुपालन की लागत में वृद्धि हुई और सभी एमएसएमई संस्थाओं के पास ऑनलाइन तंत्र से निपटने के लिए तकनीकी विशेषज्ञता नहीं थी। शर्मा ने कहा, ‘अधिकांश आवश्यक मध्यस्थों के कारण अनुपालन और संबंधित लागतों का बोझ बढ़ता है।’
डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एम एस मणि ने कहा कि पहले की ज्यादातर समस्या समय के साथ हल कर ली गई हैं लेकिन जीएसटी में अनुपालन ढांचा काफी तेज है। हालांकि, यह केवल बड़े उद्योग बनाम एमएसएमई की बात नहीं है। यहां तक कि एमएसएमई (जिसमें सूक्ष्म इकाइयां शामिल हैं) के बीच भी सभी समान स्तर पर नहीं हैं। बड़ी इकाइयों में भी परेशानियां और बाधाएं इतनी स्पष्ट नहीं है। शिव ऑयल के अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी का सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू यह है कि अब हम राज्य के बाहर भी अपना सामान बेच सकते हैं, जहां हमें बेहतर कीमत मिल सकती है क्योंकि पहले, बहुत अधिक कागजी कार्रवाई थी।
फाउंड्री में बड़ी इकाइयां जीएसटी व्यवस्था के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट से खुश हैं। गोविंद स्टील के प्रबंध निदेशक दिनेश सेकसरिया ने बताया, ‘वैट के तहत, हम केवल विनिर्माण में इस्तेमाल होने वाले इनपुट के लिए क्रेडिट का दावा कर सकते हैं। लेकिन जीएसटी के तहत वस्तु एवं सेवाओं के लिए क्रेडिट का दावा किया जा सकता है। इसलिए अगर मैं किसी सलाहकार को नियुक्त कर रहा हूं या ट्रक माल भाड़े का भुगतान कर रहा हूं और उस पर जीएसटी लगाया जाता है तब मैं क्रेडिट का दावा कर सकता हूं।’
एमएसएमई की चुनौतियां अलग तरह की हैं जो असंगठित खिलाड़ी से जुड़ी हुई हैं। लेकिन विशेषज्ञ बताते हैं कि सकारात्मक बात यह है कि उनमें से कई औपचारिक क्षेत्र का हिस्सा बन गए हैं।
