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गेमिंग फर्म विकसित कर रहीं धोखाधड़ी पता लगाने का तंत्र

Last Updated- December 11, 2022 | 11:26 PM IST

वैश्विक महामारी कुछ उद्योगों के लिए प्रेरक रही है, लेकिन गेमिंग के लिए तो यह विशेष रूप से फायदेमंद रही है, जिससे लोग घर के अंदर रहने और घर पर ही खुद को खुश करने के तरीके और साधन खोजने के लिए विवश हुए हैं।
ईवाई-ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (एआईजीएफ) की रिपोर्ट ‘भारत में ऑनलाइन गेमिंग-जीएसटी की पहेली’ के अनुसार भारतीय ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र वर्ष 2020 में 1.027 अरब डॉलर के मूल्य तक पहुंच गया है, जिसमें वर्ष 2016 के 54.3 करोड़ डॉलर के मुकाबले 17 प्रतिशत से अधिक का इजाफा हुआ है।
शुल्क अर्जित करने के लिहाज से वर्ष 2021 तक यह क्षेत्र दो अरब डॉलर के मूल्य तक पहुंचने की उम्मीद है, जबकि देश में ऑनलाइन खिलाडिय़ों की संख्या वर्ष 2020 के 36 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2022 में 51 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। परिचालन में लगीं 400 से ज्यादा गेमिंग स्टार्टअप भी इस क्षेत्र की वृद्धि को बढ़ा रही हैं।
हालांकि गेमिंग में बढ़ती रुचि और लोकप्रियता के साथ ही साइबर हमलों और धोखाधड़ी का जोखिम भी बढ़ गया है।
खेल बिगाडऩे और वित्तीय डेटा चुराने के लिए बॉट्स का उपयोग करते हुए अकाउंट हथियाने से लेकर फिशिंग तक की वजह से ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को आज कई तरह की धोखाधड़ी से निपटना पड़ रहा है। कुछ कंपनियां इस समस्या से निपटने के लिए तीसरे पक्ष के उपकरणों का उपयोग कर रही हैं, जबकि कुछ अन्य कंपनियों ने धोखाधड़ी से बचने और निपटने के लिए अपनी ही क्षमता का निर्माण कर लिया है।
उदाहरण के लिए काल्पनिक स्पोट्र्स प्लेटफॉर्म ड्रीम11 को ले लीजिए, जो संभवत: इस शैली में देश का सबसे पसंदीदा प्लेटफॉर्म है। हालांकि 10 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता आधार और 55 लाख से अधिक की उपयोगकर्ता स्वीकृति के साथ ड्रीम11 में साफ तौर पर दुरुपयोग किए जाने के आसार हैं।
इस समस्या से निपटने के लिए कंपनी ने धोखाधड़ी का पता लगाने वाली फेंस (फेयरप्ले इंश्योरिंग नेटवर्क चेन एन्टिटी) नामक अपना ही एक प्रणाली तैयार की है। फर्म ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा है ‘इसे एक ग्राफ डेटाबेस द्वारा संचालित किया जाता है, जो सभी प्रारूपों और अनुमानों को संसाधित करने और बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है उचित खेल के उल्लंघनों का समय पर और कुशलता से पता लगाया जा सके।’
इस प्लेटफॉर्म पर सबसे आम धोखाधड़ी कई अकाउंटों का इस्तेमाल किया जाना होता है। ड्रीम11 ने एक पोस्ट में कहा है कि हालांकि हम अपने उपयोगकर्ताओं को अपने मित्रों को हमारे प्लेटफॉर्म से परिचित कराने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, लेकिन कुछेक उपयोगकर्ता बार-बार लाभ प्राप्त करने के लिए डुप्लिकेट अकाउंट बनाकर इन योजनाओं का दुरुपयोग करते हैं। ऐसे मामलों में हमें इन विभिन्न अकाउंटों को एक ही व्यक्ति के साथ जोडऩे और पहचानने की जरूरत है।
इसी तरह पेटीएम और ऐंथिल वेंचर्स द्वारा समर्थित गेम स्ट्रीमिंग और ई-स्पोट्र्स प्लेटफॉर्म रूटर भी संदिग्ध व्यवहार की पहचान करने और उससे बचने के लिए विश्लेषणात्मक उपकरणों का उपयोग करता है।
रूटर के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी पीयूष कुमार कहते हैं ‘हम ऐप पर सभी अंतरक्रियाओं के लॉग को संसाधित करने के लिए एमेजॉन वेब सर्विसेज (एडब्ल्यूएस) रेडशिफ्ट जैसे विश्लेषणात्मक उपकरणों का उपयोग करते हैं। एडब्ल्यूएस एथेना जैसी संरचना का उपयोग करते हुए स्वचालित कार्य उपयोगकर्ता इनपुट का विश्लेषण करने के लिए लगातार चल रहे हैं और दोबारा संदिग्ध गतिविधि होने पर उसकी पहचान की जाती है।’
रेडशिफ्ट डेटा वेयरहाउसिंग की ऐसी सेवा है, जो ग्राहकों को बड़ी मात्रा में डेटा संसाधित करने में मदद करती है।
रूटर अपने सर्वर में संदिग्ध गतिविधि से बचने और उस पर नजर रखने के लिए अकामाई वेब ऐप्लिकेशन प्रोटेक्टर का भी उपयोग करता है। कुमार कहते हैं कि अकामाई द्वारा किसी भी हमले के स्वरूप को स्वचालित रूप से पहचान लिया जाता है और या तो सावधान कर दिया जाता है या फिर उपयोगकर्ता को स्वचालित रूप से ब्लॉक कर दिया जाता है, जो समस्या की गंभीरता पर निर्भर रहता है। अकामाई वेब ऐप्लिकेशन प्रोटेक्टर विभिन्न प्रकार के हमलों से ऑनलाइन ऐप्लिकेशन और परिसंपत्तियों की सुरक्षा के लिए तैयार किया गया ऐप्लिकेशन का एक पूरा सेट है।

First Published - November 19, 2021 | 11:40 PM IST

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