facebookmetapixel
पोर्टफोलियो को चट्टान जैसी मजबूती देगा ये Cement Stock! Q2 में 268% उछला मुनाफा, ब्रोकरेज ने बढ़ाया टारगेट प्राइससरकार फिस्कल डेफिसिट के लक्ष्य को हासिल करेगी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जताया भरोसाBilaspur Train Accident: बिलासपुर में पैसेंजर ट्रेन-मालगाड़ी से भिड़ी, 4 की मौत; ₹10 लाख के मुआवजे का ऐलानAlgo और HFT ट्रेडिंग का चलन बढ़ा, सेबी चीफ ने मजबूत रिस्क कंट्रोल की जरूरत पर दिया जोरमहाराष्ट्र में 2 दिसंबर को होगा नगर परिषद और नगर पंचायत का मतदानउत्तर प्रदेश में समय से शुरू हुआ गन्ना पेराई सत्र, किसानों को राहत की उम्मीदछत्तीसगढ़ के किसान और निर्यातकों को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान, फोर्टिफाइड राइस कर्नल का किया पहली बार निर्यातBihar Elections: दूसरे चरण में 43% उम्मीदवार करोड़पति, एक तिहाई पर आपराधिक मामले; जेडीयू और कांग्रेस भाजपा से आगेIndiGo Q2FY26 results: घाटा बढ़कर ₹2,582 करोड़ पर पहुंचा, रेवेन्यू 9.3% बढ़ाNFO Alert: फ्रैंकलिन टेंपलटन ने उतारा नया मल्टी फैक्टर फंड, ₹500 की SIP से निवेश शुरू; किसे लगाना चाहिए पैसा

अस्थायी और अंशकालिक नौकरियां कम

Last Updated- December 11, 2022 | 1:09 PM IST

भारत की बड़ी कंपनियों के श्रमबल में तो इजाफा हुआ है लेकिन अस्थायी, ठेके और अंशकालिक कर्मचारियों की नियुक्तियां कम हुई हैं। बीएसई की 100 कंपनियों के आंकड़ों का विश्लेषण एसऐंडपी की सालाना रिपोर्ट में किया गया था। इस रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 और 2021-22 के दौरान अस्थायी, ठेका और अंशकालिक नौकरियों की संख्या 30 फीसदी से अधिक बढ़ी थी।
बीते पांच साल में नियमित आंकड़े 48 कंपनियों के ही मिल पाए थे। लिहाजा, इन फर्मों के आंकड़ों को आधार बनाकर विश्लेषण किया गया था। इस अवधि में कुल श्रमबल में 36 फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ था।
परिणामस्वरूप बीते पांच वर्षों के दौरान कुल श्रमबल में अस्थायी, ठेके और अंशकालिक नौकरियों का अनुपात सबसे निचले स्तर पर रहा। वित्त वर्ष 2018 में कुल 100 कर्मचारियों पर करीब 53 अस्थायी, ठेके और अंशकालिक कर्मचारी थे। हालांकि वित्त वर्ष 2022 में ऐसे कर्मचारी घटकर 51 रह गए। यह अनुपात वित्त वर्ष 2020 में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बाद घट गया है।
जब अस्थायी और ठेका कामगारों की बात आती है तो सभी कंपनियां एकसमान ढंग से सूचना मुहैया कराने के मानदंडों का पालन नहीं करती हैं। कुछ कंपनियां इन आंकड़ों की गणना करने में सभी तरह की नौकरियों को सम्मिलित कर लेती हैं। हालांकि कुछ कंपनियां स्थायी कर्मचारियों के ही आंकड़े मुहैया कराती हैं और इन्हें ही कुल कर्मचारियों के रूप में दखाती हैं।
हालांकि पिछले पांच साल के अस्थायी, ठेके और अंशकालिक कर्मचारियों की तुलना करने पर कुछ-कुछ रुझान सामने आते हैं। विभिन्न क्षेत्रों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि  बैंक और वित्तीय कंपनियों के साथ साथ सूचना तकनीक (आईटी) क्षेत्र में कुल कर्मचारियों में अस्थायी कर्मचारियों की हिस्सेदारी सबसे कम थी। बैंक व वित्तीय फर्म में वित्त वर्ष 2018 में अस्थायी कर्मचारी 5 फीसदी थे जो वित्त वर्ष 2022 में 7 फीसदी हो गया। इस अवधि में आईटी क्षेत्र (सॉफ्टवेयर) में यह दर 6 से बढ़कर 7 फीसदी हो गई।
हालांकि उपभोक्ता कंपनियों के आंकड़े इसके उलट दिखे। उपभोक्ता कंपनियों में अस्थायी कर्मचारियों का अनुपात यह इशारा करता है कि इस क्षेत्र में स्थायी कर्मचारियों से कहीं अधिक अस्थायी कर्मचारी हैं। 
वाहन क्षेत्र में 2017-18 में कुल कर्मचारियों की तुलना में अस्थायी कर्मचारियों की संख्या 83 फीसदी थी। इसमें वित्त वर्ष 2021 में गिरावट आई लेकिन फिर बढ़कर 94 फीसदी पर पहुंच गई। यह रुझान समय-समय पर बदलते रहते हैं। मानव संसाधन कंपनी टीमलीज की कार्यकारी निदेशक व सह-संस्थापक ऋतुपर्णा चक्रवर्ती का अनुमान  है कि व्यापक स्तर पर कंपनियां अपने मुख्य कार्य पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं 
और अन्य कार्यों को आउटसोर्स करा रही हैं। उन्होंने कहा कि कुछ क्षेत्र जैसे वाहन और अन्य विनिर्माण क्षेत्रों में ऐतिहासिक रूप से अस्थायी, ठेके और अंशकालिक श्रमिकों की मांग लंबे अरसे से ज्यादा रही है।
चक्रवर्ती ने कहा कि अस्थायी कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोतरी निरंतर जारी रहेगी। हालांकि कर्मचारियों की औपचारिक रूप से नियुक्ति भी जोर पकड़ने लगी है। यह कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के सदस्यों की बढ़ती संख्या से भी पता चलता है। उन्होंने कहा, ‘बीते साल जुलाई से हर महीने ईपीएफओ के नए सदस्यों की संख्या में इजाफा हो रहा है।’
इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉयीज फेडरेशन ऑफ इंडिया के सचिव सुदीप दत्ता के मुताबिक भर्ती की श्रेणी में बदलाव के कारण संख्या में बदलाव हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘कंपनियां नहीं चाहती हैं कि कर्मचारी यूनियन बनाएं। इसलिए वे कर्मचारियों को विभिन्न श्रेणियों जैसे कार्यकारी, प्रशिक्षु आदि पदों पर भर्ती कर रही हैं। ठेका कर्मचारियों के लिए दो मुख्य चिंता नौकरी की सुरक्षा और यूनियन बनाने का अधिकार होता है।’
सरकारी आंकड़े के अनुसार देश में नियमित वेतन और भत्ते की सुविधा पाने वाले कर्मचारियों की हिस्सेदारी कम है। आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के 2017-18 में 22.8 फीसदी था जो 2020-21 में घटकर 21.1 फीसदी हो गया। साल 2020-21 में स्व-नियोजित कर्मचारी करीब 55.6 फीसदी था जो 2017-18 में घटकर 52.2 फीसदी हो गया था।

First Published - October 26, 2022 | 8:21 PM IST

संबंधित पोस्ट