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राजस्थान-ओडिशा में डीजल ने मारा शतक

Last Updated- December 12, 2022 | 3:26 AM IST

वैश्विक संकेतों और उच्च राज्य तथा केंद्रीय कराधान की वजह से देश के कुछ हिस्सों में डीजल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर से ऊपर चा चुकी है।
राजस्थान के श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ तथा ओडिशा के कोरापुट, नवरंगपुर और मल्कानगिरि देश के कुछ ऐसे जिले हैं जहां सोमवार को डीजल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर से ऊपर रही। मध्य प्रदेश के अनूपपुर में डीजल 99 रुपये प्रति लीटर से अधिक कीमत पर बेची गई।
अलग अलग वैट इन राज्यों में डीजल इतना महंगा होने की वजह यह है कि ये राज्य सबसे अधिक मूल्य वर्धित कर (वैट) वसूलते हैं इसके अलावा देश में वाहन ईंधनों पर उपकर भी लगाया जाता है। इन शहरों में विशेष तौर पर कीमत अधिक होने की वजह डीजल से ढुलाई की लागत बहुत ज्यादा बढ़ गई है जिसकी वसूली भी उपभोक्ताओं से ही की जाती है और महंगाई की मार ग्राहकों पर पड़ रही है।
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचाल प्रदेश और मेघालय जैसे राज्य जहां पर डीजल सबसे सस्ता है उसकी वजह वहां वैट की कम दर का होना। इन राज्यों में वैट की दर 13 फीसदी से कम है।
केंद्र के कई कर
राज्य करों के अलावा केंद्र भी 1.80 रुपये प्रति लीटर मूल उत्पाद शुल्क, 8 रुपये प्रति लीटर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, 4 रुपये प्रति लीटर कृषि बुनियादी ढांचा और विकास उपकर (एआईडीसी) और 18 रुपये प्रति लीटर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क वसूलता है।
राज्यों का घटा हिस्सा
2016-17 में ऑटो ईंधन पर उत्पाद शुल्क का करीब 56 प्रतिशत उपकर के रूप में लगता था। यह उत्पाद शुल्क संग्रह से आने वाला राजस्व है, जिसे केंद्र सरकार अपने पास रखती है। ईंधन से आने वाला शेष राजस्व उस कोष में जाता है, जिसे राज्यों के साथ साझा किया जाता है।
लेकिन 2020-21 में उत्पाद कर का 10 प्रतिशत से कम इस कोष में गया। दूसरे शब्दों में कहें तो अब इकट्ठा किए गए कर का ज्यादा हिस्सा केंद्र अपने पास रखता है और वह उसे राज्यों से साझा नहीं करता है। ऐसी स्थिति में खासकर ऐसे राज्य, जिनके संबंध केंद्र से बेहतर नहीं हैं, उन्हें राज्य का कर ज्यादा बनाए रखने की मजबूरी होती है।
केंद्र ने उठाया लाभ
केंद्र ने इन शुल्कों में बढ़ोतरी तब की, जब कच्चे तेल के वैश्विक दाम निचले स्तर पर थे।  इसका लाभ उठाकर केंद्र ने कर बढ़ा दिया, जिससे उपभोक्ताओं पर ज्यादा असर नहीं पड़ा। अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट की मुख्य वजह कोविड-19 महामारी के कारण घटी हुई मांग थी। लेकिन अब वह निराशा दूर होती नजर आ रही है और ब्रेंट (कच्चे तेल के दाम के आकलन का सबसे लोकप्रिय मानक) की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा है।
वैश्विक स्तर पर व्यापक टीकाकरण अभियान और मांग में रिकवरी की उम्मीद के कारण ऐसा हुआ है, क्योंकि पूरी दुनिया में लॉकडाउन शिथिल हो रहे हैं।
दिल्ली में डीजल की कीमतें 1 जनवरी, 2021 को 73.87 रुपये प्रति लीटर थीं, जो सोमवार (21 जून) को 87.97 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गई हैं। इस दौरान कीमत में 14 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है, जिसका अन्य जिंसों के दाम पर असर पड़ रहा है क्योंकि ट्रकों के माध्यम से ढुलाई महंगी हो गई है।

First Published - June 21, 2021 | 11:35 PM IST

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