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भारत के ई-कॉमर्स उद्योग में बड़ा बदलाव लेकर आया 2021

Last Updated- December 11, 2022 | 10:37 PM IST

कोविड-19 महामारी की वजह से 2020 में लोगों ने डिजिटलीकरण को स्वीकार किया लेकिन इस साल ही इस बदलाव के नतीजे स्पष्ट हो पाए। प्रौद्योगिकी से जुड़ी स्टार्टअप के लिए फंडिंग रिकॉर्ड स्तर पर हुई और एक नई यूनिकॉर्न कंपनी (एक अरब डॉलर से अधिक की हैसियत वाली कंपनी) हर जगह नजर आने लगी। केवल प्लेसमेंट के सीजन के दौरान ही नहीं बल्कि पूरे साल भर सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के वेतन की चर्चा होती रही। टेक स्टार्टअप तंत्र में इस तरह के नए घटनाक्रम जारी थे लेकिन ठीक इसी वक्त ई-कॉमर्स उद्योग में भी एक बड़ा बदलाव दिख रहा था। लाइव कॉमर्स, क्विक कॉमर्स, समूह खरीदारी, व्हाट्सऐप कॉमर्स, दुकान टेक और डी2सी रॉल-अप जैसे ऑनलाइन वितरण और बिजनेस मॉडल के नए तरीकों ने इस साल अपनी छाप छोड़ी।
किराना स्टोर को ऑनलाइन बिक्री में सक्षम बनाने वाले एक स्टार्टअप ‘लव लोकल’ की संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी आकांक्षा हजारी का कहना है, ‘ई-कॉमर्स के पहले चरण की शुरुआत, अधिक आमदनी वाले लोगों और अंग्रेजी बोलने वाले भारतीय उपभोक्ताओं के लिए की गई थी और इसका डिजाइन भी उनकी जरूरतों के हिसाब से तैयार किया गया था जो महानगरों में रहते हैं। इस मॉडल को बड़े विक्रेताओं के अनुरूप तैयार किया गया था और इसमें छोटे शहरों और कस्बों के लोग शामिल नहीं थे।’ कंपनी ने हाल ही में प्री-सीरीज बी फंडिंग के चरण में 1.8 करोड़ डॉलर जुटाए।
इस प्लेटफॉर्म में दो ऐप हैं, एक विक्रेताओं के लिए अपने उत्पादों को सूचीबद्ध करने, अपने ऑनलाइन स्टोर के लिए ऑफर तैयार करने और सोशल मीडिया चैनलों के माध्यम से अपनी मार्केटिंग करने के लिए है जबकि दूसरा एक उपभोक्ता ऐप है जो खरीदारों के लिए एक पोर्टल के रूप में काम करता है। इस साल, दुकान, बिकाई और डिजिटल शोरूम जैसे कई ऐसी स्टार्टअप ने सीरीज ए चरण के तहत फंड जुटाया है और यह एक ऐसा चरण होता है जब एक टेक कारोबार उत्पाद बाजार के हिसाब से फिट बैठता। ये ‘दुकान टेक’ के नाम से लोकप्रिय हैं और ये कंपनियां सदस्यता मॉडल के माध्यम से खुदरा विक्रेताओं को अपने मंच की सेवाएं देकर कमाती हैं, न कि कमीशन के आधार पर।
दुकान टेक से जुड़ा एक और दिलचस्प रुझान व्हाट्सऐप पर संवाद के जरिये किया जाने वाला कारोबार है। विचार यह है कि चैटबॉट मेसेजिंग प्लेटफॉर्म के साथ जुड़ा हुआ है जो कारोबारों को ग्राहकों के साथ जुड़े रहने में मदद कर सकता है जो कुछ वर्षों से अस्तित्व में है लेकिन इस साल ही इस माध्यम को व्यापक तौर पर स्वीकारा गया। इसके अलावा, इस मेसेजिंग प्लेटफॉर्म ने कहा कि यह कारोबारों के लिए अपनी तकनीक के एक नए संस्करण का परीक्षण कर रही है ताकि कारोबारों को इससे जुडऩे में लगने वाल समय हफ्ते से कम होकर मिनट तक सिमट जाए।
व्हाट्सऐप पर आधारित बातचीत वाले कारोबार सबसे अधिक धूम मुकेश अंबानी के जियोमार्ट ने मचाई जिसने बीटा मोड में मेसेजिंग मंच के साथ एकीकरण करने जांच की शुरुआत की। 2022 में इसके पूर्ण पैमाने पर लॉन्च होने की उम्मीद है। जियो प्लेटफॉम्र्स के निदेशक आकाश अंबानी ने हाल ही में कहा था,  ‘व्हाट्सऐप बेहद सरल और इस्तेमाल करने में और भी आसान है। ऐसे में आपूर्ति के लिए ऑर्डर देते समय ग्राहकों को कोई बाधा नहीं दिखती है। यह बेहद सहज है इसलिए प्रौद्योगिकी को लेकर इसमें कोई बाधा नहीं है। डिजिटल शॉपिंग अब सिर्फ  व्हाट्सऐप से जियोमार्ट के माध्यम से संदेश का विस्तार है।’
इसी वजह से आर्टिफि शियल इंटेलीजेंस (एआई) आधारित चैटबॉट निर्माता जैसे गपशप, रिलायंस जियो के स्वामित्व वाले हैप्टिक, वरलूप डॉट आईओ और येलो डॉट एआई ने व्हाट्सऐप पर बिक्री के लिए कारोबारी टूल की पेशकश की है। हैप्टिक के सीईओ आकृत वैश कहते हैं, ‘पूरा बाजार इसका इंतजार कर रहा था। हम यह उम्मीद कर सकते हैं कि व्हाट्सऐपए चीन में वीचैट जैसे नजरिया का अपना ले।’ चैटबॉट कंपनी का लक्ष्य यह है कि अगले साल व्हाट्सऐप कॉमर्स पर 50 ग्राहक लाइव हों।
मनीपॉट मॉडल
महामारी की वजह से बढ़ी बाधा के चलते न केवल स्थापित ब्रांड, उपभोक्ताओं की तलाश ऑनलाइन कर रहे हैं बल्कि इसकी वजह से कई ऑनलाइन उपभोक्ता ब्रांड भी तैयार हुए हैं। नतीजतन, इस साल भी ऑनलाइन ब्रांडों की फंडिंग रुझान के तहत स्टार्टअप ने सैकड़ों-करोड़ डॉलर की पूंजी हासिल की। ये कारोबार अमेरिका के थ्रासियो द्वारा तैयार किए गए मॉडल पर आधारित था जो एमेजॉन पर सबसे अधिक बिकने वाले छोटे ब्रांडों का अधिग्रहण करता है और उनका दायरा अपनी पूंजी और मार्केटिंग के दम पर बढ़ाता है।
इस तरह के ब्रांडों के दृष्टिकोण पर आधारित दो कंपनियों मेनसा और गुड ग्लैम स्थापित होने के कुछ ही महीनों के भीतर एक अरब डॉलर की हैसियत (यूनिकॉर्न) वाली कंपनी बन गईं। कई अन्य कंपनियां जैसे कि ग्लोबलबीज, 10क्लब, अपस्कैलियो और गोट ब्रांड लैब्स ने इस सेगमेंट में दुकान स्थापित किया और वे सभी अधिग्रहण की होड़ में हैं और सौंदर्य, होम केयर, आभूषण, स्पोट्र्सवियर तथा अन्य विविध ब्रांडों की खरीदारी कर रहे हैं। ग्लोबलबीज के सीईओ नितिन अग्रवाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड से पहले कहा था, ‘हम ऐसी कंपनियों को देख रहे हैं जिनके राजस्व का दायरा व्यापक है और मासिक दर 50 लाख रुपये से 20 करोड़ रुपये तक है। हालांकि हम उन कारोबारों से दूर रहेंगे जो बहुत सारी नकदी खर्च कर रहे हैं लेकिन वैसी कंपनियों का अधिग्रहण करने में कोई दिक्कत नहीं है जो अपनी शुरुआती पूंजी को मामूली दर पर खर्च कर रहे हैं।’ इस साल निवेशकों को आकर्षित करने वाले अन्य नए ई-कॉमर्स क्षेत्र में क्विक कॉमर्स भी शामिल है। किराना सामान की डिलिवरी करने वाली स्टार्टअप ग्रोफर्स ने 10 मिनट में डिलिवरी पर जोर देने के लिए अपनी दोबारा ब्रांडिंग ब्लिंकिट के रूप में की है। वहीं डुंजो, फ्लिपकार्ट, स्विगी और ओला जैसी कंपनियों ने या तो फास्ट डिलिवरी में अपनी दखल बढ़ाने के साथ दायरा भी बढ़ाया है। हालांकि, इस बाजार के दायरे को देखते हुए यह सवाल बना हुआ है कि इस तरह की सेवाओं के लिए भुगतान किया जा सकेगा या नहीं।

खरीदारी बढ़ाने के तरीके
विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल भारत में ई-कॉमर्स तंत्र एमेजॉन और फ्लिपकार्ट के दबदबे से कहीं ज्यादा व्यापक है। वेंचर कैपिटल कंपनी कलारी कैपिटल में पहले अधिकारी रह चुके वरिष्ठ प्रबंधक सलाहकार श्रीधर प्रसाद कहते हैं, ‘लाइव कॉमर्स ने छूट और ऑफर से लेकर विश्वसनीयता बहाल करने के बिंदु पर जोर दिया है।’ लाइव कॉमर्स ऑनलाइन शॉपिंग का एक ऐसा रूप है जहां ग्राहक लाइव स्ट्रीमिंग वीडियो इवेंट के दौरान खरीदारी करते हैं जैसे कि ‘चिंगारी’ तथा ‘मौज’ जैसे शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म जो एक तरह से पिछले साल टिकटॉक पर प्रतिबंध लगने के बाद उसकी जगह को भर रहे हैं। रेडसियर रिपोर्ट के अनुसार  शॉर्टफॉर्म सामग्री की वजह से लाइव कॉमर्स का बाजार 2025 तक 2.5-3 अरब डॉलर तक होने की उम्मीद है। लाइव सामग्री की वजह से खरीद की रफ्तार बढऩा, ई-कॉमर्स का ही एक रुझान है। समूह खरीदारी एक ऐसा मॉडल है जिसमें कई लोग एक साथ ई-कॉमर्स मंच से अपनी कुल खरीद को जोड़ते हैं जिसने इस साल ज्यादा ध्यान आकर्षित किया।
उदाहरण के तौर पर डीलशेयर को ही लें। जुलाई में यह सुर्खियों में आई जब इसने 45.5 करोड़ डॉलर के मूल्यांकन पर 14.4 करोड़ डॉलर की फंडिंग जुटाई। कंपनी का सकल मर्केंडाइज मूल्य (जीएमवी) वित्त वर्ष 2021 में पांच गुना बढ़कर 20 करोड़ डॉलर हो गया।  यह वित्त वर्ष 2022 में इसे अपने प्रदर्शन को दोहराने और जीएमवी के लिहाज से अरब डॉलर के स्तर को छूने की उम्मीद है। सोशल कॉमर्स की श्रेणी में एक और रुझान देखा जा रहा है मसलन समूह खरीद, इन्फ्लूएंसर संचालित ई-कॉमर्स और सोशल मीडिया मंचों पर खरीद जैसे मॉडलों को एक साथ जोडऩा जो रुझान पिछले एक साल में क्षेत्रीय सामग्री में उभरा है।
कंटेंट टू कॉमर्स प्लेटफॉर्म ट्रेल के सीईओ और सह संस्थापक पुलकित अग्रवाल कहते हैं, ‘इन उभरते ई-कॉमर्स मॉडल टीयर-2 और 3 भौगोलिक क्षेत्रों और इससे परे, ई-कॉमर्स के स्थान को भर रहे हैं। इसका एक बड़ा हिस्सा स्थानीय सामग्री के कारण है जो दर्शकों का भरोसा बनाए रखने के साथ ही जुड़ाव स्थापित कर रहा है।’

First Published - December 26, 2021 | 11:33 PM IST

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