राजनीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान, चीन की चार दिवसीय यात्रा पर रवाना

प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान भारत-जापान सहयोग को नए पंख देने और निवेश संबंधों का विस्तार करने पर होगा जोर

Published by
अर्चिस मोहन   
Last Updated- August 28, 2025 | 11:04 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार शाम को जापान और चीन की चार दिवसीय यात्रा पर रवाना हो गए। सात वर्षों में यह उनकी चीन की पहली यात्रा है। यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ लगाने के कारण अमेरिका के साथ संबंध तनाव की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में प्रधानमंत्री के इस दौरे का उद्देश्य निवेश आकर्षित करना और संबंधों को दोबारा सामान्य करना है।

नई दिल्ली से रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री ने कहा कि 15वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए तोक्यो की अपनी यात्रा के दौरान भारत-जापान सहयोग को नए पंख देने, आर्थिक और निवेश संबंधों के दायरे एवं महत्त्वाकांक्षा का विस्तार करने और एआई तथा सेमीकंडक्टर सहित उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।

जापान से प्रधानमंत्री शांघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन के थ्यानचिन शहर जाएंगे। थ्यानचिन में प्रधानमंत्री का रविवार दोपहर को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और सोमवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक करने का कार्यक्रम है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह शिखर सम्मेलन के मौके पर राष्ट्रपति शी, राष्ट्रपति पुतिन और अन्य नेताओं से मिलने के लिए उत्सुक हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि जापान और चीन की मेरी यात्रा राष्ट्रीय हितों और प्राथमिकताओं को गति देगी और क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति, सुरक्षा तथा सतत विकास को आगे बढ़ाने में योगदान देगी।’ प्रधानमंत्री 29 और 30 अगस्त को जापान में रहेंगे, जहां वह व्यापारिक दिग्गजों के साथ उनकी सरकार की ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ पहल और इसमें जापान की भूमिका पर बात करेंगे।

भारत अपने लघु और मध्यम उद्यमों के लिए जापानी निवेश और संयुक्त उद्यमों को आकर्षित करने का प्रयास कर रहा है। वहीं जापान के प्रान्तों और भारत की राज्य सरकारों के बीच अधिक सहयोग स्थापित करने के लिए भी उत्सुक है। प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को प्रान्तों के गवर्नरों से मिलेंगे। प्रधानमंत्री की जापान यात्रा में सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, महत्त्वपूर्ण खनिजों और ढांचागत परियोजनाओं, विशेष रूप से अधिक हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के निर्माण में दोनों देशों के बीच सहयोग और आपसी संबंधों को और मजबूत करने पर जोर दिया जाएगा।

उम्मीद है कि जापान भारत में अपने निवेश को 5 लाख करोड़ येन या 34 अरब डॉलर से दोगुना कर 10 लाख करोड़ येन अथवा 68 अरब डॉलर करने का वादा करेगा। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बीते मंगलवार को कहा था कि प्रधानमंत्री की तोक्यो यात्रा संबंधों में अधिक लचीलापन लाने और उभरते अवसरों एवं चुनौतियों से बेहतर तरीके से निपटने को कई नई पहल शुरू करने का शानदार मौका होगा।

चीन में मोदी-शी वार्ता से सीमा पर तनाव को और कम करने, पांच साल के अंतराल के बाद सीधी उड़ानों को दोबारा शुरू करने तथा व्यापार बाधाओं को दूर करने की घोषणा हो सकती है। चीनी पक्ष ने अपने विदेश मंत्री वांग यी की नई दिल्ली यात्रा के दौरान उर्वरकों, सुरंग बनाने वाली मशीनों और दुर्लभ खनिज तत्वों की आपूर्ति पर भारत की चिंताओं पर ध्यान देने पर सहमति व्यक्त की थी। भारत चीन की कंपनियों पर लगाए गए निवेश नियमों को आसान बनाने पर विचार कर रहा है।

चीन के भारत में राजदूत जू फेइहोंग ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि चीन और अन्य एससीओ सदस्यों के बीच व्यापार 2011 में 100 अरब युआन से बढ़कर 2024 में 3.65 लाख करोड़ युआन हो गया। उन्होंने कहा कि 2025 के पहले सात महीनों में एससीओ सदस्य देशों के साथ चीन का व्यापार 2.11 लाख करोड़ युआन तक पहुंच गया, जो साल-दर-साल तीन प्रतिशत अधिक है।

First Published : August 28, 2025 | 10:49 PM IST