राजधानी दिल्ली विधान सभा बनने के बाद अपना पांच साल का पूरा कार्यकाल देखने वाली विधानसभाओं में 7वीं विधान सभा का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है। इसमें सबसे कम विधेयक तो पास किए ही गए, यह सबसे कम सत्रों के लिए भी जानी जाएगी। 7वीं विधान सभा के सत्र फरवरी 2020 से दिसंबर 2024 के बीच आयोजित किए गए। अब 8वीं विधान सभा के गठन के लिए 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे। दिल्ली सरकार का पहला कार्यकाल 1993 से 1998 तक था।
एक थिंकटैंक फर्म पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के सर्वेक्षण के अनुसार 7वीं विधान सभा की कम बैठकों के लिए कोविड महामारी भी एक बड़ा कारण रही है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि 7वीं विधान सभा के पूरे कार्यकाल के दौरान कुल 74 बैठकें हुईं यानी एक साल में औसतन 15 दिन ही सत्र चला। विधान सभा में 5 साल में केवल 14 विधेयक ही पास किए गए। ये इससे पहले पांच साल तक चली किसी भी सरकार में पास किए गए विधेयकों में सबसे कम हैं। यही नहीं, एक भी विधेयक अतिरिक्त विचार-विमर्श के लिए किसी भी समिति को नहीं भेजा गया।
विश्लेषण के अनुसर 7वीं विधान सभा में हर साल सत्र को बिना स्थगन समाप्त किया गया और इसे हिस्सों में बांट कर चलाया गया। इस कारण कई बार तो ऐसा हुआ कि सदन की बैठक एक या दो दिन ही चल पाई।
पूरे कार्यकाल के दौरान जो 14 विधेयक पास किए गए, इनमें 5 ऐसे थे, जिनमें कानूनों का संशोधन किया गया। इनमें विधायकों, मंत्रियों, नेता विपक्ष, मुख्य सचेतक, विधान सभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष आदि के वेतन एवं भत्ते बढ़ाने से संबंधित थे। यह विधेयक जुलाई 2022 में पास किया गया और इसे राष्ट्रपति की मंजूरी 225 दिन बाद फरवरी 2023 में मिली। इसी तरह के विधेयक इससे पूर्व की विधान सभा में भी पास किए गए थे, लेकिन उन्हें उपराज्यपाल से स्वीकृति नहीं मिली थी।
विधान सभा के कार्यकाल का विश्लेषण करने वाले थिंक टैंक के अनुसार 74 दिन की बैठकों में केवल 9 दिन ही प्रश्नकाल संचालित हुआ। प्रश्नकाल के लिए सदस्यों को 12 दिन पहले अपने सवाल देने पड़ते हैं। अन्य मौकों पर विधान सभा की बैठकों के लिए औसतन केवल 7 दिन का नोटिस दिया गया और अपना सवाल पेश करने के लिए यह पर्याप्त समय नहीं होता।
सन 2020 से 2024 में आयोजित सत्रों के दौरान विधायकों ने हर साल औसतन 219 सवाल विधान सभा में पूछे। इसके उलट साल 2019 से 2024 के बीच लोक सभा में सांसदों ने औसतन 8,200 सवाल पूछे।
साल 2021 में प्रश्नों पर बनी समिति ने अपने निरीक्षण में पाया कि सवाल का गलत जवाब दिया गया था। यह विशेषाधिकार हनन का मामला बनता है। समिति ने मामला विशेषाधिकार समिति को भेज दिया। विधान सभा अध्यक्ष ने देखा कि राजस्व, सेवा, भूमि एवं भवन तथा गृह मंत्रालय ने 2024 के शीतकालीन सत्र के दौरान मिले सवालों के जवाब नहीं दिए।
विधान सभा में कुल 70 विधायकों ने औसतन 15 सवाल पूछे। भारतीय जनता पार्टी के 8 विधायकों ने 40 सवाल पूछे। सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के सदन में 62 विधायक थे और उन्होंने औसत 11 सवाल पूछे।
सर्वे के अनुसार इस विधान सभा में 33 समितियां थीं और उनका प्रदर्शन औसत से बहुत नीचे दर्ज किया गया। उदाहरण के लिए याचिकों पर गठित समिति ने चार रिपोर्ट पेश कीं। इससे पूर्व के कार्यकाल में इस समिति ने 27 रिपोर्ट पटल पर रखी थीं।
यही नहीं साल 2015 से 2020 की 6वीं विधान सभा के दौरान कुल समिति ने 50 रिपोर्ट दी थीं और 7वीं विधान सभा में इसके मुकाबले केवल 20 रिपोर्ट ही आईं। विधान सभा 62 पुरुष और 8 महिलाएं चुन कर आई थीं। महिला विधायकों की औसत हाजिरी भी 83 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि पुरुष विधायकों की उपस्थित79 प्रतिशत ही रही।