सुरिंदर चौधरी ने 11 जुलाई, 2023 को एक्स पर लिखा था ‘विदा भाजपा।’ उन्होंने अपने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) छोड़ने का दोष पार्टी के जम्मू – कश्मीर प्रदेश इकाई के प्रमुख रविंदर रैना पर डाला और आरोप लगाया कि वह परिवारवाद की राजनीति और भ्रष्टाचार में शामिल हैं। चौधरी के आरोपों पर बहुत कम लोगों ने ध्यान दिया क्योंकि दोनों नेता एक ही चुनाव क्षेत्र के लिए लड़ रहे थे।
2014 के विधानसभा चुनावों में चौधरी, जो उस समय पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के उम्मीदवार थे, जम्मू क्षेत्र की नौशेरा सीट से रैना से 9,503 मतों से हार गए थे। भाजपा छोड़कर नैशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के 15 महीने बाद उन्होंने उसी नौशेरा सीट से रैना को 7,819 मतों से परास्त कर दिया।
परंतु चौधरी के लिए तकदीर ने कुछ और भी अच्छा सोच रखा था। तीन दशकों की राजनीति में बार-बार दल बदलने वाले 56 वर्षीय चौधरी बुधवार को बंटे हुए नतीजों वाले इस चुनाव के अनचाहे लाभार्थी के रूप में सामने आए। चुनाव में नैशनल कॉन्फ्रेंस ने जहां मुस्लिम बहुल इलाकों में एकतरफा जीत पाई वहीं भाजपा ने हिंदू बहुल जम्मू क्षेत्र में मैदान मारा।
बुधवार को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के पद की शपथ लेने वाले नैशनल कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन उमर अब्दुल्ला ने अपनी मंत्रिपरिषद में जम्मू क्षेत्र के हिंदुओं को समान प्रतिनिधित्व देने का निर्णय लिया और चौधरी को उप मुख्यमंत्री का पद मिला।
नैशनल कॉन्फ्रेंस के चुनाव जीतने वाले 42 विधायकों में से 35 कश्मीर से और सात जम्मू क्षेत्र से हैं और केवल दो यानी चौधरी और रामबन के अर्जुन सिंह राजू ही हिंदू हैं। भाजपा के 29 विजेता उम्मीदवारों में से सभी जम्मू क्षेत्र के हैं और उसके 28 हिंदू तथा एक सिख उम्मीदवार ने जीत की है।
गत वर्ष नैशनल कॉन्फ्रेंस में चौधरी की वापसी ने उनके राजनीतिक करियर में नई जान फूंकी। 27 साल की उम्र में नैशनल कॉन्फ्रेंस के साथ शुरुआत करने वाले चौधरी ने बहुजन समाज पार्टी, पीडीपी और भाजपा तक का सफर किया। वह पिछली विधान परिषद में पीडीपी की ओर से सदस्य थे।
चौधरी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में लिखा है कि वह नौशेरा के सरकारी स्कूल से 12वीं पास हैं और उनके पास दो करोड़ रुपये की संपत्ति है। 2021 में पीडीपी छोड़ने वाले चौधरी ने मार्च 2022 में भाजपा की सदस्यता ली। जुलाई 2023 में पार्टी छोड़ते समय उन्होंने मानो भविष्यवाणी करते हुए एक्स पर लिखा था कि अगली सरकार नैशनल कॉन्फ्रेंस की होगी।
जम्मू क्षेत्र के पीर पंजाल के रहने वाले चौधरी ने शपथ ग्रहण के बाद कहा कि उमर अब्दुल्ला सरकार ‘दरबार’ प्रक्रिया को दोबारा शुरू करेगी। इसके तहत सरकार जम्मू और श्रीनगर से क्रमश: छह-छह महीने चलती थी। उन्होंने कहा कि यह पीर पंजाल और उनके विधानसभा क्षेत्र नौशेरा (राजौरी जिले में) के लिए गौरव का क्षण है। उन्होंने इसे पूरे जम्मू क्षेत्र के लिए गर्व का अवसर बताया।
उमर अब्दुल्ला सहित छह सदस्यीय मंत्रिमंडल में दोनों क्षेत्रों का समान प्रतिनिधित्व है। चौधरी, स्वतंत्र विधायक (बाद में तीन अन्य विधायकों के साथ नैशनल कांफ्रेंस को समर्थन) सतीश शर्मा और जावेद राणा जम्मू क्षेत्र से और उमर अब्दुल्ला, सकीना मकसूद इटू और जावेद दार कश्मीर घाटी से हैं।
श्रीनगर में शपथ ग्रहण के बाद मीडिया से बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘मैंने कहा था कि हम जम्मू को यह महसूस नहीं होने देंगे कि सरकार में उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं। मैंने जम्मू क्षेत्र से उपमुख्यमंत्री चुना है ताकि जम्मू के लोगों को यह अहसास हो कि सरकार उनकी भी उतनी ही है जितनी औरों की।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उमर अब्दुल्ला को बधाई देते हुए कहा कि केंद्र सरकार उनके और उनकी टीम के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर की बेहतरी के लिए काम करेगी।
समारोह में शामिल होने वालों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और मल्लिकार्जुन खरगे, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, वाम दलों के नेता प्रकाश करात और डी. राजा, द्रमुक की कनिमोई और राकांपा की सुप्रिया सुले शामिल थीं। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती भी आयोजन में मौजूद थीं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा ने कहा कि कांग्रेस अभी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होगी क्योंकि वह जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल न होने से ‘नाखुश’ है।