कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया पर जमीन आवंटन में गड़बड़ी के संगीन आरोप लगाए गए हैं। यह मामला मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) से जुड़ा है। विवाद इस बात पर है कि सिद्धरमैया के पिछले मुख्यमंत्री काल में उनकी पत्नी बी.एम. पार्वती को मुआवजे के तौर पर जमीन दी गई थी। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सिद्धरमैया और उनकी सरकार पर जमीन घोटाले का आरोप लगाया है। BJP उनके इस्तीफे की मांग कर रही है और इसके लिए अभियान चला रही है।
MUDA जमीन घोटाला क्या है?
सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सिद्धरमैया की पत्नी को मैसूर में 14 प्रीमियम प्लॉट देना गैरकानूनी था। उनका कहना है कि इससे राज्य को 45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह मामला केसरे गांव की 3.16 एकड़ जमीन से जुड़ा है। इसका मालिकाना हक पहले किसी और के पास था, साल 2005 में यह जमीन सिद्धरमैया के साले मल्लिकार्जुन स्वामी देवराज को ट्रांसफर की गई थी। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि मल्लिकार्जुन ने 2004 में फर्जी दस्तावेजों और सरकारी अधिकारियों की मदद से यह जमीन हासिल की, हालांकि रिकॉर्ड में इसे 1998 में खरीदा दिखाया गया।
2014 में, जब सिद्धरमैया मुख्यमंत्री थे, उनकी पत्नी पार्वती ने इस जमीन के लिए मुआवजा मांगा। यह मुआवजा MUDA की 50:50 योजना के तहत था, जिसमें अविकसित जमीन खोने वालों को 50% विकसित जमीन दी जाती है।
कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कार्यकर्ताओं टी.जे. अब्राहम, प्रदीप कुमार और स्नेहमयी कृष्ण की याचिकाओं पर लोकायुक्त द्वारा सिद्धरमैया पर मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है। पहले राज्यपाल ने सिद्धरमैया को कारण बताओ नोटिस दिया था, लेकिन राज्य सरकार ने इसे वापस लेने की सिफारिश की थी। सिद्धरमैया का कहना है कि ये आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। उनका कहना है कि उनकी पत्नी को BJP की सरकार में ही सही मुआवजा मिला था।
सिद्धारमैया ने अपने बचाव में क्या कहा?
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया का कहना है कि जिस जमीन के लिए उनकी पत्नी को मुआवजा मिला, वह 1998 में उनके साले मल्लिकार्जुन ने गिफ्ट के तौर पर दी थी। लेकिन कार्यकर्ता कृष्णा का आरोप है कि मल्लिकार्जुन ने 2004 में यह जमीन गैरकानूनी तरीके से हासिल की और सरकारी अधिकारियों की मदद से फर्जी दस्तावेजों से रजिस्टर करवाई।
सिद्धरमैया ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है। उनका कहना है कि उनकी पत्नी को BJP की सरकार में ही मुआवजा मिला था। मुख्यमंत्री ने पहले कहा था, “जो लोग (BJP) खुद प्लॉट दे रहे थे, अब वही इसे गैरकानूनी कह रहे हैं। इसका क्या जवाब दें?”
BJP ने सिद्धरमैया के खिलाफ अभियान शुरू किया है। उनका आरोप है कि MUDA घोटाले में 3,800 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है। BJP सिद्धरमैया के इस्तीफे की मांग कर रही है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस मामले की CBI जांच की मांग की है। उनका कहना है कि पूर्व डिप्टी कमिश्नर ने गड़बड़ियों के बारे में 15 चिट्ठियां लिखीं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके जवाब में, उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने घोटाले के आरोपों को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि ये सभी मामले BJP के शासनकाल में हुए थे।