पक्ष और विपक्ष में बढ़ती तनातनी के बीच शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित हो गई। इससे पहले संसद में जरूरी कामकाज निपटाया गया और विभिन्न मुद्दों पर रणनीति तैयार करने के लिए मंत्रियों के बीच विचार-विमर्श हुआ।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने अगले सप्ताह के लिए अपनी रणनीति की समीक्षा की। ब्रिटेन में कथित विवादित टिप्पणी करने के लिए भाजपा राहुल गांधी को संसद से निलंबित, यहां तक कि निष्कासित कराने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
राहुल गांधी को दो तरीके से संसद से निलंबित किया जा सकता है। एक तरीका विशेषाधिकार समिति की सिफारिश हो सकती है। दूसरे विकल्प के तहत संसद की अनुमति के बाद लोकसभा अध्यक्ष के आदेश के बाद एक विशेष समिति के गठन के जरिये राहुल गांधी को निलंबित किया जा सकता है।
यह समिति गांधी द्वारा दिए गए बयानों पर विचार कर सकती है और इस निष्कर्ष पर पहुंचेगी कि क्या उन्होंने वाकई संसद एवं इसके सदस्यों की गरिमा को ठेस पहुंचाई है। अगर समिति राहुल गांधी के निष्कासन का आदेश देती है तो इसका मतलब है कि वह लोकसभा सदस्य नहीं रह जाएंगे।
लोकसभा अध्यक्ष स्वतः संज्ञान लेकर एक विशेष समिति का गठन कर सकते हैं। हालांकि यहां पर कुछ प्रक्रियात्मक बाधाएं हैं। बिहार से सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने सदन की गरिमा को नुकसान पहुंचाने के लिए राहुल गांधी को दंडित करने की मांग की है। उन्होंने नियम 223 का हवाला दिया है। इस नियम के तहत किसी विशेष समिति के गठन का प्रावधान नहीं है। यह मामला केवल प्रवर समिति के समक्ष रखा जाता सकता है।
गांधी के खिलाफ संसद के विशेषाधिकार हनन का मामला पहले ही चल रहा है। अगर लोकसभा अध्यक्ष मामला विशेष समिति को भेज देते हैं तो यह गांधी के खिलाफ ऐसा दूसरा मामला हो जाएगा।
लोकसभा सदस्यों को चार विशेषाधिकार दिए गए हैं। उन्हें संसद में बोलने की स्वतंत्रता है और गिरफ्तारी से सुरक्षा मिली हुई है। इनके अलावा वे संसद की कार्यवाही का प्रकाशन रोक सकते हैं और ऐसे लोगों को संसद से बाहर कराने का अधिकार है जो लोकसभा सदस्य नहीं हैं। अगर कोई सांसद संसद की गरिमा का उल्लंघन करता है तो उससे लिए कई तरह के दंड के प्रावधान हैं। गरिमा का उल्लंघन करने पर उन्हें केवल चेतावनी देकर छोड़ा जा सकता है या कारागार में डाला जा सकता है।
लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य कहते हैं, ‘संसद कानून बनाने वाली शीर्ष संस्था है। इसके संचालन में किस तरह की बाधा नहीं आनी चाहिए। संविधान में संसद को विशेष अधिकार दिए गए हैं। न्यायपालिका भी संसद के काम में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। इसका उद्देश्य यह है कि सदस्यों को बोलने में किसी तरह का भय नहीं होना चाहिए, वह अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाए रखें।’
हालांकि आचार्य का कहना है कि कुछ पाबंदियां भी हैं। वह कहते हैं, ‘अगर कोई सांसद यह कहता है कि संसद चोरों का अड्डा है तो वह पूरे संसद की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है और उसे ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है।’
मगर अंततः सभी बातों का फैसला संसद को ही करना है। वर्ष 1978 में इंदिरा गांधी को जनता पार्टी ने गरिमा के उल्लंघन के मुद्दे पर संसद से निलंबित कर दिया था।
हालांकि उस समय इंदिरा गांधी ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। आचार्य का कहना है कि मुख्य बात यह है कि संसद को इस बात का फैसला करने का पूरा अधिकार है कि उसकी गरिमा को नुकसान पहुंचाया गया है या नहीं।
किसी खास समिति के पास मामला भेजा जाना एक बिल्कुल अलग मामला है। हालांकि इस पूरे मामले पर पक्ष-विपक्ष में तकरार दिनोदिन बढ़ती जा रही है। केंद्रीय विधि मंत्री किरण रिजिजू ने कहा, ‘देश से जुड़ा कोई मसला हम सब के लिए चिंता का विषय है। हमें इस बात की परवाह नहीं रहते कि कांग्रेस में या इसके नेतृत्व को क्या हो रहा है, लेकिन अगर कोई देश का अपमान करेगा तो हम इसे सहन नहीं कर सकते।’
कांग्रेस ने भी तल्ख टिप्पणी की है। कांग्रेस के राज्यसभा के सांसद के सी वेणुगोपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ गरिमा हनन से संबंधित कार्रवाई करने की मांग की है। वेणुगोपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने संसद में राहुल और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ अपमानजनक और असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया है।
वेणुगोपाल ने राज्यसभा में नियम 188 के तहत प्रधानमंत्री के खिलाफ विशेष प्रस्ताव लाने के लिए सदन के सभापति जगदीश धनखड़ से मुलाकात की। सप्ताहांत पर सरकार और विपक्ष दबाव बढ़ाएंगे।