सालों से सरकार के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहे उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग व निगम के होटल अब निजी क्षेत्र को सौंपे जाएंगे।
पर्यटन विभाग के कर्मचारियों के लाख विरोध के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार ने घाटे में चल रहे होटलों को सार्वजनिक निजी सहभागिता (पीपीपी) के आधार पर चलाने की ठान ली है। हालांकि सरकार ने कहा है कि इन होटलों और मोटल्स में काम कर रहे पर्यटन विभाग के कर्मचारियों को निकाला नहीं जाएगा पर इस संबंध में किसी तरह का लिखित आश्वासन देने से भी इंकार कर दिया है।
पर्यटन विभाग ने पीपीपी के तहत अपने होटलों और मोटल्स को चलाने की अनुमति प्रदेश सरकार के वित्त विभाग से मांगी थी जिसने अपनी सहमति दे दी है। वित्त विभाग की सहमति के बाद प्रदेश के मुख्य सचिव ने पर्यटन विभाग के अधिकारियों को साथ एक बैठक कर इस योजना को जल्दी से जल्दी अंजाम तक पहुंचाने को कहा।
गौरतलब है कि प्रदेश में पर्यटन विभाग व निगम के कुल 50 होटल और मोटल्स हैं इनमें से 38 को सार्वजनिक निजी सहभागिता के आधार पर चलाया जाना है। इनमें से पर्यटन विभाग के 28 और पर्यटन निगम के 10 होटलों व मोटल्स को निजी हाथों में सौंपना है।
पर्यटन विभाग ने इनमें से अधिकांश सभी होटलों और मोटल्स का आर्थिक आंकलन भी करवा लिया है। पर्यटन विभाग के अधिकारियों के अनुसार उनके होटलों में राही टूरिस्ट बंगला शुक्ताल, गजल टूरिस्ट बंगला नरौरा, राही टूरिस्ट बंगला सुलतानपुर, सोरांव एटा, शिकोहाबाद, सांडी झील हरदोई, बेवसाइड एमेनटिज देवरिया, खुर्जा, बेवर मैनपुरी, भरथराई अलीगढ़, सरधना मेरठ, बिठूर कानपुर, बस्ती, राही टूरिस्ट बंगला चुनार मिर्जापुर का मूल्यांकन किया जा चुका है।
अभी 14 पर्यटक गृहों का मूल्यांकन होना बाकी है। इसी तरह पर्यटन निगम के 10 में से आठ गृहों का मूल्यांकन किया जा चुका हे। इनमें राही टूरिस्ट बंगला सहारनपुर, जगदीशपुर सुल्तानपुर का मूल्यांकन का काम तेजी पर है।