दिल्ली सरकार ने बिजली बिल नहीं चुकाने वालों के लिए माफी योजना का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है। इसके तहत बिजली चोरी के मामले भी शामिल किए जाएंगे।
इस प्रस्ताव के तहत बिजली बिल की कुल राशि में से मात्र 40 से 50 प्रतिशत का भुगतान करना होगा और उसके बाद बिजली की आपूर्ति बहाल कर दी जाएगी। दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने का कहना है कि इस कदम से ऊर्जा क्षेत्र में सुधार के लिए की जा रही ईमानदार कोशिश को धक्का लगेगा और लोगों में गलत संदेश जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस माफी योजना के अंतर्गत बिजली चोरी करने वाले लोगों की भी चांदी हो जाएगी और उन्हें भी इसी शर्तों पर रियायत दी जाएगी। हालांकि दिल्ली सरकार के ही एक अन्य अधिकारी ने कहा कि जो बिजली चुरा ली गई है उसे वापस तो नहीं लाया जा सकता है। इसलिए सरकार चाहती है कि अवैध तरीके से उपयोग हो रही बिजली से राजस्व का जो नुकसान हुआ है, पहले उसकी भरपाई कर ली जाए और उसके बाद बिजली चोरी को रोकने के लिए कदम उठाए जाएं।
ऊर्जा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि दिल्ली के अलावा किसी अन्य महानगरों मेंमाफी की ऐसी योजना कभी नहीं चलाई गई है। दूसरी और दिल्ली सरकार पिछले चार साल में बिजली माफी की योजना तीसरी बार ला रही है। संयोग से यह चुनावी साल है। ऊर्जा मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा कि दिल्ली में भी कांग्रेस की सरकार है इसलिए उसके इस कदम का केंद्र सरकार विरोध नहीं करेगी।
सूत्रों की दलील है कि इस कदम से राजस्व का नुकसान तो होगा ही साथ ही बिजली की चोरी करने वालों के हौसले भी बढ़ जाएंगे। दिल्ली सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि राजधानी में बिजली के अवैध इस्तेमाल को पूरी तरह से नहीं रोका जा सका है।
उन्होंने कहा कि इस तरह की माफी योजना से परहेज भी नहीं करना चाहिए लेकिन कोशिश यह की जानी चाहिए कि इस तरह की घटना दुबारा न हो। यह पूछे जाने पर कि क्या दिल्ली सरकार बिजली के अवैध इस्तेमाल को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठा रही है, उन्होंने कहा कि सरकार इस दिशा में पुराना और पारंपरिक तरीका अपना रही है।
दिल्ली सरकार के विद्युत उपसचिव हरीश कुमार आहूजा ने बताया कि सरकार के पास बिजली माफी का सुझाव आया और उसने इसे मान लिया। उन्होंने बताया कि इस माफी योजना से बिजली चोरी करने वाले भी मीटर रीडिंग के दायरे में आ जाएंगे।