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वर्चस्व की लड़ाई उद्योगों पर पड़ी भारी

Last Updated- December 07, 2022 | 4:42 PM IST

महाराष्ट्र के दो राजनीतिक दिग्गजों के बीच चल रही रस्साकशी में उद्योग जगत अपने आप को उपेक्षित और ठगा सा महसूस कर रहा है।


राणे और देशमुख के इस राजनीतिक मल्ल युद्ध में जीत किसी की भी हो, लेकिन कारोबारियों का मनोबल जरूर टूटा है। इसका परिणाम राज्य के विकास के लिए अच्छा तो नहीं हो सकता है।

शिवसेना छोड़कर कांग्रेस का दामन थामने वाले राज्य के राजस्व मंत्री नारायण राणे ने अपनी अहमियत साबित करने के लिए अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। राणे के प्रहार से बचने के लिए देशमुख ने भी जबरदस्त राजनीतिक मोर्चेबंदी की है।

इस मोर्चेबंदी में व्यस्त मुख्यमंत्री और उनकी पलटन के दूसरे मंत्रियों के पास उद्योग जगत से मिलने और उनकी बाते सुनने का समय ही नहीं है। इस कारण मंत्रालय में कई कारोबारियों की फाइले धूल खा रही हैं। सूत्रों की मानी जा तो इस समय राणे और देशमुख खेमे के लोग काम कम दिल्ली दरबार में मैडम का मूड भापने में ज्यादा लगे हैं।

वादा निभाना भूले गए

देश के सबसे बड़े जेम्स एंड ज्वेलरी मेले में कारोबारियों ने जोर शोर से प्रचारित किया कि वाणिज्य मंत्री कमलनाथ और मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख उद्धाटन समारोह में शामिल होंगे, लेकिन कोई भी मंत्री वहां नहीं गया। इस पर मेले के आयोजक और डायमंड व्यापारी संजय कोठारी कहते हैं कि हमने उनको बुलाया था।

उन्होंने आने की बात भी कहीं थी। उनके कहने पर ही हमने उनके नाम की घोषणा की थी। लेकिन कार्यक्रम में क्यों नहीं आये यह जवाब तो उन्हीं के पास होगा। इसी तरह पुणे में भारत फोर्ज के हाई-वे कोच डिवीजन के उद्धाटन में जल संसाधन एवं आपूर्ति मंत्री अजीत दादा पवार को आना था, लेकिन मंत्री जी यहां भी नहीं पहुंचे। इस पर भारत फोर्ज के चेयरमैन बाबा कल्याणी का कहना था कि पवार की हां के बाद ही उनके नाम की घोषणा की गई थी, पर कोई जरुरी काम आ गया।

विवाद में परियोजनाएं

वीडियोकॉन द्वारा विकसित किये जाने वाले सेज के लिए जमीन आवंटित किये जाने पर तो राणे और देशमुख खुलकर आमने सामने खड़े हैं। राजस्व मंत्री अपने पद से इस्तीफा देने के साथ ही आरोप लगा रहे हैं कि जिस जमीन की कीमत 3,000 वर्ग फुट है उसको 300 रुपये से भी कम में देकर एक बड़ा घोटाला किया गया है। जी समूह का सेज भी राजनीति का शिकार होता दिख रहा है। इन परियोजनाओं के अलावा और भी कई प्रोजेक्ट राजनेताओं के विवाद के चलते समय पर शुरु नहीं हो पा रहे हैं।

हीरा उद्योग हलकान

राज्य से खिसकते हीरे के कारोबार के पीछे क्या कारण है इस पर जेम्स एंड ज्वेलरी मेले में कारोबारी मुंख्यमंत्री से बात करने वाले थे। मुंख्यमंत्री के न आने पर कारोबारियों का कहना था कि शायद इस सरकार को हमारी जरुरत नहीं है। वही कारोबारी और राजनीतिक गलियारों के जानकारों का कहना हैं कि इस बार राणे या देशमुख में जो जीतेगा, वह महाराष्ट्र कांग्रेस का सबसे बड़ा नेता माना जायेगा। जहां तक कारोबारियों के नाराज होने की बात है तो उनको राजनीतिक मजबूरियों का हवाला देकर समझा लिया जायेगा।

First Published - August 12, 2008 | 10:39 PM IST

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