महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र के अंतिम दिन सोमवार को सदन में महत्त्वपूर्ण शक्ति परीक्षण में जीत हासिल कर ली। इसके साथ ही उन्होंने शिवसेना में विद्रोह के पश्चात भाजपा के समर्थन से सत्ता संभालने के पांच दिन बाद सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली। विश्वास मत जीतने के बाद विधानसभा में अपने पहले भाषण में भावुक शिंदे ने शिवसेना का नाम लिए बिना कहा कि उन्हें लंबे समय तक दबाया गया था और उनके नेतृत्व में हुआ विद्रोह उनके साथ किए गए अनुचित व्यवहार का नतीजा था। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ अपने पुराने जुड़ाव के स्पष्ट संदर्भ में उन्होंने यह बात कही।
राज्य की 288 सदस्यीय विधानसभा में 164 विधायकों ने शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा लाए गए विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि 99 विधायकों ने इसके खिलाफ मतदान किया। तीन विधायक मतदान से दूर रहे, जबकि कांग्रेस के अशोक चव्हाण और विजय वडेट्टीवार समेत 20 विधायक विश्वास मत के दौरान अनुपस्थित रहे। अनुपस्थित रहने वालों में ज्यादातर कांग्रेस और राकांपा के विधायक थे। कार्यवाही की अध्यक्षता करने वाले विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अपना मत नहीं दिया। उन्होंने विश्वास मत को बहुमत मिलने की घोषणा की। विधानसभा अध्यक्ष पद पर रविवार को नार्वेकर के चुने जाने के बाद एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस सरकार की यह दूसरी बड़ी जीत है। दक्षिण मुंबई के कोलाबा से भाजपा विधायक नार्वेकर को अध्यक्ष पद के चुनाव में 164 वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के राजन साल्वी को 107 वोट मिले थे। हाल में शिवसेना के एक विधायक के निधन के बाद विधानसभा में विधायकों की मौजूदा संख्या घटकर 287 रह गई है, इसलिए बहुमत के लिए 144 मतों की आवश्यकता थी। एकनाथ शिंदे पिछले महीने शिवसेना के खिलाफ बागी हो गए थे। अधिकतर विधायकों ने उनका समर्थन किया, जिसके कारण उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी सरकार गिर गई। ठाकरे के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद शिंदे ने 30 जून को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।
शिंदे ने विधानसभा में अपने नेतृत्व वाली नवगठित सरकार के विश्वास मत हासिल करने के बाद अपने भाषण में कहा, ‘आज की घटनाएं सिर्फ एक दिन में नहीं हुईं।’ उन्होंने कहा, ‘जब मैं यहां चुनाव के लिए आया था, तो इस सदन में ऐसे लोग हैं, जिन्होंने देखा कि मेरे साथ कैसा व्यवहार किया गया। मुझे लंबे समय तक दबाया गया। सुनील प्रभु (उद्धव ठाकरे गुट से शिवसेना विधायक) भी गवाह हैं।’
शिंदे ने स्पष्ट रूप से उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने का जिक्र करते हुए कहा, ‘लेकिन एमवीए सरकार बनने के बाद, अजित पवार ने मुझसे कहा कि आपकी ही पार्टी (शिवसेना) में दुर्घटना हुई है। हम आपके मुख्यमंत्री बनने के खिलाफ कभी नहीं थे।’ उन्होंने यह भी दावा किया कि जब भाजपा-शिवसेना गठबंधन सत्ता में था, तो उन्हें पहले उपमुख्यमंत्री पद का वादा किया गया था। शक्ति परीक्षण से पहले उद्धव ठाकरे खेमे के शिवसेना विधायक संतोष बांगर शिंदे के गुट में शामिल हो गए, जिससे मुख्यमंत्री के खेमे में शामिल विधायकों की संख्या 40 हो गई।
फडणवीस ने शक्ति परीक्षण के बाद सदन में कहा कि विधानसभा में विश्वास मत पर मतदान के दौरान विपक्षी दलों के विधायक ‘ईडी, ईडी’ कहकर चिल्ला रहे थे। उन्होंने कहा, ‘यह सच है कि नई सरकार का गठन ईडी ने किया है, जिसका मतलब एकनाथ और देवेंद्र है।’ फडणवीस ने पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे का नाम लिए बिना दावा किया कि महाराष्ट्र ने पिछले कुछ वर्षों में ‘नेतृत्व की अनुपलब्धता’ देखी है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन, सदन में दो नेता (वह स्वयं और शिंदे) हैं, जो लोगों के लिए हमेशा उपलब्ध रहेंगे।’
दिल्ली में पत्रकारों से राउत ने कहा कि इन विधायकों (शिंदे समूह के) को खुद से कुछ सवाल पूछने चाहिए। उन्होंने चुनाव जीतने के लिए पार्टी के चिह्न और इसके साथ आने वाले सभी लाभों का इस्तेमाल किया तथा फिर उसी पार्टी को तोड़ दिया। राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘हम निश्चित रूप से इसे अदालत में लड़ेंगे। शिंदे गुट ने शिवसेना छोड़ दी, फिर वे कैसे दावा कर सकते हैं कि उनका समूह मूल पार्टी है, न कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला समूह। ठाकरे नाम शिवसेना का पर्याय है।’
अदालत में 11 को सुनवाई
उच्चतम न्यायालय मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के बागी विधायकों के गुट के नए पार्टी सचेतक को मान्यता देने के महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के खिलाफ उद्धव ठाकरे के गुट की याचिका पर 11 जुलाई को सुनवाई करने के लिए सोमवार को सहमत हो गया। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी के अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि नई याचिका पर लंबित अन्य मामलों के साथ 11 जुलाई को उसी पीठ द्वारा सुनवाई की जाएगी। न्यायमूर्ति बनर्जी ने कहा, ‘अभी मेरे समक्ष दस्तावेज मौजूद नहीं है। इन सब पर 11 जुलाई को ही सुनवाई करते हैं।’