उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी बिजली परियोजना अनपरा सी पर लगा ग्रहण खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।
इस परियोजना की क्षमता को 1000 मेगावाट से बढ़ाकर 1200 मेगावाट किए जाने के राज्य विद्युत नियामक आयोग के फैसले को रिलायंस पॉवर लिमिटेड ने चुनौती दी है। नियामक आयोग के फैसले के खिलाफ रिलायंस पॉवर ने अपीलेट ट्रिब्यूनल फार इलेक्ट्रिसिटी में एक याचिका दायर की है।
याचिका पर आज दिल्ली में हुई सुनवाई में रिलायंस, उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड और लैंकों ने अपना लिखित प्रतिवेदन दाखिल किया है। ट्रिब्यूनल ने सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी है।
गौरतलब है कि निजी क्षेत्र के हाथों बनायी जाने वाली अनपरा सी बिजली परियोजना का काम हैदराबाद की लैंको कोंडापल्ली के दिया गया था।
लैंको ने इस परियोजना की बिडिंग के दौरान सबसे कम दर पर बिजली उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया था। परियोजना के लिए बोली मंगाते समय इसकी कुल क्षमता 1000 मेगावाट का उल्लेख किया गया था।
बाद में लैंको के अनुरोध पर परियोजना की क्षमता को बढ़ाकर 1200 मेगावाट कर दिया गया था। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने भी क्षमता बढ़ाने को मंजूरी दे दी थी।
रिलांयस ने क्षमता बढ़ाने का यह कहते हुए विरोध किया था कि ऐसी परिस्थिति में दोबारा बोली मंगानी चाहिए। रिलायंस ने अनपरा सी परियोजना के लिए दूसरी सबसे कम बोली लगायी थी।
उक्त कंपनी का तर्क है कि क्षमता बढ़ने के बाद परियोजना के लिए बोली मंगाने पर और कम दरें मिल सकती हैं। बिजली अभियंता संघ का भी यही तर्क है कि क्षमता बढ़ाने के बाद और कम दरों पर बिड आ सकती हैं।
क्षमता बढ़ाने के फैसले के खिलाफ समाजवादी पार्टी के विधायक अरविंद सिंह ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर फिर से बोली मंगाने का अनुरोध किया था।
कोर्ट ने इस मामले को राज्य नियामक आयोग को संदर्भित कर दिया था जिसने याचिका को खारिज कर क्षमता बढ़ाने पर अपनी मुहर लगा दी थी।
अब रिलायंस ने इस बार क्षमता बढ़ाने के फैसले को एपीलेट ट्रिब्यूनल में चुनौती दी है। अनपरा सी परियोजना शुरुआत से ही विवादों से घिरी है। लंबी मशक्कत के बाद बीते साल इस के लिए बिडिंग की प्रक्रिया पूरी हो सकी।
लैंको को परियोजना का काम मिलने के बाद पहले तो बिजली कर्मचारियों ने उसे जमीन का अधिग्रहण करने से रोक दिया उसके बाद से लगातार इस परियोजना पर कोई न कोई अड़चन आ रही है।