रियल एस्टेट की हालत इन दिनों कितनी खस्ता है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पुणे में अब डेवलपर खुद उन खरीदारों के होम लोन की किस्त चुका रहे हैं जिन्हें आर्थिक मंदी की वजह से अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
बड़ी संख्या में रियल एस्टेट डेवलपर्स ने यह फैसला लिया है कि वे अपने उन ग्राहकों के लिए तीन महीने तक मासिक किस्त (ईएमआई) चुकता करेंगे जिन्हें उनकी कंपनी ने चलता कर दिया है। इसके अलावा ग्राहकों की परेशानी को देखते हुए बिल्डरों ने कुछ बैंकों को इस बात के लिए भी मना लिया है कि वे कर्ज के भुगतान की अवधि को कुछ बढ़ा दें।
दरअसल, पुणे में पिछले तीन से चार महीनों में ऑटोमोबाइल और सूचना तकनीकी क्षेत्रों में कई पेशेवरों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। जिन लोगों ने कुछ समय पहले मकान खरीदने के लिए बैंकों से कर्ज ले रखा था, अब उनके लिए ईएमआई चुकाना भारी पड़ रहा है।
ऐसे हालात में खरीदारों को कुछ राहत पहुंचाने के लिए पुणे का प्रमोटर ऐंड बिल्डर एसोसिशन (पीबीएपी) सामने आया है। यह संगठन शहर के 80 फीसदी से अधिक रियल एस्टेट डेवलपरों का नेतृत्व करता है।
पीबीएपी के अध्यक्ष ललित कुमार जैन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया के ईएमआई चुकाने की इस योजना की शुरुआत एसोसिएशन के 260 से अधिक सदस्यों ने मिलकर शुरू की है। हालांकि उन्होंने कहा कि इस बारे में विस्तृत जानकारी सार्वजनिक घोषणा के जरिए की जाएगी।
वहीं पीबीएपी के उपाध्यक्ष और गेरा बिल्डर्स के कार्यकारी निदेशक रोहित गेरा ने माना कि पीबीएपी यह नहीं चाहती है कि खरीदारों को अपनी डील से केवल इसलिए कदम वापस खींचने पड़ें क्योंकि उनकी नौकरी चली गई है।
गेरा ने कहा कि जल्द ही इस बारे में जल्द ही विस्तार से घोषणा की जाएगी। इस योजना से कितने लोग लाभ उठा सकेंगे, इसका आकलन अगले दो हफ्तों में किया जाएगा। पीबीएपी की ओर से हाल ही में किए गए एक सर्वे से पता चलता है कि पुणे में इस साल दिसंबर तक 27,000 फ्लैट ऐसे रह जाएंगे जिनके लिए कोई खरीदार नहीं मिल रहा है।
इसकी एक वजह होम लोन की ऊंची ब्याज दरें भी बताई जा रही हैं। साथ ही युवा पेशेवरों में मंदी के बीच नौकरी खोने का डर बना होना भी मकानों की खरीद को टालने की एक बड़ी वजह है।
इस योजना के तहत डेवलपर्स नौकरी खोने वाले खरीदारों के लिए तीन महीने की ईएमआई भरेंगे ताकि इस दौरान वे अपना पूरा ध्यान नई नौकरी तलाशने में लगा सकें। साथ ही पीबीएपी के सदस्यों के जरिए फ्लैट खरीदने वालों के लिए प्रमुख बैंकों ने कर्ज चुकता करने की अवधि भी बढ़ा दी है।
यानी अब उन्हें कर्ज चुकाने के लिए पहले से अणिक दिनों की मोहलत मिलेगी। गोयल गंगा समूह के प्रबंध निदेशक अतुल गोयल ने बताया, ‘हम चाहते हैं कि खरीदार अच्छी नौकरी की तलाश कर सकें न कि ईएमआई चुकाने की चिंता में फंसे रहें।’