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5 साल बाद निसान-तमिलनाडु का कर विवाद हुआ खत्म

Last Updated- December 15, 2022 | 2:56 AM IST

तमिलनाडु सरकार के साथ 66 करोड़ डॉलर के कर विवाद के निपटान के हफ्तों बाद जापान की दिग्गज वाहन निर्माता कंपनी निसान मोटर ने आज मद्रास उच्च न्यायालय से विवाद संबंधी अपनी याचिका वापस ले ली। राज्य सरकार और निसान मोटर ने याचिका वापस लेने के लिए संयुक्त समझौता मेमो जमा कराया है ताकि कंपनी को 66 करोड़ डॉलर (करीब 5,000 करोड़ रुपये) के कथित बकाए के संबंध में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता प्रक्रिया से रोका जा सके।
मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस राममूर्ति ने पक्षकारों को याचिकाएं वापस लेने की इजाजत दे दी जब सभी पक्षकारों ने मामला वापस लेने के लिए संयुक्त समझौता मेमो जमा कराया। सूत्रों ने कहा कि समझौते के तहत निसान को करीब 1,400-1,800 करोड़ रुपये मिल सकते हैं। निसान इंडिया और सरकारी अधिकारियों से इस पर तत्काल टिप्पणी नहींं मिल पाई। वहीं राज्य सरकार वादे के मुताबिक प्रोत्साहन की पेशकश जारी रखेगी और निसान इनपुट टैक्स पर अपना दावा त्याग देगी।
समझौते की पूरी शर्तें अभी स्पष्ट नहीं है और बिजनेस स्टैंडर्ड उसका सत्यापन स्वतंत्र रूप से नहीं कर पाया है।
यह विवाद तब पैदा हुआ जब निसान ने आरोप लगाया कि तमिलनाडु ने चेन्नई के पास कार प्लांट लगाने के लिए साल 2008 में हुए समझौते के तहत उसे कुछ निश्चित प्रोत्साहन का भुगतान नहीं किया। निसान और उसकी फ्रांस की साझेदार रेनो ने इस संयंत्र पर करीब 6,100 करोड़ रुपये निवेश किया है और यहां हर साल 4 लाख कारों का उत्पादन हो सकता है।
निसान ने साल 2016 में भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की पहल की थी और 2,100 के बकाए और 2,900 करोड़ रुपये क्षति व अन्य खर्च के तौर पर दावा किया था। तमिलनाडु कई साल से निसान के साथ मामले के निपटान में जुटा हुआ था।
निसान भारत-जापान के बीच हुए आर्थिक साझेदारी समझौते के प्रावधानों के मुताबिक मध्यस्थता में चली गई थी। चार साल पहले मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद के पलानीसामी ने आश्वस्त किया था कि नोकिया और निसान का मामला सुलझाया जाएगा ताकि निवेशकों की अवधारणा मजबूत बने। राज्य नोकिया की मोबाइल विनिर्माण इकाई को चालू करने की कोशिश कर सकता है, जो 21,000 करोड़ रुपये के कर विवाद के कारण साल 2014 से बंद है। सैलकॉम्प, फॉक्सकॉन औ्र अन्य कंपनियों ने 210 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया है।
उच्च न्यायालय में मामला लंबित था और राज्य सरकार व निसान ने अदालत से बाहर मामला निपटाने की कोशिश शुरू कर दी थी और अंत में आपसी सहमति बन गई।

First Published - August 27, 2020 | 12:06 AM IST

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