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दूसरे शहरों में भी दौड़ेगी मेट्रो

Last Updated- December 05, 2022 | 4:32 PM IST

देश के बड़े शहरों में अगले चार-पांच साल के अंदर मेट्रो सेवाएं देने के लिए 48,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई गई है। यह योजना बड़े शहरों में बढ़ती यातायात समस्याओं को देखते हुए एक बेहतर उपाय साबित हो सकती है।


शुरुआती दौर में यह योजना मुंबई, मद्रास, बेंगलुरु, कोच्चि, हैदराबाद और कोलकाता में शुरू की जाएंगी। इन योजनाओं में मेट्रो सेवा देने के लिए मुंबई में 18,000 करोड़ रुपये, बेंगलुरु में 6,000 करोड़ रुपये, कोलकाता में 4,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।


इसी तरह चेन्नई में 3,000 और कोच्चि  में 9,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इसके अलावा,   हैदराबाद में सार्वजनिक त्वरित परिवहन प्रणाली के तहत 8,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।


दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) के प्रंबध निदेशक ई श्रीधरन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि सभी योजनाएं अगले चार से छह सालों में पूरी कर ली जाएंगी और डीएमआरसी इन सभी योजलाओं में परामर्शकर्ता की भूमिका अदा करेगा।


मेट्रो रेल की लंबाई मुंबई में 65 किलामीटर, बेंगलुरु में 38 किलोमीटर, कोच्चि की 24 किलोमीटर और हैदराबाद में 48 किलोमीर होगी। इसके अलावा, मुंबई और हैदराबाद में मेट्रो की तीन लाइनों को बिछाने की योजना बनाई गई है।


चेन्नई और कोलकाता में इस योजना को पूरा करने का समय पांच वर्ष, हैदराबाद और बेंगलुरु में साढे चार वर्ष और मुंबई में छह साल तय किया गया है।


कोच्चि में इस योजना को सार्वजनिक त्वरित परिवहन प्रणाली के अंतर्गत तीन साल छह महीने में पूरा किया जाएगा। श्रीधरन ने यह भी बताया कि इस योजना से लाभान्वित होने वाले राज्यों में से कई ने इसे स्वीकृति प्रदान कर दी है।


और कुछ इसमें केंद्र की सहभागिता का इंतजार कर रहे हैं। केंद्र ने साफ कर दिया है कि चेन्नई, बेंगलुरु और दो लाइन वाली कोलकाता मेट्रो रेल की योजनाओं ने सार्वजनिक निवेश बोर्ड की सहमति प्राप्त कर ली है।


मुंबई मेट्रो रेल योजना के लिए भी पहली लाइन की मंजूरी मिल गई है, लेकिन दूसरी और तीसरी लाइन के लिए केंद्र से स्वीकृति मिलनी बाकी है। इन योजनाओं में 40 से 54 फीसदी निवेश केंद्र सरकार करेगी, जबकि शेष राशि लाभान्वित राज्य बाजार और द्विपक्षीय एजेंसियों से मुहैया कराएगी।



मेट्रो रेल के लाभ के बारे में पूछने पर श्रीधरन ने बताया कि दिल्ली मेट्रो रेल लाभ अर्जित कर रही हैं, जबकि कोलकाता में घाटा हो रहा है। दरअसल, ऐसा वहां की पुरानी तकनीक और प्रिति किलोमीटर कम यात्री क्षमता की वजह से हो रहा है।



उड़ीसा के कटक और भुवनेश्वर में मेट्रो रेल विस्तार की संभावना के बारे में पूछने पर श्रीधरन ने बताया कि मेट्रो रेल बिछाने में काफी बड़ी राशि खर्च होती है।


ऐसे में तीस लाख से कम आबादी वाले शहरों में यह लाभकारी साबित नहीं होगा। भुवनेश्वर की बात करें, तो वहा दस लाख की आबादी निवास करती है। ऐसे में वहां इंटरसिटी तेज रफ्तार वाली रेल बेहतर विकल्प साबित हो सकती है।



उल्लेखनीय है कि दुनियाभर के पांच शहरों में ही मेट्रो रेल लाभ अर्जित कर पा रही हहै, जिनमें से दिल्ली एक है। श्रीधरन ने बताया कि कई देशों ने मेट्रो रेलचालू करने में सहायता मांगी है।


अभी डीएमआरसी श्रीलंका के कोलंबो में 40 किलोमीटर लंबी मेट्रो रेल बिछाने पर अध्ययन कर रही है। इसके साथ ही सीरिया की राजधानी दमशकश में भी 30 किलोमीटर लंबी लाइन बिछाने के बारे में अध्ययन कर रही है।


इसके अलावा, डीएमआरसी इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में मेट्रो शुरू करने के लिए सलाहकार की भूमिका अदा कर रही है। 

First Published - March 12, 2008 | 7:51 PM IST

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