किसानों द्वारा धान बेचने से मना किए जाने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार का धान की सरकारी खरीद का लक्ष्य पूरा करना नामुमकिन हो गया है।
राज्य की 1333 प्राथमिक सहकारी कृषि इकाइयों में सोमवार से सरकारी खरीद शुरू हो गई है। केंद्र सरकार ने एक क्विटल की खरीद पर 50 रूपये बोनस देने की बात कही है। गौरतलब है कि सरकार ने धान का सरकारी खरीद मूल्य सामान्य श्रेणी के लिए 900 रूपये प्रति क्विंटल और ए श्रेणी के लिए 930 क्विटल की घोषणा की है।
राज्य में धान की सरकारी खरीद के लिए काम करने वाले अधिकारियों ने बताया कि किसान सरकारी समितियों को अपना धान बेचने नहीं आ रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि सरकारी खरीद शुरू होने के शुरुआती दिनों में काफी भीड़ हुआ करती थी। लेकिन इस साल किसानों में उस तरह का उत्साह नजर नहीं आ रहा है।
छत्तीसगढ़ विपणन संघ के निदेशक दिनेश श्रीवास्तव ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि रायपुर को छोड़कर छत्तीसगढ़ के सभी संभागों (बस्तर, बिलासपुर और सरगुजा)में धान की खरीद न के बराबर है। वर्षा की कमी के चलते उत्पादन कम होने से राज्य सरकार ने इस साल धान की सरकारी खरीद का लक्ष्य लगभग 35 लाख टन रखा है। जो पिछले साल के 40 लाख टन से लगभग 5 लाख टन कम है।
एग्रीकॉन नाम के एक एनजीओ के अध्यक्ष साकेत ठाकुर का कहना है कि इस साल धान की सरकारी खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं किया जा सकेगा और यह सरकारी खरीद के तयशुदा लक्ष्य से लगभग 30 फीसदी कम रहेगी। कम उत्पादन के कारण चावल मिल मालिकों ने किसानों से गेंहू की खरीद के लिए किसानों को पैसे बुवाई से पहले ही दे दिए थे।
ऐसे में ज्यादातर किसानों ने धान को मिल मालिकों को बेच दिया है। बचे हुए किसान सूखे और कीटनाशकों के खराब प्रभाव के कारण फसल के नष्ट होने से खुले बाजारों में ज्यादा कीमत मिलने की उम्मीद लगा रहे हैं।