अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान बराक ओबामा के प्रबंधकों ने चुनाव प्रचार के लिए दुनिया के सबसे लोकप्रिय वीडियो वेबसाइट यू-टयूब का चुनाव किया था।
ओबामा के प्रबंधकों ने इस अंतरजाल युग में राजनीतिक अभियान को एक नई गति देने के लिए उनके भाषणों और प्रोफाइल को यू-टयूब पर अपलोड कर दिया था। अब भारतीय नेतागणों को भी इस बात का तेजी से एहसास हो रहा है कि आज की जनता को सड़कों पर बैठकें, रैलियां और पोस्ट्र्स आदि के जरिए रिझाने का जमाना अब पुराना हो चला है।
देश के छह राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जहां मुख्य रूप से कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे के आमने-सामने है और ये दोनों पार्टियां अपने चुनाव अभियान के लिए इंटरनेट और अन्य वायरलैस प्रौद्योगिकियों पर निर्भर हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार विजय कुमार मलहोत्रा ने तो अपनी वेबसाइट भी शुरू कर दी है, ताकि वे अपने मतदाताओं के साथ संचार का नया रास्ता अख्तियार कर सकें।
भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया, ‘सच बोलूं तो यह विचार हमें लालू प्रसाद और उमर अब्दुल्ला से मिला है जब यू-टयूब पर उनके भाषणों पर रिकर्ड हिट किए गए थे।’
उत्साही समर्थकों ने इस साइट पर न्यूज चैनल के दो कतरनों को भी लोड किया है, जिसमें मलहोत्रा को संसद में काफी प्रशंसा मिली थी।
मलहोत्रा के मुख्य प्रतिद्वंद्वी मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को अब भी यही लगता है कि चुनाव प्रचार के लिए पारंपरिक तरीका ही सबसे अनुकूल होता है।
जबकि दो टर्म मुख्यमंत्री रहीं दीक्षित के सहयोगियों ने राजस्थान में मतदाताओं तक अपनी पहुंच बनाने के लिए इंटरनेट का सहारा ले रहे हैं।