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संरक्षण से आजीविका की ओर

Last Updated- December 07, 2022 | 3:03 AM IST

झब्बू लाल के पास सिर छिपाने और खेती के लिए कहने मात्र को जमीन थी। इतनी जमीन कि उसके परिवार को दो जून की रोटी भी नसीब नहीं होती थी। झब्बु लाल राय बरेली जिले के समस्तपुर गांव का एक गरीब किसान था।


गांव में रोजी-रोटी का कोई साधन न होने के कारण उसने अवैध शिकार का दामन थाम लिया था। समस्तपुर बर्ड सेंच्युरी में अवैध रूप से मछलियों, पक्षियों और जानवरों का शिकार करना उसका नया पेशा बन गया था।

हालांकि, बदलते मौसम के साथ झब्बु लाल के जीवन में भी बदलाव आया है। राज्य वन विभाग ने नमभूमि संरक्षण कार्यक्रम को समस्तपुर सहित राज्य के अन्य नमभूमि (वेटलैंड) क्षेत्रों में शुरू किया है। इस साल के जनवरी महीने में वन विभाग ने झब्बु लाल को एक भैंस दी, ताकि वह अपने परिवार की माली हालत सुधार सके और नमभूमि का दोहन न करे।

झब्बु लाल की भैंस प्रतिदिन छह लीटर दूध देती है, जिसमें से 3 लीटर वह परिवार के लिए रखता है और बाकी को 12 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से गांव में बेच देता है। यही नहीं महीने में संभवत: 4 किलो ‘देसी घी’ भी बना लेता है, जिसे वह 250 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचता है। अब उसके परिवार की स्थिति न केवल पहले से कहीं बेहतर हो गई है बल्कि मोटे तौर पर वह प्रति माह 2,100 रुपये भी कमा लेता है।

झब्बू लाल अकेला शख्स नहीं है, जिसके जीवन में ऐसा बदलाव आया है, बल्कि इसी गांव के लाला और सुखनानंद भी अपने जीवन में हुए बदलाव के गवाह है। वे तमाम गांव जो किसी भी नमभूमि क्षेत्र के 3 से 4 किलो मीटर की दायरे में आते  हैं, वहां वन विभाग ने गांव वालों को, खास तौर से अधिकारहीन किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए इन कार्यक्रमों को कार्यान्वित किया है।

बहरहाल, उत्तर प्रदेश सरकार ने इस साल राज्य के पांच जिलों के 1,500 हेक्टेयर से भी अधिक भूमि पर नमभूमि संरक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। यह कार्यक्रम ताजा पानी संसाधनों को सुरक्षित रखने और ग्रामीण निर्धनता से निजात दिलाने के लिए होगा। इसके अलावा, यह कार्यक्रम स्थानीय लोगों के लिए रोजगार भी मुहैया करवाएगी। जब से यह कार्यक्रम आरंभ हुआ है, समस्तपुर में लोगों को करीब 18,000 दिनों का काम मिला है। इस कार्यक्रम को गैर सरकारी संस्थान (एनजीओ) की मदद पूरा किया जा रहा है।

इसके अलावा कार्यक्रम को सफल बनाने में अन्य स्थानीय एजेंसियों सहित स्कूल और आंगनबाड़ी का भी सराहनीय योगदान है। एक स्थानीय एनजीओ, परिजात किसान विद्यालय के महासचिव रामाश्रय यादव के नेतृत्व में समस्तपुर में विभिन्न प्रकार की ट्रेनिंग सत्र और वर्कशॉप को आयोजन किया जा रहा है। रामाश्रय यादव में बताया, ‘पिछले ट्रेनिंग सत्र में 1,000 से भी अधिक गांववालों को फायदा हुआ था।’

बहरहाल इस कार्यक्रम के तहत आजमगढ़ में कुल आठ स्थानों, लखीमपुर खीरी, इटावा, मैनपुरी और मथुरा जिलों में शुरू किया जाएगा, जिसे केंद्र सरकार से अनुदान मिलेगा। समस्तपुर में कुछ गांववालों को भैंस के अलावा बकरी और सूअर भी दिए गए हैं। जबकि अन्य नमभूमि क्षेत्रों में सिलाई मशीन और सोलर लैंप मुहैया कराया गया है।

कार्यक्रम के फायदों के बारे में गांववालों को शिक्षित किया गया है, ताकि वे अपने रोजगार को मजबूती दे, अपनी आय क्षमता को बेहतर बना सकें  और साथ ही नमभूमि की संरक्षण में मदद कर सकें। इस दिशा में एनजीओ, बैंक, शिक्षक और अन्य सरकारी विभाग भी कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। इसी तरह की परियोजनाओं को बीते साल राय बरेली, हरदोई, कन्नौज, उन्नाव और अलीगढ़ में शुरू किया गया था।

First Published - June 3, 2008 | 10:53 PM IST

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