लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग अब क्लास रूम के चारदीवारी को तोड़कर बाहर निकलने के लिए तैयार है।
पूरी कवायद का मकसद छात्रों को मौजूदा आर्थिक मुद्दों के बारे में अच्छी तरह से परिचित कराना है। नियमित कक्षाओं के अलावा छात्रों के लिए समकालीन आर्थिक घटनाओं और मुद्दों के बारे में व्याख्यान की विशेष श्रृंखला शुरू की जा है। इन मुद्दों में वैश्विक वित्तीय संकट और रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति शामिल है।
इसके अलावा विभाग में प्रति माह सेमिनार का आयोजन किया जाता है जहां संकाय सदस्य अपने शोध को प्रस्तुत करते हैं। इन शोध पत्रों का संकलन कर उन्हें प्रकाशित किया जाएगा। छात्रों को डेटा विश्लेषण और मॉडल निर्माण के बारे में प्रशिक्षित करने के लिए एक कम्प्यूटर लैब की स्थापना भी की गई है।
लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रमुख यशवीर त्यागी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ‘हमें उम्मीद है कि इन उपायों से परपंरागत पोस्ट ग्रेजुएट और अंडर ग्रेजुएट पाठयक्रमों को पेशेवर रूप दिया जा सकेगा। इससे छात्रों को मौजूदा आर्थिक परिदृश्य को समझने और अपने ज्ञान को बढ़ाने में मदद मिलेगी।’
लखनऊ विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग की शुरुआत 1921 में हुई थी। विभाग के संकाय में इस समय छह प्रोफेसर, चार रीडर और पांच लेक्चरर हैं। नए पाठयक्रमों में समकालीन अर्थव्यवस्था पर खास तौर से फोकस किया जा रहा है।
पाठयक्रम में दो सहायक विषयों को भी शामिल किया गया है। इस पाठयक्रम में कुल 60 छात्रों के लिए स्थान है लेकिन जागरूकता की कमी के कारण इस साल पूरी सीटें भरी नहीं जा सकीं हैं।
त्यागी ने बताया कि विभाग उच्चस्तरीय शोध कार्यों को बढ़ावा देने और खासतौर से राज्य स्तर के लिए नीति निर्माताओं को तैयार करने की दिशा में काम कर रहा है।