ऐसे समय में जबकि आर्थिक मंदी से परेशान चल रहे उद्योग निवेश के लिए मध्य प्रदेश जैसे राज्यों को तलाश रहे हैं राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि राज्य सरकार अबाधित बिजली आपूर्ति मुहैया कराने की स्थिति में नहीं है।
केंद्र सरकार की ओर से कोयले की पर्याप्त आपूर्ति का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री ने रविवार को कोयला सत्याग्रह की शुरुआत की। उन्होंने इस कैंपेन की शुरुआत करते हुए केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह जान बूझकर राज्य को कोयले की पर्याप्त आपूर्ति नहीं कर रही है।
चौहान ने बेतुल जिले में पाथाखेड़ा कोयला खदान संख्या 2 में अधिकारियों और सुरक्षा बलों की मौजूदगी में कानून का उल्लंघन करते हुए जबरन प्रवेश किया और कोयला उठाया।
उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार सरप्लस कोयले की नीलामी कर रही है पर राज्य के लिए कोयले की आपूर्ति को कम किया जा रहा है।’ इस बारे में खदान के अधिकारियों का कहना है कि पाथाखेड़ा खदान से 94 फीसदी कोयले की आपूर्ति मध्य प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड के संयंत्रों को की जाती है। डब्लूसीएल के एक अधिकारी ने बताया, ‘हम एक समझौते के तहत ही ऊर्जा संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति कर रहे हैं।’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण ने राज्य के लिए प्रति माह 17.10 लाख टन कोयले की आपूर्ति का सुझाव दिया था, पर केंद्र सरकार की कोल लिंकेज कमिटी ने इसे घटाकर हर महीने 12.65 लाख टन कर दिया था।
इसका भी केवल 65 फीसदी हिस्सा ही हमें दिया जा रहा है जिस कारण राज्य को बिजली की भारी किल्लत उठानी पड़ रही है।’