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पानी को लेकर छत्तीसगढ़ और उड़ीसा भिड़े

Last Updated- December 08, 2022 | 9:45 AM IST

छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के बीच इंद्रावती के पानी को साझा करने को लेकर चल रही खींचतान में नया मोड़ आ सकता है।


दोनों राज्यों के बीच आवश्यकतानुसार पानी के बंटवारे के लिए नदी पर प्रस्तावित की गई संरचना डिजाइन को उड़ीसा ने अस्वीकार कर दिया है। इससे पहले 1979 में अविभाजित मध्य प्रदेश और उड़ीसा ने इंद्रावती के पानी साझा को लेकर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

एक नए राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ के गठन और उड़ीसा में इंद्रावती पर बांध के निर्माण से पहले यह समझौता किया गया था। इस समझौते के तहत यह कहा गया था कि उड़ीसा मध्य प्रदेश के लिए प्रतिवर्ष 45,000 अरब घन फीट जल आपूर्ति सुनिश्चित करेगा।

लेकिन पिछले कुछ वर्षों के दौरान इंद्रावती के बहाव में थोड़ा प्राकृतिक बदलाव आ गया है। नदी का बहाव राज्य में प्रवेश करने के बजाय उड़ीसा की ओर मुड़ रहा है और जोरा नामक एक छोटी नदी के साथ उसका विलय हो रहा है।

इस कारण जगदलपुर सहित बस्तर क्षेत्र के कई गांव पानी से वंचित हो गए हैं। माना जाता था कि इंद्रावती बस्तर की जीवनरेखा है।

हालांकि यह नदी उड़ीसा के कालाहांडी जिले में रामपुर-गुमला गांव से प्रारंभ होती है लेकिन इस नदी का एक प्रमुख हिस्सा (कुल 800 किमी लंबाई में से 500 किमी) छत्तीसगढ़ में बहता है।

चूंकि यह नदी सिंचाई, मत्स्य पालन और पीने के पानी का मुख्य स्रोत है इसलिए बस्तर के भीतरी इलाकों में रहने वाले आदिवासियों के लिए इंद्रावती आजीविका का साधन है।

केंद्रीय जल आयोग के रिपोर्ट के मुताबिक अगर जोरा नामक छोटी नदी की चौड़ाई में कमी करने के लिए तत्काल कोई कदम नहीं उठाया गया तो अगले 10 साल में इंद्रावती पूरी तरह जोरा छोटी नदी में विलय हो जाएगी।

दो दशक पुरानी इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए केंद्रीय जल आयोग के हस्तक्षेप के बाद दोनों राज्य दो संरचनाओं के निर्माण पर सहमत हो गए थे।

दोनों राज्यों द्वारा पानी के बंटवारे के लिए एक डिजाइन जोरा नाला पर और दूसरा इंद्रावती नदी पर बनाया जाना था। राज्य जल संसाधन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘उड़ीसा सरकार ने संरचना के डिजाइन को अस्वीकार कर दिया है और इस बाबत आयोग को सूचना दे दी गई है।’

First Published - December 17, 2008 | 8:56 PM IST

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