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मुंबई में छठ पूजा आयोजन की होड़

Last Updated- December 11, 2022 | 12:55 PM IST

मुंबई में छठ पूजा की तैयारियां जोरों पर हैं। हर साल की तरह इस बार भी छठ आते ही सियासत भी तेज हो गई। इस बार छठ पूजा के आयोजन को लेकर राजनीतिक दलों में होड़ मची हुई है। घाटकोपर में छठ पूजा आयोजन को लेकर भाजपा और एनसीपी का विवाद अदालत तक पहुंच गया। सियासी घमासान के बीच अदालत का फैसला आया जो एनसीपी के पक्ष में गया।
मुम्बई के घाटकोपर के आचार्य अत्रे मैदान में छठ पूजा आयोजित करने को लेकर भाजपा और कांग्रेस-एनसीपी नेता आमने-सामने आ गए हैं। दोनों पक्ष दावा कर रहे हैं कि वह इस मैदान में बरसों से छठ पूजा करते आ रहे हैं और इस साल उनका हक बनता है। जिसमें पर बीएमसी ने रोक लगाई थी। बंबई उच्च न्यायालय ने बीएमसी के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एनसीपी की एक पूर्व पार्षद के नेतृत्व वाले एक संगठन को उपनगरीय मैदान में छठ पूजा करने की अनुमति वापस ले ली गई थी।

अदालत ने एक अन्य समूह को आयोजन स्थल पर पूजा आयोजित करने की अनुमति देने वाले बीएमसी के एक अन्य आदेश को भी रद्द कर दिया। 

न्यायमूर्ति एन जे जामदार और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि एक समूह को अनुमति देने और दूसरे समूह को पहले से दी गई मंजूरी को समाप्त करने का बीएमसी का निर्णय दुर्भावनापूर्ण था। छठ पूजा 30 और 31 अक्टूबर को उपनगरीय घाटकोपर के मैदान में होनी है। 

याचिका के अनुसार, मंडल ने इस साल अगस्त में तीन समारोह-गणपति विसर्जन, नवरात्रि और छठ पूजा आयोजित करने की अनुमति मांगी थी। तीनों समारोह आयोजित करने की अनुमति अगस्त में ही मिल गई थी। निगम ने बाद में अनुमति रद्द करते हुए दावा किया कि मंडल ने पुलिस, अग्निशमन और यातायात विभागों से आवश्यक एनओसी जमा नहीं कराई थी। इसने कहा कि दूसरे समूह के पास सभी एनओसी थे और इसलिए उसे अनुमति दी गई थी। हालांकि, अदालत ने मंजूरी को निरस्त करने के समय पर सवाल उठाया और बीएमसी से पूछा कि गणपति या नवरात्रि त्योहारों के दौरान अनुमति क्यों नहीं रद्द की गई, जबकि मंडल के पास तब भी एनओसी नहीं थी।

दरअसल, अगले कुछ महीनों में महानगर पालिका के चुनावों की वजह से छठ पूजा को लेकर सभी राजनीतिक दलों द्वारा इस वर्ष तैयारियां बड़े पैमाने पर की जा रही है। अकेले मुम्बई में करीब 7 से 8 लाख बिहारी मतदाता रहते हैं और अगर इसमें उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल के जिलों के लोगो की संख्या जोड़ दी जाए तो यह आंकड़ा 20 से 25  लाख के पार चला जाता है। पूजा करने वालों के अलावा बड़ी संख्या में हिंदी भाषी समाज भी जूहू चौपाटी,मढ आई लेंड,गोराई, पवई और छठपूजा आयोजन स्थलों पर जाकर सांस्कृतिक कार्यक्रम देखते है। 

अकेले मुम्बई की 227 सीटों में से 50 से ज्यादा सीटें ऐसी है जहां हिंदी भाषियों का वर्चस्व है। मुंबई से सटे मीरा-भायंदर, वसई-विरार-नालासोपारा, ठाणे, नवी मुंबई,उल्हासनगर को भी जोड़  दिया जाए तो यह संख्या 100 सीटों के पार चली जाती है।इन सभी महानगरपालिकाओ में चुनाव होने हैं। यही कारण है कि इस साल भारतीय जनता पार्टी सहित सभी दल बड़े पैमैने पर छठपूजा का आयोजन कर रही हैं।

First Published - October 28, 2022 | 1:45 PM IST

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