एक तरफ मौजूदा आर्थिक संकट की वजह से दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में रियल एस्टेट बाजार धराशायी हो रहा है, वहीं पटना जैसे दूसरे दर्जे के शहरों में इसका बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ा है।
एक रियल एस्टेट डीलर बताते हैं, ‘यह सच है कि अपार्टमेंट के खरीदारों मे कमी आई है। लेकिन उनकी कीमतों में गिरावट नहीं हुई है।’ अपार्टमेंटों की खरीदारी तरलता बाजार पर बहुत हद तक निर्भर करती है। ज्यादातर फ्लैट मालिक या बिल्डर बैंक से कर्ज लेक र प्रॉपर्टी में निवेश करते हैं।
हाउसिंग लोन की ब्याज दरों में बढ़ोतरी की वजह से खरीदारों ने नए फ्लैट खरीदने की अपनी योजना स्थगित कर दी है। लेकिन आज भी अगर खरीदार के पास जरूरी कागजात दुरुस्त हैं, तो बैंक लोन देने में नहीं हिचक रही है।
पटना में बिल्डरों ने उपभोक्ताओं को भुगतान संबंधी सुविधाएं दी है। किश्तों को थोड़ा आसान बनाया गया है। लोकेशन के हिसाब से फ्लैट की कीमत 1500 से 3000 रुपये के बीच है। पटना के डाक बंगला रोड, फ्रेजर रोड और एक्जीविशन रोड में फ्लैट की कीमतें सबसे अधिक है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक नई दिल्ली के कुछ डेवलपर पटना के रियल एस्टेट बाजार में रुचि ले रहे हैं। मौजूदा आर्थिक संकट से हटकर अगर बात की जाए, तो तीन साल पहले जब बिहार में कानून व्यवस्था अच्छी नहीं थी, तो रियल एस्टेट बाजार गिरना शुरू हो चुका था। इस वजह से लोग बिहार के बाहर इसमें निवेश कर रहे थे।
अपना आवास डेवलपर्स के जितेन्द्र सिंह का कहना है, ‘ जब हमने बुद्धा कॉलोनी में सूर्य नंदा आवासीय अपार्टमेंट के नाम से 2006 में अपना काम शुरू किया था, तो तीन-चार कमरे के डीलक्स फ्लैट की कीमत 1200 रुपये प्रति वर्ग फुट थी। जब मैंने 2007 में एक फ्लैट बेचा तो उसकी कीमत 1700 रुपये प्रति वर्ग फुट मिली।’
लेकिन कुछ इलाकों में प्रॉपर्टी की मांग अभी भी काफी ज्यादा है। सगुना मोड़ से बिहटा जाने वाली सड़क के दोनों और प्रीमियम कीमतों पर जमीन बिक चुकी है। यहां तक कि सगुना मोड़ और दानापुर रेलवे स्टेशन के बीच आने वाली जमीन मौजूदा समय में 10 लाख प्रति कट्ठा बिक रहा है।
एक बिल्डर बताते हैं कि इन इलाकों में दाम में ये उछाल इसलिए आया है, क्योंकि यहां चार-लेन सड़कों का जाल बिछा हुआ है। आवास डेवलपर्स के किशोर कुमार ने कहा, ‘आर्थिक संकट के बावजूद नागेश्वर कॉलोनी, बोरिंग रोड, डाकबंगला, फ्रेजर रोड में अभी फ्लैट 3000-4000 रुपये प्रति वर्ग फुट की दर से मिल रहे हैं।’